Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 26 August, 2019 5:53 PM IST

इतिहास गवाह है कि दुनिया में जब भी कोई क्रांति आई है तो वो किसानों, गरिबों एवं मजदूरों द्वारा आई है. शायद यही कारण है कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने किसानों को स्वयं भगवान कहते हुए लिखा कि " आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?  देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में."

इसमे कोई दो राय नहीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था किसानों के मजबूत कंधों के सहारे चल रही है, लेकिन हैरत की बात तो ये है कि आज भी एग्रीकल्चर सेक्टर उपेक्षा का शिकार है. देश के लगभग हर राज्य से आज भी ऐसी खबरे आ ही जाती है, जहां खेती के लिए किसान के पास ना को आवश्यक संसाधन है और ना ही सरकारी मदद उस तक पहुंच रही है. लेकिन इन किसानों के पास जूनून है, शायद यही कारण है कि देश की बड़ी जनसंख्या भरपेट खाना खाकर चैन से सो पा रही है.

उपेक्षित किसान की ऐसी ही एक कहानी जलगांव (महाराष्ट्र) से सुनने में आ रही है. यहां एक किसान को जब किसी तरह की सरकारी या सामाजिक मदद नहीं मिली तो उसने कुछ ऐसा कर दिया कि लोगों के मुंह खुले के खुले रह गए. दरअसल यहां खडकी बुद्रूक गांव के रहने वाला विठोबा मांडोले नाम का किसान बहुत गरीब है. उसके पास हल खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए पैसे नहीं थे. बहुत कोशिश के बाद भी जब सरकारी या सामाजिक मदद ना मिली तो उसने खाट से ही पूरा खेत जोत दिया. बताया जाता है कि इस गांव में कई सालों से सूखा पड़ रहा, जिस कारण यहां की जमीन सख्त हो गई थी.

English Summary: courageous farmer goes viral
Published on: 26 August 2019, 05:56 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now