दरअसल, छत्तीसगढ़ के सुखराम वर्मा आज अपने गांव के एक सफल और करोड़पति किसान हैं. उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर वो कर दिखा जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा. सुखराम वर्मा के पास आज 80 एकड़ जमीन, गाड़ी और एक बहुत ही सुंदर बंगला है. उनका साल का टर्नओवर खेती से लगभग 1 करोड़ रुपए से भी अधिक है.
सुखराम वर्मा का प्रारंभिक जीवन (Early life of Sukhram Verma)
सुखराम वर्मा एक निर्धन परिवार से होने के कारण उन्होंने सिर्फ चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की. उनके घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रहती थी. अपने घर की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए सुखराम वर्मा 14 से 15 साल की आयु में बेमेतरा से रायपुर काम की तलाश में चले गए. उन्हें वहां जैसे भी काम मिला उन्होंने वो किया. सुखराम रायपुर के एक होटल में बर्तन धोने का काम करने लगे. उन्होंने वहां महीनों तक काम किया, लेकिन होटल वाले ने उनके पैसे नहीं दिए. फिर कुछ समय के बाद वह अपने गांव वापस आ गए. वहां उन्होंने बिजली विभाग में कुछ दिन काम किया, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा और फिर उन्होंने खेती करने के बारे में विचार किया और अपनी पुरखों की जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया. जिसमें उन्होंने कड़ी मेहनत की और एक सफल किसान बन गए. सुखराम का कहना है कि खेती को अगर लगन, मेहनत और आधुनिकता के साथ की जाए तो वह किसी उद्योग से कम नहीं है.
उन्होंने यह भी बताया की मैंने अपनी पुरखों की 6 एकड़ जमीन पर खेती करना शुरू किया था और आज मेरे पास 80 एकड़ जमीन है. किसान सुखराम कहते है कि मैंने कभी भी हार नहीं मानी हमेशा मेहनत की.
सुखराम की कड़ी मेहनत और लगन को देखते हुए साल 2012 में छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया.
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एक साथ की दो खेती (two farming together)
किसान सुखराम अपने खेत में फलों के साथ-साथ सब्जियों की भी खेती करते थे. जिससे उन्हें बाजार से अच्छा लाभ प्राप्त होता था. एक बार जब अच्छी आमदनी आना शुरू हो गई, तो उन्होंने अपने खेती की आप-पास के किसानों से भी खेती के लिए जमीन खरीदना शुरू कर दिया. सुखराम दूसरे किसानों को भी अपने खेत में एक साथ दो खेती करने के लिए प्रेरित करते रहते है.
घर के सदस्यों को नहीं करने दी नौकरी (The members of the household were not allowed to do the job)
सुखराम के दो बेटे हैं. दोनों ही अच्छे से पढ़े-लिखे हैं और साथ ही उन दोनों की बहुएं भी पढ़ी-लिखी हैं. उनके पोते ने MSC हॉर्टिकल्चर किया हुआ है. सुखराम का कहना है कि उनके बेटे व पोते को कई बढ़िया नौकरी के लिए ऑफर आए, लेकिन मैंने उन्हें जाने से मना कर दिया. मैं जैसे बाकी सभी किसानों को खेती करने के लिए कहता हूं वैसे ही अपने घर के सभी लोगों को भी कहता हूं. जिस कारण से आज मेरा पुरा परिवार खेती कर रहा है और साथ ही हमारे खेत में लगभग 30 से 40 लोग खेत करते है.
सब्जी-फल में सबसे ज्यादा पैसा (Most money in vegetables and fruits)
किसान सुखराम के मुताबिक, बाकी फसलों के मुकाबले सब्जी-फल में किसानों को सबसे अधिक मुनाफा होता हैं, क्योंकि किसानों को धान में लगभग 25 हजार रुपए एकड़ तक ही लाभ मिलता है. जबकि वहीं सब्जी-फलों में यह लाभ कई गुना उन्हें प्राप्त होता है. सुखराम बताते है कि सब्जियों के दाम रातों-रात दोगने, तीन गुने हो जाते हैं. जिसका किसानों को पूरा लाभ मिलता है. इसलिए मैं ज्यादातर किसानों को सब्जियों की खेती करने की सलाह देता हूं.