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Updated on: 26 August, 2019 5:53 PM IST

इतिहास गवाह है कि दुनिया में जब भी कोई क्रांति आई है तो वो किसानों, गरिबों एवं मजदूरों द्वारा आई है. शायद यही कारण है कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने किसानों को स्वयं भगवान कहते हुए लिखा कि " आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?  देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में."

इसमे कोई दो राय नहीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था किसानों के मजबूत कंधों के सहारे चल रही है, लेकिन हैरत की बात तो ये है कि आज भी एग्रीकल्चर सेक्टर उपेक्षा का शिकार है. देश के लगभग हर राज्य से आज भी ऐसी खबरे आ ही जाती है, जहां खेती के लिए किसान के पास ना को आवश्यक संसाधन है और ना ही सरकारी मदद उस तक पहुंच रही है. लेकिन इन किसानों के पास जूनून है, शायद यही कारण है कि देश की बड़ी जनसंख्या भरपेट खाना खाकर चैन से सो पा रही है.

उपेक्षित किसान की ऐसी ही एक कहानी जलगांव (महाराष्ट्र) से सुनने में आ रही है. यहां एक किसान को जब किसी तरह की सरकारी या सामाजिक मदद नहीं मिली तो उसने कुछ ऐसा कर दिया कि लोगों के मुंह खुले के खुले रह गए. दरअसल यहां खडकी बुद्रूक गांव के रहने वाला विठोबा मांडोले नाम का किसान बहुत गरीब है. उसके पास हल खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए पैसे नहीं थे. बहुत कोशिश के बाद भी जब सरकारी या सामाजिक मदद ना मिली तो उसने खाट से ही पूरा खेत जोत दिया. बताया जाता है कि इस गांव में कई सालों से सूखा पड़ रहा, जिस कारण यहां की जमीन सख्त हो गई थी.

English Summary: courageous farmer goes viral
Published on: 26 August 2019, 05:56 PM IST

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