विश्वभर में मछलियों की लगभग 20,000 प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें से 2200 प्रजातियां भारत में ही पाई जाती हैं. दुनियाभर में मछली के विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर उपयोग में लाया जाता हैं. इसके मांस की उपयोगिता हर जगह देखी जाती है. ऐसे में आज के दौर में मछलियों का बाजार व्यापक है. गौरतलब है कि आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है. एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था. परंतु बदलते दौर में वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करते हुए मछली पालन के लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं. और इसे रोजगार का जरिया बनाया जा रहा है.
मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर नए-नए योजनाओं को लाने के साथ-साथ सब्सिडी भी मुहैया कराया जाता है. इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार की ओर से 'समेकित खेती योजना' की शुरुआत किया गया है. उत्तराखंड सरकार का मानना है कि 'समेकित खेती योजना' ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का बड़ा जरिया बनेगी.
बता दें, कि उत्तराखंड में मछली उत्पादन से जुड़ी नीली क्रांति को बढ़ावा देने के लिए 'समेकित खेती योजना' में मछली पालन को भी शामिल कर लिया गया है. अब तक कृषि, पशुपालन व उद्यान विभाग को ही इस योजना से जोड़ा गया था. समेकित खेती के लिए बनाए जा रहे टैंकों में मछली पालन भी किया जा सकेगा. इस योजना के लिए उत्तराखंड के हल्द्वानी ब्लॉक के ग्रामीण मनरेगा के तहत भी आवेदन कर सकते हैं.
योजना का लाभ
पर्वतीय क्षेत्रों में मछली पालन तालाब निर्माण के लिए कुल लागत 50 हजार रुपये रखी गई है. जिसमें विभाग किसानों को 25 हजार रुपये की सब्सिडी मुहैया कराएगा. जबकि मैदानी क्षेत्रों में लगभग एक लाख रुपये निर्माण में खर्च आने पर सामान्य जाति के किसानों को 40 हजार और एससी, एसटी को 60 हजार रुपये तक का अनुदान मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सभा की खुली बैठक में प्रस्ताव पारित करवाकर गांव में मनरेगा से भी तालाब निर्माण का कार्य कराया जा सकेगा. इस योजना के बारें में और अधिक जानकारी के लिए आप उत्तराखंड के मत्स्य पालन वेबसाइट haridwar.nic.in/hi/मत्स्य-विभाग पर विजिट कर सकते है.
योजनाओं की जानकारी
'मत्स्य विभाग' नैनीताल की ओर से मछली पालन को प्रोत्साहन देने के लिए जिलेभर में गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी. जिसमें सरकार द्वारा 'जलाशय विकास योजना' के अंतर्गत किसानों को मछली पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए चलाया जा रहे कार्यक्रमों व योजनाओं की जानकारी दी जाएगी. जिसके तहत क्षेत्रवार गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा. बता दे कि मछली पालन विभाग के साथ ही योजना में गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के मत्स्य विशेषज्ञ सहयोग करेंगे. विभाग के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के प्रवक्ता व विशेषज्ञ किसानों को हर जानकारी मुहैया कराने के लिए वह अपना पूरा सहयोग देंगे.
रोजगार और किसानों की बढ़ेगी आय
इस योजना का मुख्य उद्देश्य 'समेकित खेती योजना' के अंतर्गत मुर्गीपालन, सूकर पालन, भेड़ पालन, सब्जी उत्पादन के साथ ही अब मत्स्यपालन को बढ़ावा देना है. इसलिए मछली पालन को अन्य योजनाओं के साथ जोड़ा गया है. जिससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिल सके और किसान इसे अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकें.