बदलते हुए समय के साथ सबसे बड़ी चुनौती कम होती जमीन है. यही कारण है कि शहरीकरण के इस दौर में अर्बन फार्मिंग की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है. अर्बन फार्मिंग के सहारे शहरों में भी लोग कम से कम जगह में खेती कर पा रहे हैं. हालांकि भारत जैसे देश के लिए अभी भी यह कॉन्सेप्ट थोड़ा नया ही है इसलिए भारत सरकार लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही है. चलिए आपको इस फार्मिंग के बारे में विस्तार से बताते हैं.
टेरेस फार्मिंग (छत पर खेती)
अगर आपके घर पर खाली छत है तो आप उसका प्रयोग टेरेस फार्मिंग के लिए कर सकते हैं. इसके तहत आप मेरीगोल्ड, बेगोनिअस, एलोवेरा, क्रीपिंग-रोज आदि उगा सकते हैं.
बालकनी फार्मिंग
आप चाहें तो अपने बालकनी को फार्मिंग के लिए प्रयोग कर सकते हैं. इसके तहत आप वेर्बेना, मारीगोल्डस और मॉर्निंग ग्लोरी आदि उगा सकते हैं.
वर्टिकल फार्मिंग
घर की दीवारों पर आप फार्मिंग कर सकते हैं. इसके तहत बेल वाली फसलों को उगाया जा सकता है.
फायदें
अर्बन फार्मिंग की सहायता से आप आसानी से साल भर आलू-टमाटर पत्तेदार सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं. इस तरह की खेती में आमतौर पर पानी की बहुत कम जरूरत पड़ती है. इसे करने का एक सबसे बड़ा फायदा ये भी है कि इससे बाजार पर आपकी निर्भरता कम होती है. आपके दैनिक आहार की जरूरतें आपके घर में उत्पादित हुई सब्जियों से ही पूरा हो जाता है. जिससे आपके घर का बजट सही रहता है. इसलिए ये आम लोगों के भी बजट में है. कई विशेषज्ञों का दावा है कि आने वाले समय में अर्बन फार्मिंग ही लोगों को रोजगार प्रदान करेगी और खेती का भविष्य होगी. कृषि कार्यों का विस्तार इसी से होकर गुजरेगा.