एक तरफ जहां किसान खेती से मुंह मोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहे है. तो वही कुछ किसान आधुनिक तरीके से खेती करके कृषि क्षेत्र में इबारत लिख अन्य किसानों के लिए नजीर पेश कर रहे है. कुछ इसी तरह के किसान आशुतोष पाण्डेय हैं. जिन्होने विभिन्न सब्जियों को इस प्रकार उगाया है कि उनका वर्ष भर उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके. उन्होंने ऑफ सीजन के बाजारों पर पकड़ बनाने के उद्देश्य से आलू, सेम, शिमला मिर्च, लोबिया (राजमा) और धनिया का उत्पादन किया. आशुतोष ने 0.25 हेक्टेयर क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की और पिछले फसल की खेती की तुलना में अच्छा बाजार मूल्य और अधिक लाभ प्राप्त करने में सक्षम रहे. वर्ष 2017 में उन्होंने अपनी भूमि के 0.4 हेक्टेयर क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी उगाई थी. उनकी राह पर चलते हुए कुछ पड़ोसी किसानों ने भी स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की.
आशुतोष ने 5 टन/एकड़ स्ट्रॉबेरी के फलों की कटाई की तथा बाजार और मांग के आधार पर उन्हें 100 रुपए से 200 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा. उन्होंने चौड़ी क्यारी में आलू और सेम की खेती की और प्रत्येक क्यारी में आलू और सेम के बीज की दो पंक्तियाँ लगाई. उन्होंने आलू की उपज 140 क्विंटल प्रति एकड़ और हरी फलियों की पैदावार 50-55 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त की. उन्होंने धनिया का उत्पादन भी किया.
बक्सर कृषि विज्ञान केंद्र का मुख्य हस्तक्षेप स्ट्रॉबेरी की अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री, उनके भंडारण और विपणन प्रदान करना था. उच्च मूल्य वाली फसलों अर्थात आलू, सेम और लोबिया उत्पादन ने होटलों और स्थानीय बाजारों की अधिक माँग के कारण अधिक लाभ दिया. स्ट्रॉबेरी की खेती अधिक लाभदायक होने के साथ-साथ रोजगार सृजन और ग्रामीण युवाओं को स्मार्ट खेती में आकर्षण प्रदान करने के अवसर प्रदान करती है.
क्रमांक संख्या |
फसलें |
खेती की लागत (रुपए/हेक्टेयर) |
सकल लाभ |
शुद्ध लाभ |
फायदा: लागत अनुपात |
1. |
स्ट्रॉबेरी |
4,50,000 |
12,50,000 |
8,00,000 |
1.78 |
2. |
आलू |
86,500 |
2,10,000 |
1,23,500 |
1.42 |
3. |
सेम |
90,000 |
2,46,600 |
1,56,600 |
1.74 |
4. |
लोबिया सब्जी |
56,000 |
1,50,000 |
94,000 |
1.67 |