भारत में विदेशी तकनीकों से कई किसानों को फायदा मिल रहा है। वह आधुनिक तकनीकें उनका ना केवल समय, पैसा और मेहनत बचा रही हैं, बल्कि ज्यादा मुनाफा भी दे रही हैं। आइए, खेती के उन नायाब तरीकों पर एक नजर डालें।
फार्मिंग टेकनिक्स- आजकल खेती के पुराने तरीके पूरी तरह से ठप हो गए हैं। अब विज्ञान की मदद से संसाधनों की बचत हो गई है। इसके साथ मुनाफा भी सीधे दोगुना हो गया है। अब किसान खेती के लिए नई मशीनों व तकनीकों का इस्तेमाल करने लगे हैं। जो उन्हें फायदा भी पहुंचा रही हैं.
ड्रिप सिंचाई- दुनिया भर में पानी की भारी समस्या है। इसको ध्यान में रखते हुए किसानों को सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है। उन्हें उन तकनीकों के बारे में बताया जा रहा है, जो कम सिंचाई में ज्यादा उत्पादन करने में सक्षम हैं। सूक्ष्म सिंचाई में ड्रिप ओर स्प्रिंकलर तकनीक आते हैं। ये तकनीक जरूरत के हिसाब से पानी को सीधा जड़ तक पहुंचाते हैं। माना जाता है की इस तकनीक से किसान 60 पप्रतिशत तक पानी की बचत करते हैं। इसके अलावा, इसकी मदद से उत्पादन भी ज्यादा होता है।
वर्टिकल फार्मिंग- बढ़ती जनसंख्या की वजह से दुनिया भर में जमीन की कमी देखी जा रही है। ऐसे में लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए, पूरी दुनिया में वर्टिकल फार्मिंग को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वर्टिकल फार्मिंग को खड़ी खेती के नाम से भी जाना जाता है। इसमें खेत की कोई आवश्यकता नहीं होती है। घर की दीवार पर भी फसल को उगाया जा सकता है। ये खेती के बिल्कुल अनोखे तरीके हैं। वर्टिकल फार्मिंग के जरिए कम जगह में ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं।
ग्राफ्टिंग तकनीक- आज के समय में बीज के साथ पौधे उगाने में ही ज्यादा समय चला जाता है। ऐसे में किसानों ने ग्राफ्टिड पौधों से खेती करनी शुरू कर दी है। ग्राफ्टिंग तकनीक की मदद से पौधे के तने से नया पौधा बना लिया जाता है। ग्राफ्टिड पौधे बहुत ही कम समय में फल, फूल और सब्जी का उत्पादन करना शुरू कर देते हैं।
हाइड्रोपॉनिक- यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें खेती के लिए केवल पानी की आवश्यकता होती है। इसमें मिट्टी का कोई लेना देना नहीं है। आजकल दुनिया में कई देश हाइड्रोपॉनिक तकनीक की मदद से सब्जी और फलों उत्पादन कर रहे हैं। भारत में भी कुछ किसान इस तकनीक का फायदा उठाकर पैसा कमाने में कामयाब हो रहे हैं।