देश में कई तरह के पत्तों का बड़े पैमाने पर व्यवसाय किया जाता है. पत्तों की खेती में बेहद कम लागत आती है और इसे आप अच्छे दामों में बेच कर मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में प्रमुख तौर पर केले व पान के पत्तों की खेती की जाती है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि कैसे पत्तों की खेती कर आप बंपर कमाई कर सकते हैं.
तेजपत्ता की खेती
आज कल बाजार में तेज पत्ती की काफी मांग है. इसका उपयोग हर सीजन में किया जाता है. ऐसे में तेज पत्ते को बाजार में बेचकर आप अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं. इस व्यापार के जरिए आपकी लाखों में कमाई होगी.तेजपत्ते की खेती के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की तरफ से 30 प्रतिशत का अनुदान मिलता है. ऐसे में आप तेजपत्ते की खेती कर पत्ते को बाजार में बेच सकते हैं. तेज पत्ता के एक पौधे से आप सलाना 5 हजार की कमाई कर सकते हैं. अगर आप इसके 25 पौधे लगाते हैं तो साल में आसानी से 75 हजार से लेकर 1 लाख 25 हजार तक कमा सकते हैं.
केले के पत्तों की खेती
आज के समय प्राकृतिक चीज़ों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में जो लोग अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं, वह केले की पत्ते को प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर मार्किट में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. केले के पत्ते की डिमांड दक्षिण भारत में बहुत अधिक है. केले के पत्ते का इस्तेमाल दक्षिण भारत में घरों में आमतौर पर व किसी खास मौके पर खाना परोसने के लिए किया जाता है. इसलिए वहां, इसकी मांग नहीं घटती है. आप केले के पत्ते को दक्षिण भारत में बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. यहां एक फायदा यह भी है कि पत्ते की खेती में आपकी कोई लागत नहीं है. आप केले की खेती करते हुए पत्तियों का संरक्षण कर सकते हैं और लागत का पैसा केले की बिक्री से निकल आएगा. इसलिए यहां आपको डबल मुनाफा होगा. बिहार में तो मकई की भूसी, केलों के पत्ते और जूट से ट्रे व खाने की प्लेट बनाई जा रही है. ऐसे में यह कमाई का बेहतर विकल्प साबित होगा. हालांकि केलों की पत्तियों में कई बार रोग भी लगता है, ठंडे मौसम व तेज हवा के कारण पुराने पत्ते फटने लगते हैं. इसके लिए आपको उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक पत्तों को फटने से बचाने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट और बोरॉन को ड्रिप के द्वारा दिया जाना चाहिए.
पान के पत्तों की खेती
देश के अलग-अलग इलाकों में पानी की खेती होती है. वैज्ञानिकों की मानें तो भारत में पान की 100 से ज्यादा किस्में पाई जाती हैं. पान की खेती से किसानों को भारी मुनाफा भी होता है. पान की खेती उन इलाकों में अच्छी होती है, जहां बारिश की वजह से नमी ज्यादा रहती हैं. इसलिए दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के राज्य पान की खेती के लिए अनुकूल हैं. पान की खेती हल्की ठंडी और छायादार जगह पर अच्छे से होती है.अगर खेती के वक्त सभी बातों का ध्यान रखा जाए तो प्रति हेक्टेयर 100 से 125 क्विंटल पान की उपज हो सकती है. दूसरे और तीसरे साल 80 से 120 क्विंटल पैदावार होती है. बाजार में हरे, पीले पान के अलग-अलग भाव मिलते हैं. इसके अलावा आप पान के तेल बनाने वाले प्लांटों पर भी पत्ते बेच सकते हैं. सरकार पान की खेती करने के लिए भी पैसे देती हैं. जैसे बिहार के मगही पान के क्रेज को देखते हुए सरकार इसकी खेती पर 50 फीसदी सब्सिडी देती है. इस तरह 300 वर्ग मीटर में मगही पान की खेती की लागत 70500 रुपये आती है, जिसमें से सरकार के द्वारा 35250 रुपए दिए जाते हैं.
सहजन के पत्तों की खेती
सहजन के पत्तों की खेती किसानों को कम लागत में अच्छी कमाई दे रही है. सहजन एक बहुवर्षीय, कमजोर तना और छोटी-छोटी पत्तियां वाला पौधा होता है. सहजन समान्यता 25-30 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान पर हरा-भरा होता है और ठंड को भी सहता है. एक एकड़ में करीब 1200 पौधे लग सकते हैं. एक एकड़ में सहजन का पौधा लगाने का खर्च करीब 50 से 60 हजार आएगा. सहजन की सिर्फ पत्तियां बेचकर आप सलाना 60 हजार रुपए तक कमा सकते हैं वहीं सहजन फलियों का उत्पादन कर सालाना 1 लाख रुपए से ज्यादा कमाई कर सकते हैं. इसके अलावा आप सहजन फली, फूल भी बेच सकते हैं. इस फसल की खासियत यह है कि एक बार बुवाई करने के बाद चार साल तक बुवाई नहीं करनी पड़ती. सहजन एक औषधीय पौधा है. इसकी पत्तियों का उपयोग आयुर्वेदिक बूटी के रूप में किया जाता है. इसलिए भारत ही नहीं दुनियाभर में इसकी मांग काफी है.
साखू के पत्तों की खेतीः साखू एक बहुवर्षीय पेड़ है. यह पेड़ पहाड़ों में अधिक पाया जाता है. इसकी लकड़ी का इस्तेमाल इमारती कामों में होता है तो वहीं इसके पत्ते का इस्तेमाल भी केले के पत्ते की तरह खाना परोसने व शादियों में अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल होता है. साखू की लकड़ी भी काफी महंगी बिकती है. यानि आप एक पेड़ से दो तरह से कमाई कर सकते हैं. एक बीघा में इसके 130 पौधे लगते हैं और एक एकड़ में करीब 650 पौधे. इन्हें तैयार होने में करीब 7 से 9 साल का समय लगता है. इसके पौधे 100- 200 रुपए प्रति नग के हिसाब से बिकते हैं तो वहीं परिपक्व होने पर इसकी कीमत 40 से 60 हजार हो जाती है।