गुजराती जहां भी रहता है, वह अपने काम से अपनी पहचान बना ही लेता है. आज हम आपको ऐसी ही एक सफल महिला उद्यमी के बारे में बताएंगे, जिनका जन्म गुजरात के अहमदाबाद में हुआ. लेकिन शाद के बाद उन्हें दिल्ली आना पड़ा. लेकिन कहते हैं न कहीं भी रहे लेकिन अपनी मेहनत के चलते वह अपनी पहचान अन्य लोगों से अलग बना ही लेते हैं. ऐसी ही गुजरात की एक महिला ऊषाबेन है.
बता दें कि आज के समय में ऊषाबेन अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अचार के बिजनेस से हर महीने अच्छी मोटी कमाई कर रही है. तो आइए ऊषाबेन की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं...
ऊषाबेन का अचार का कारोबार
आजकल महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे हैं. चाहे सीमा पर खड़े होकर देश की रक्षा करना हो या देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देना हो. महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. यूं तो अचार हर घर में बनता है लेकिन अगर इसे बनाकर कोई सफल उद्यमी बन जाए तो उसे ऊषाबेन कहा जाता है. दिल्ली में अपना अचार का बिजनेस करने वाली ऊषाबेन एक टीचर हैं लेकिन अपने हुनर को दिखाने की उनकी क्षमता ने उन्हें आज एक बड़ा बिजनेस वूमेन बना दिया है.
सिर्फ 500 रुपये से शुरुआत किया बिजनेस
ऊषाबेन के मुताबिक, उन्होंने अपना अचार का बिजनेस महज 500 रुपये से शुरू किया था और आज ऊषाबेन महीने में 400 से 500 किलोग्राम अचार बेचती हैं. शुरुआत में वह कुछ अचार बनाकर आसपास और अपने परिचितों को देती थीं. ऊषाबेन का बनाया अचार धीरे-धीरे इतना मशहूर हो गया कि अब लोग सामने से उनसे अचार मंगवाते हैं. उषाबेन बताती हैं कि शुरुआत में उन्होंने बिना लेबल वाला अचार बेचा, लेकिन आज उनकी ‘बालाजी अचार’ नाम से बड़ी कंपनी है.
ऑनलाइन और ऑफलाइन अचार की बिक्री
अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए ऊषाबेन ने कहा कि महज 500 रुपये से शुरू किया गया मेरा अचार का बिजनेस आज शहर से लेकर गांव तक बालाजी अचार के नाम से जाना जाता है. अब लोग मेरे अचार का स्वाद चखने के लिए ऑनलाइन बुकिंग करते हैं. इस काम में उनके पति भी उनका साथ देते हैं. उषा बेन ने कहा कि शुरुआत में मैंने यह बिजनेस अकेले शुरू किया था लेकिन अब मेरे पास एक बड़ी टीम है. हालाँकि बालाजी मेरी अचार सामग्री के अनुसार ही अचार बनाते हैं. इस काम से ऊषाबेन ने कुछ महिलाओं को रोजगार देकर उनके जीवन स्तर में सुधार किया है.
अचार के बिजनेस के लिए दिल्ली कृषि विज्ञान केन्द्र का मिला सहयोग
ऊषाबेन ने कहा कि शुरुआत में जब मैंने अचार का कारोबार शुरू किया तो मुझे इसे आगे बढ़ाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. फिर मैंने दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया. जहां मुझे डॉ. रितु के बारे में पता चला और उसने मेरे अचार का अच्छी तरह से निरीक्षण किया. वहां से वापस आने के बाद ऊषाबेन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
ऊषाबेन किसानों से अचार के लिए सब्जियां और फल खरीदती है
ऊषाबेन ने बताया कि मैं अपने अचार के लिए सीधे किसानों से सब्जियां और फल खरीदती हूं और फिर बालाजी अचार के लिए अचार और जैम तैयार करती हूं. उन्होंने आगे बताया कि बाबाजी अचार से कई तरह के खाद्य पदार्थ बनते हैं. बता दें कि साल 2020 में जब पूरा देश कोरोना से तबाह हो रहा था, तब शुद्धता और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए ऊषाबेन ने अचार का उत्पादन शुरू किया था.
अन्य महिलाएं भी सशक्त हुईं
ऊषाबेन ने न केवल अन्य महिलाओं को रोजगार दिया बल्कि महिलाओं को व्यवसाय चलाने के लिए भी सशक्त बनाया. ऊषाबेन अचार के लिए मसाले खुद ही तैयार करती हैं. उनके अचार को FSSAI से मान्यता मिल चुकी है. ऊषाबेन के अनुसार, उनकी कंपनी और उनका लक्ष्य एक ही है और वह है लोगों को जैविक और स्वास्थ्यवर्धक अचार उपलब्ध कराना. ताकि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान न होना पड़े. ऊषाबेन भविष्य में अन्य शहरों में भी बालाजी अचार के आउटलेट खोलना चाहती हैं.