NSC की बड़ी पहल, किसान अब घर बैठे ऑनलाइन आर्डर कर किफायती कीमत पर खरीद सकते हैं बासमती धान के बीज बिना रसायनों के आम को पकाने का घरेलू उपाय, यहां जानें पूरा तरीका भीषण गर्मी और लू से पशुओं में हीट स्ट्रोक की समस्या, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 18 August, 2023 5:30 PM IST
Pramila Devi became an example for cattle rearers

मिसाल: कहा जाता है कि अगर आप में कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो तो पूरी कायनात आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाने में लग जाती है. ऐसी ही कुछ बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले के रतवारा ग्राम पंचायत की 51 साल की प्रमिला देवी की कहानी है. जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी आम लोगों से हटकर खास पहचान बनाई. जिन्हें आज प्रमिला देवी को लोग अब एक अलग नाम से जानते हैं- 'पशु सखी प्रमिला देवी’

कुछ साल पहले तक प्रमिला देवी दूसरों के खेतों में मजदूरी करती या खाली बैठी रहती, लेकिन उनके मन ने कुछ अलग करने की ठानी और उसको पूरा करने में जुट गई. आपको बता दें कि  बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले के रतवारा ग्राम पंचायत की रहने वाली प्रमिला देवी स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं. इस समूह की सहायता से  वे ब्लैक बंगाल बकरी पालन करती हैं और बकरियों का इलाज भी करती हैं.

जीवन का एक वाक्या

 प्रमिला देवी एक वाक्या बताते हुई कहती हैं, कि जब मैं समूह से जुड़ी तो कुछ सर लोग आए और उन्होंने बताया कि बकरी गरीब लोगों की गाय होती है, इसे पालने से अच्छी कमाई हो सकती है" बस उसी बात से उन्होंने तय किया कि अब ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां खरीदकर उनका पालन करूंगी. प्रमिला ने समूह की मदद से 22 हज़ार रुपए में ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां खरीदी और उनका पालन शुरू कर दिया. वहीं आज उनकी पंचायत के 20 समूह की 400 दीदियों ने बकरी पालन का कार्य शुरू कर दिया है. इनमें से 12 समूह को मैं देखती हूं और बाकी एक और दीदी हैं, जो पशु सखी का काम करती हैं.

इसे भी पढ़ें- बकरी की ये सबसे छोटी नस्ल अपने मांस व दूध से करती है मालामाल

पशुधन अधिकारी ने क्यों कहा बकरी गरीबों की गाय

पशुधन प्रौद्योगिकी और वन हेल्थ के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ब्लैक बंगाल बकरी पालने के बहुत फायदे होते है. क्योंकि बकरियां किसी भी जलवायु में रह लेती है. उन्हें ज़्यादा देख रेख की जरुरत नहीं होती है न ही इनके लिए बाज़ार तलाशने की जरूरत होती है, तभी तो इन्हें गरीबों की गाय कहा जाता है.

बकरियों की नस्लें

भारत में मांस, दूध और फाइबर उत्पादन की अलग-अलग क्षमता वाली 28 पंजीकृत बकरी की नस्लें हैं. जिनमें ये निम्नलिखित है- ब्लैक बंगाल, उस्मानाबादी, बारबरी जैसी अन्य नस्लों के साथ, अपनी मांस गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं. वहीं पूरे पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम, त्रिपुरा और बांग्लादेश में भी ब्लैक बंगाल बकरियों का पालन किया जाता है."

विशेषता

नर बकरी का भार 25-30 किलो और मादा बकरी का भार 20-25 किलो होता है. यह नस्ल जल्दी तैयार हो जाती है और प्रत्येक ब्यांत में 2-3 बच्चों को जन्म देती है.

इतना देती है दूध

बकरी 3 से 4 महीने तक 300 से 400 मिलीलीटर दूध देती है. ऐसी बकरियां मांस के लिए पाली जाती है. इनकी खाल बहुत अच्छी होती है. इस नस्ल की बकरी दो साल में तीन बार बच्चे देती है और एक बार में दो या उससे अधिक बच्चे देती है.

English Summary: buy black bengal goat, earn more
Published on: 18 August 2023, 05:49 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now