आपने पढ़ाई लिखाई करने वालों को तो सफल होते हुए देखा ही होगा, लेकिन देश में कुछ ऐसे भी लोग है जिन्होंने अपनी कम पढ़ाई को सफलता के आढ़े नहीं आने दिया. ऐसी ही एक कहानी है हिमाचल प्रदेश के रहने वाले किसान रामगोविंद के बारे में, जिनकी शुरुआती शिक्षा सिर्फ कक्षा आठ तक हुई थी और आज वह अपने परिश्रम से सेब की खेती कर एक सफल किसान बन चुके हैं.
खेती की शुरुआत
रामगोविंद बताते हैं कि उनके परिवार में सबसे बड़े वही हैं और उनके पिता की मृत्यु के बाद उनका पढ़ाई लिखाई में मन बिल्कुल ही नहीं लगता था. ऐसे में शुरु में उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय को ही आगे बढ़ाने का सोचा और बचपन में ही अपनी मां के साथ सेब की खेती में हाथ बंटाने लगे और फिर धीरे-धीरे इस ओर उनको सफलता भी मिलती गई.
कैसे मिली सफलता
रामगोविंद बताते हैं कि उनके पास कुल 4 एकड़ की जमीन है और इन खेतों में वह 2 एकड़ में सेब और 2 में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती करते थे. इस बीच उन्हें अपने दोस्त कृषि विज्ञान केंद्र के बारे में पता चला और उन्होंने वहां जाकर सेब की उत्तम किस्म के बीज के बारे में जानकारी हुई. इसके बाद उन्होंने अपनी मां के साथ मिलकर पूरे चार एकड़ के खेत में सेब की नई किस्म के बीजों के साथ खेती करने का फैसला लिया.
रामगोविंद बताते हैं कि उनको शुरु में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. जैसे कि इस नये किस्म के बीज में कितनी बार सिंचाई करनी होगी, किस प्रकार की मिट्टी उपजाऊ रहेगी और कितना खाद का इस्तेमाल करना पड़ेगा. ऐसे में उन्हें हर समस्या का समाधान कृषि विज्ञान केंद्र से मिल जाता था, जिससे उनका काम काफी आसान हो जाता था.
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कमाई
रामगोविंद बताते हैं कि वह हर साल 25 से 30 लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. उनके उपजाए हुए सेब देश के हर कोने-कोने तक पहुंच रहे हैं. इसकी सफलता का श्रेय वह अपनी मां को देते हैं.