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Updated on: 27 December, 2019 4:23 PM IST

झुंझुनूं जिले में एक शहर है चिड़ावा, वैसे तो ये शहर भी आम शहरों की तरह ही है. लेकिन रसीले पेड़ों के साथ-साथ यहां बनने वाला साग-रोटा क्षेत्र को समूचे भारत में अलग पहचान देता है. फूलगोभी और मटर की प्याज-लहसून के तड़के से बनने वाला साग (सब्जी) की तरह दूध-घी के मोयन लगे बेसन के रोटे (रोटियां) तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. वैसे तो साग-रोटा बनाने का तरीका बहुत पुराना है लेकिन पिछले 10 से 12 सालों में इसने व्यावसायिक रूप ले लिया है.

सर्दियों में खास लोकप्रिय है साग-रोटाः

झुंझुनूं जिले के लगभग सभी दुकानों, होटल्स, ढाबों आदि में सर्दी के मौसम में साग- रोटा ही मिलता है. आपको जानकार हैरानी होगी कि इसकी एक डाईट चार सौ रुपए तक बिक रही है.

ऐसे बनता है साग-रोटाः

प्राप्त जानकारी के मुताबिक साग बनाने के लिए शुद्ध घी और दो सौ से अढाई सौ ग्राम फूलगोभी-मटर की जरूरत पड़ती है. घी को गर्म करने के बाद जीरा, प्याज का तड़का लगाते हुए लहसून, लाल सूखे धनिये, मिर्च, अदरक, हरी मिर्च को पकाया जाता है. मसाला तैयार होने के बाद उसमें पहले से काटकर रखी गई सब्जियां डाली जाती है.

इसी तरह रोटा बनाने के लिए बेसन और आटे की जरूरत पड़ती है. अगर बेसन की मात्रा  70 प्रतिशत है तो आटे की मात्रा 30 फीसदी तक होना जरूरी है. इसे दूध में गूंदकर घी का मोयन लगाया जाता है.

लोगों को मिल रहा है रोजगारः

साग-रोटा क्षेत्र की विशेष पहचान बनता जा रहा है. जिसके कारण हजारों लोगों को रोजगार मिल रहे हैं. झुंझुनूं का साग-रोटा जयपुर, जैसलमेर, उदयपुर आदि महानगरों में भी लोगों को खासे पसंद आ रहे हैं. इतना ही नहीं यहाँ आने वाले विदेशी सेलानियों को भी साग-रोटा भा रहा है.  

English Summary: people of Jhunjhunu district earn good profit by making of saag rota know more about it
Published on: 27 December 2019, 04:27 PM IST

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