सस्टेनेबल कृषि उत्पादों और समाधानों का वैश्विक प्रदाता, यूपीएल लिमिटेड एक महत्वपूर्ण समाधान कुप्रोफिक्स लेकर आया है. इस प्रोडक्ट के साथ कंपनी का लक्ष्य खेती में कॉपर के इस्तेमाल को फिर से बहाल करना है.
यह उत्पाद कॉपर और फंगीसाइड मैंकोज़ेब का मिश्रण है, जो न केवल फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण को रोकता है, बल्कि उपचारित पौधे को सल्फर, ज़िंक और मैंगनीज भी प्रदान करता है और बीमारी से ठीक होने की प्रक्रिया में तेजी लाता है.
कॉपर और उसके मिश्रणों का इस्तेमाल भारत में युगों से हो रहा है. मिट्टी को ठीक रखने और बीमारियों पर नियंत्रण के लिये कॉपर के सल्फर, कैल्शियम या जिप्सम के साथ मिश्रण भारत में खेती का हिस्सा हैं. प्लांट सिस्टम में कॉपर का पॉजिटिव आयन न केवल बीमारी से ठीक करने के लिये पौधे के कुछ एंज़ाइमों को प्रेरित करता है, बल्कि बैक्टीरिया को बढ़ने से रोककर संक्रमण टालने में भी इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। कुल मिलाकर, यह एक बेहतरीन धातु है, जो बिजली को चलाने की अपनी क्षमता के अलावा खेती में भी कई भूमिकाएं निभाता है.
कॉपर का इस्तेमाल किसानों के लिये बहुत कठिन था क्योंकि यह पानी में ठीक से नहीं घुलता है, पत्ती पर ठीक से नहीं फैलता है, नोज़ल को बार-बार बंद कर देता है और स्प्रे टैंक में जम जाता है. इसके अलावा फलों पर कॉपर के छिड़काव से उन पर कॉपर का धब्बा रह जाता है और वे अच्छे नहीं दिखते हैं और कभी-कभी तो कॉपर के अवशेष भी उभर आते हैं। कॉपर की बेहतरीन क्षमता के बावजूद भारतीय कृषि में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था. इन बातों को ध्यान में रखते हुए, यूपीएल ने भारतीय किसानों के लिये कुप्रोफिक्स नामक नई खोज की और उसे लॉन्च किया.
कुप्रोफिक्स कॉपर के जमने की मुख्य समस्या को दूर करता है और किसानों को एक सक्षम और कम खर्चीला टूल देता है. कुप्रोफिक्स में “डिस्पर्स’’ नामक फार्मूलेशन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से स्प्रे टैंक की क्षमता बढ़ती है और यह भारतीय कृषि में इस्तेमाल के लिये एक अनोखी टेक्नोलॉजी है. अग्रणी टेक्नोलॉजी “डिस्पर्स’’ के इस्तेमाल से स्प्रे टैंक का नोज़ल साफ रहता है और छिड़काव बराबर होता है, फसल पर स्प्रे का कोई धब्बा नहीं रहता है और बीमारियों पर मजबूत और एकसमान नियंत्रण मिलता है.
यूपीएल में इंडिया रीजन के रीजनल डायरेक्टर श्री आशीष डोभाल ने कहा, “यूपीएल में हम किसानों के कल्याण और समृद्धि के लिये समर्पित हैं, क्योंकि वे हमारे मुख्य साझीदार हैं. नवाचार के माध्यम से हम किसानों को ऐसे स्थायित्वपूर्ण उत्पाद प्रदान करना चाहते हैं, जो आर्थिक रूप से उनके जीवन को बेहतर बनाएं. कुप्रोफिक्स अपनी अग्रणी डिस्पर्स टेक्नोलॉजी के कारण लागत क्षमता और बीमारियों पर नियंत्रण के मामले में उद्योग के लिये स्थिति को बदलने वाला रहेगा.”
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कुप्रोफिक्स के एसेट मैनेजर श्री जॉय तिलक देब ने कहा, “यूपीएल कुप्रोफिक्स जैसे अत्याधुनिक नवाचारों से भारतीय किसानों को फसलों की बीमारियों पर प्राकृतिक रूप से नियंत्रण करने की आदत दोबारा दे रहा है.
पिछले दो वर्षों में विभिन्न फसलों की 870,000 एकड़ भूमि को कुप्रोफिक्स से ट्रीट किया जा चुका है, और जिस प्रकार किसानों ने इसे अपनाया है और वे कॉपर पर दोबारा भरोसा जता रहे हैं, वह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है.”