हमारे देश में आज के इस आधुनिक समय में भी ऐसी महिलाओं हैं, जो खेती-किसानी से जुड़े कार्यों के चलते अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं. इन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के डिंडोरी क्षेत्र में रहने वाली एक 27 वर्षीय आदिवासी महिला लहरी बाई है.
आपकी जानकारी के लिए बात दें कि भारत में चल रहे G20 शिखर सम्मेलन में भी डिंडोरी की रहने वाली लहरी के कार्यों की प्रशंसा की गई है. दरअसल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विदेशी प्रतिनिधियों से उनके बीजों के माध्यम से 150 से अधिक असामान्य प्रकार के बाजरा के संरक्षण में मदद करने के लिए प्रशंसा मिली.
जैसा कि आप जानते हैं कि इस साल 2023 को बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. इसी के चलते शिखर सम्मेलन में एक प्रदर्शनी के दौरान, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरीड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) ने विभिन्न प्रकार के बाजरे के बीज प्रदर्शित किए. इस सिलसले पर केन्या के संस्थान के एक प्रतिनिधि दमारिस अचिएंग ओडेनी ने कहा कि उनके संस्थान ने 50 से अधिक देशों को सैकड़ों बीज प्रदान किए हैं और इस पर शोध भी कर रहे हैं. उन्होंने बाजरा के महत्व पर भी चर्चा की.
मिस्र के प्रतिनिधि डॉ. इब्राहिम ममदौन फौदा के अनुसार, G20 बैठक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करेगी. "मेरा देश खाद्य संकट की चपेट में है और हमारे पास बाजरा नहीं है. हम इसके (बाजरा) उत्पादन के बारे में जानेंगे और बेहतर कल के लिए कृषि ज्ञान साझा करने और सहयोग बढ़ाएंगे," . साथ ही इंदौर की स्वच्छता की भी प्रशंसा करते हुए डॉ फौदा ने कहा कि शहर ने सही लेबल अर्जित किया है. "इंदौर एक सुंदर शहर है, और मैंने शहर और भारत दोनों की विरासत और संस्कृति का आनंद लिया," .
पीएम मोदी ने बाजरा के लिए लहरी बाई को बनाया ब्रांड एंबेसडर
आदिवासी महिला लहरी बाई के कार्यों को देखते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्होंने बाजरा के लिए ब्रांड एंबेसडर बना दिया गया है और साथ ही पीएम मोदी ने भी लहरी बाई की प्रशंसा की. लहरी बाई बाजरे के बीज की लगभग 150 से अधिक किस्मों को संरक्षित किया है.
लहरी बाई के बारे में...
सिलपाडी गांव की मूल निवासी बैगा आदिवासी लहरी बाई अपने माता-पिता के साथ इंदिरा आवास के दो कमरे के मकान में रहती हैं. उनके घर का एक कमरा लिविंग रूम और दूसरे को बीज बैंक बना दिया है, जिसमें लगभग 150 से अधिक दुर्लभ बाजरा जैसे कि- कोदो, कुटकी, सनवा, मध्य, सालहर, और काग की फसलें (उनमें से अधिकांश छोटे बाजरा) एकत्रित किए हैं.
लहरी बाई इन बीजों को अपने कृषि भूखंड के एक हिस्से में लगाती हैं. उसके बाद, बहुगुणित बीज किस्मों को उसके गाँव के किसानों के साथ-साथ अन्य 15-20 गाँवों में वितरित किया जाता है. बदले में, किसान भाई उन्हें अपनी फसल का एक छोटा हिस्सा देते हैं.
लोगों ने उड़ाया मजाक
आज लहरी एक ब्रांड एंबेसडर बनने के बाद याद करती हैं कि एक किशोरी के रूप में अपने ही समुदाय द्वारा उनका मज़ाक उड़ाया गया था. उन्होंने बताया कि "लोग मेरा मज़ाक उड़ाते थे और अक्सर मुझे अपने पास से भगा देते थे, लेकिन मेरे पास केवल दो मिशन थे, एक शादी न करना. ताकि जीवन भर अपने माता-पिता की सेवा कर सकूं और दूसरा बाजरा का संरक्षण करना बीज और उनकी खेती को बढ़ावा दें.
अब अपने काम में सफल होने के बाद कोई मेरा अपमान नहीं करता है. बल्कि मुझसे सहायता के लिए खुद लोग आगे बढ़कर मदद मांगते हैं. इनकी कड़ी मेहतन को देखते हुए डिंडोरी के जिला कलेक्टर विकास मिश्रा ने कहा, "अगर उन्हें छात्रवृत्ति मिलती है, तो वह पीएचडी छात्रों का मार्गदर्शन करती नजर आएंगी."