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Updated on: 14 February, 2023 2:00 PM IST
बाजरे से बने कुल्हड़ में पीये चाय

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माघ मेले का त्यौहार चल रहा है. ऐसे में यहां देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां पहुंच रहे हैं. इस दौरान मेले में रागी और मक्के के मोटे दानों से बने पौष्टिक कुल्हड़ों ने चाय प्रेमियों का ध्यान खींचा है. जिसमें आप चाय पीने के बाद कुल्हड़ को फेंकने के बजाय इसे खा सकते हैं.

इस कुल्हड़ को बनाने वाले अंकित राय ने बताया कि बाजरे से बने इन कुल्हड़ों की मांग पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि लगभग दो साल पहले बाजरा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने बाजरे से बने खाद्य युक्त कुल्हड़ बनाना शुरु किए थे. इसको बनाने के लिए उनके पास एक विशेष तरह का साँचा है, जिसकी मदद से एक बार में 24 कप बनाए जा सकते हैं.

वह बताते हैं कि इन उत्पादों को देवरिया, गोरखपुर, सिद्धार्थ नगर और कुशीनगर सहित पूर्वी यूपी के छोटे गांवों में चाय विक्रेताओं को काफी समय से बेचते आ रहे हैं. लेकिन अब प्रदेश के अन्य हिस्सों में इस कप ने लोगों के दिल को जीतने में कामयाबी हासिल की है. वर्तमान में प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसकी वृद्धि देखी जा रही है.

आपको बता दें कि बाजरे को लेकर दिलचस्प बात यह है कि यह कुल्हड़ बाजार में ऐसे समय में आए हैं, जब संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में भारत के एक प्रस्ताव के बाद 2023 को "अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष" के रूप में मनाने की घोषणा की है. 

बाजरे से बने कुल्हड़ बनाने का खर्च

अंकित राय ने बताया कि इस कुल्हड़ को तैयार करने में 5 रुपये और चाय परोसने में कुल 10 रुपये का खर्च आता है. कुल्हड़ पर्यावरण के अनुकूल भी हैं और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के प्रयास में सम्मलित हैं.

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बाजरा प्राचीन काल से ही हमारे आहार का प्रमुख हिस्सा रहा है. बाजरा की खेती में पानी की कम आवश्यकता होती है, इसके अलावा इसके तमाम स्वास्थ्य लाभ भी हैं. केंद्र सरकार लोगों के बीच बाजरे को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इसके उत्पादन और खपत को लेकर लगातार प्रयासरत है.

English Summary: Drink tea in kulhad made of millet, you can eat cups
Published on: 14 February 2023, 12:17 PM IST

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