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Updated on: 2 November, 2024 1:51 PM IST
अपने ड्रैगन फ्रूट के फार्म में प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद, फोटो साभार: कृषि जागरण

Dragon Fruit Farming: असम के चिरांग जिले के प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद ने ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) (Dragon Fruit Farming) में सफलता की अनूठी कहानी लिखी है. पारंपरिक खेती से हटकर अकबर अली ने ड्रैगन फ्रूट की फसल का रुख किया, जिससे उन्हें ना केवल आर्थिक लाभ हुआ बल्कि उन्होंने स्थानीय किसानों के बीच भी एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया.

अपने "खिदमत एग्रो नर्सरी एवं फार्म" के तहत वे 2 हेक्टेयर जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की LD-1 किस्म की खेती कर रहे हैं और सालाना लगभग 1 करोड़ रुपये का टर्नओवर प्राप्त कर रहे हैं.

आज उनका "खिदमत एग्रो नर्सरी एवं फार्म" असम में ड्रैगन फ्रूट उत्पादन के क्षेत्र में एक अग्रणी ब्रांड बन चुका है, जिससे न केवल वह करोड़ों रुपये कमा रहे हैं बल्कि इस फसल को राज्य में लोकप्रिय बनाने का महत्वपूर्ण योगदान भी दे रहे हैं. अकबर अली की यह यात्रा अपने आप में एक प्रेरणादायक कहानी है. ऐसे में आइए अकबर अली अहमद की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-

खेती की शुरुआत और कठिनाइयां

अकबर अली ने छह साल पहले ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि ड्रैगन फ्रूट असम के किसानों के लिए एक नई फसल थी. शुरुआती दिनों में उन्हें इस नई फसल के बारे में जानकारी जुटाने, उपयुक्त किस्म का चयन करने और खेती में आवश्यक तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने में काफी मेहनत करनी पड़ी.

अपने ड्रैगन फ्रूट के नर्सरी फार्म में प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद, फोटो साभार: कृषि जागरण

ड्रैगन फ्रूट की उपज में सफलता पाने के लिए उन्होंने LD-1 किस्म को चुना, जो अपनी उच्च उत्पादकता और अच्छी क्वालिटी के लिए मशहूर है. इस फसल को न केवल आर्थिक लाभ दिलाने के लिए, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल फसल के रूप में भी उन्होंने अपनी जमीन पर रोपित किया.

खेती का विस्तार और निवेश

अकबर अली अहमद लगभग 2 हेक्टेयर जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) करते हैं. कृषि जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 15,000 पौधे लगते हैं और प्रति पौधे की कीमत लगभग 30 रुपये होती है. ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) में शुरुआती लागत अधिक होती है, क्योंकि इसमें पिलर्स लगाने, पौधों की खरीद और सिंचाई संसाधन का खर्च शामिल होता है.

ड्रैगन फ्रूट के फार्म में प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद, फोटो साभार: कृषि जागरण

पहले साल में प्रति हेक्टेयर में करीब 14-15 लाख रुपये खर्च आया, जिसमें पिलर्स बनाने पर लगभग 500 रुपये प्रति पिलर की लागत लगी. हालांकि, यह एक दीर्घकालिक लाभकारी निवेश साबित हुआ, क्योंकि यह फसल अगले 20 वर्षों तक उपज देती है और उसकी देखरेख का खर्च भी काफी कम है.

उत्पादन की प्रक्रिया और लाभ

ड्रैगन फ्रूट का पौधा एक साल के भीतर फल देना शुरू कर देता है. अकबर अली बताते हैं कि एक पिलर से साल में लगभग 15-20 किलो फल प्राप्त होता है. एक साल में करीब 8 बार फलों की तुड़ाई होती है, जिससे फसल का अच्छा मुनाफा मिलता है.

ड्रैगन फ्रूट फार्म, फोटो साभार: कृषि जागरण

ड्रैगन फ्रूट के फूल आने से लेकर फल बनने में करीब 45 दिनों का समय लगता है. दो साल बाद, प्रति हेक्टेयर में 25-30 टन उपज प्राप्त होती है. दूसरे साल से अगले 20 साल तक प्रति हेक्टेयर लागत लगभग 1.5 से 2 लाख रुपये ही रहती है, जो पारंपरिक फसलों की तुलना में बहुत ही किफायती है. इससे अकबर अली का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

नवाचार और तकनीकी प्रयोग

अकबर अली अहमद ने अपने फार्म पर ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) के साथ-साथ तकनीकी नवाचार को भी महत्व दिया है. उन्होंने वैज्ञानिक तरीकों और नई तकनीकों का उपयोग कर खेती में सुधार किया है. वे सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीक का उपयोग करते हैं, जिससे जल की बचत होती है. इसके अलावा, पौधों को पोषक तत्व और रोग प्रबंधन के लिए जैविक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं. उनका मानना है कि खेती में तकनीकी नवाचार न केवल उपज को बढ़ाते हैं बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं.

ड्रैगन फ्रूट के फार्म में प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद, फोटो साभार: कृषि जागरण

रोजगार सृजन और सामाजिक योगदान

अकबर अली अहमद के फार्म पर स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं. खेती के विभिन्न कार्यों में कुशल कामगारों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाना उनके प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. अकबर अली के फार्म में खेती से संबंधित कार्यों में करीब 20 से अधिक लोग कार्यरत हैं. इस तरह से उन्होंने अपने फार्म के माध्यम से न केवल खुद की आर्थिक स्थिति में सुधार किया, बल्कि गांव के लोगों को भी रोज़गार उपलब्ध करवाकर उनके जीवन को बेहतर बनाया.

ड्रैगन फ्रूट फार्म

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा

अकबर अली अहमद की इस सफलता ने आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया है. उनके पास कई किसान और कृषि विशेषज्ञ आते हैं, जो उनसे ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) के विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखते हैं. अकबर अली अपने अनुभव और ज्ञान को अन्य किसानों के साथ साझा करते हैं और उन्हें इस फसल के लाभ और तकनीकी विधियों के बारे में बताते हैं.

वे किसानों को बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) में एक बार सही तरीके से निवेश करने के बाद लंबे समय तक मुनाफा कमाया जा सकता है. उनकी सफलता को देखकर कई किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) में रुचि दिखाना शुरू कर दिया है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) के फायदे

ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming) में शुरुआत में लागत अधिक होती है, लेकिन यह एक दीर्घकालिक लाभकारी फसल है. इसकी पौध एक बार लगने के बाद 20 साल तक उपज देती है, जिससे किसान को लंबे समय तक आय मिलती है. यह फसल सूखा-प्रभावित क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है, क्योंकि इसे बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती. इसके अलावा, ड्रैगन फ्रूट की पौष्टिकता और स्वास्थ्य लाभों के कारण इसकी बाजार में उच्च मांग है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

English Summary: Akbar Ali Earning ₹1 Crore with 30 Tons/Ha Dragon Fruit Yield read success story
Published on: 02 November 2024, 02:11 PM IST

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