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Updated on: 8 August, 2024 6:31 PM IST
देश के युवाओं का कृषि में अहम योगदान

कृषि भारत के लोगों का मुख्य व्यवसाय है और इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा माना जाता है. भारत को युवाओं और ग्रामीणों की भूमि के रूप में जाना जाता है. देश की 72% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और कृषि उनका मुख्य आजीविका है. राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 30 प्रतिशत है. देश के विकास और प्रगति में देश के युवाओं का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. राष्ट्रीय युवा नीति  के अनुसार युवाओं के आयु वर्ग को 15-29 वर्ष के रूप में परिभाषित किया गया है. देश की 2021 की जनगणना के अनुसार 35 से कम आयु के युवाओं की संख्या देश की कुल जनसंख्या का 66 प्रतिशत यानि 80.8 करोड़ है.

यह सर्वविधित है कि भारत के युवा ग्रामीण अर्थ्रव्यवस्था की रीढ़ हैं और वे नयी तकनीकी का उपयोग करने में भी कुशल हैं. भारतीय युवाओं ने तकनीकी के क्षेत्र में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपने कौशल का प्रदर्शन किया है. खेती और अनाज किसी भी देश में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसलिए ग्रामीण युवाओं को कृषि में भाग लेने और नयी तकनीक की मदद से कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना अनिवार्य है.

पहले कृषि ग्रामीण युवाओं के लिए उद्योग का पहला विकल्प था लेकिन अब यह आखिरी विकल्प बन गया है. देश के प्रगति के साथ-साथ देश के युवाओं का कृषि में से आकर्षण कम हो रहा है इसी कारण भविष्य में किसानो की कमी खल सकती है. देश के युवाओं के कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित करने हेतु भारत सरकार विविध योजनाएं शुरू कर रही है.

आर्या-योजना जिसका उद्देश्य युवाओं को कृषि में आकर्षित करना ओर बनाये रखना है. इस योजना को 2015 में शुरू किया गया. ये परियोजना प्रत्येक राज्य से एक जिले में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है.  ए.एस.सी.आय.- ”भारतीय कृषि कौशल परिषद“ जिन्होंने कृषि के उभरते क्षेत्रों में देश की जनशक्ती के कौशल को विकसित करने के माध्यम से भारतीय कृषि को बदलने की जिम्मेदारी ली है. 16 जनवरी 2016 को भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई “स्टार्टअप इंडिया“  पहल ने उद्यमियों को सहायता देने, मजबूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण और भारत में नौकरी तलाशने वालों की जगह नौकरी सर्जन देश में बदलने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आरंभ किए. ”स्टैंड -उप भारत योजना“ 2016 में विशेष रूप से महिलाएं और पिछडे वर्ग जैसे की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को ध्यान में रख कर लायी गयी है. पि.एम.इ.जी.पि.-योजना को ”प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम“ के नाम से जाना जाता हैं. इस योजना के तहत मिलने वाले बिजनेस लोन की खास बात यह है की, इसमें सरकार द्वारा 35% तक की सब्सिडी भी मिलती है. भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत के अभियान की सफलता में भी खेती की बड़ी भूमिका है.

कृषि में युवाओं का भागीदारी

युवाओं में कृषि के प्रति जिग्यासा बढाने के लिए भारत सरकार अब कृषि से जुड़ी शिक्षा को, उसके व्यावहारिक उपयोग को स्कूल स्तर पर ले जाना चाहती है. प्रयास है की गांव के स्तर पर मिडिल स्कूल लेवल पर ही कृषि के विषय को पढ़ाया जाए. स्कूल स्तर पर कृषि शिक्षा और उसके व्यावहारिक -में खेती से जुडी जो    उपयोग का बच्चों को ज्ञान देने से दो लाभ होंगे. एक लाभ होगा कि गांव के बच्चों का एक स्वाभाविक समझ होती है, उसका वैज्ञानिक तरीके से विस्तार होगा और वे कृषि को अपने भविष्य के तोर पर भी अपनाने का विचार करेंगे. दूसरा लाभ ये होगा कि वे खेती और इससे जुड़ी तकनीकी, व्यापार-कारोबार, इसके बारे में अपने परिवार को ज्यादा जानकारी दे पाएंगे. इससे देश में कृषि उद्यमशीलता को भी बढ़ावा मिलेगा.

कृषि गतिविधियों के लिए देश के युवा आधुनिक तकनीक विकसित कर सकते हैं, तो कृषि को मुख्य आजीविका के रूप देखने का उनका दृष्टिकोण सकारात्मक हो सकता है. आज का युग बेहद तेज और कुशल है, इसलिए हर कोई उनके क्षेत्र मे नवीनतम तकनीक विकसित करने पर ध्यान दे रहा है. कृषी क्षेत्र में भी आधुनिक तकनीक और उसके उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है. किसानो को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि को हाईटेक बनाने के भी प्रयास जारी हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने 2023 साल के कृषि बजट में कृषि को हाईटेक बनाने का फैसला ले लिया था. ड्रोन का इस्तेमाल अब खेतों में विभिन्न् रोगानाशक एवं कीटनाशको का छिड़काव करणे के लिए किया जाने लगा हें. खेती की सुविधा के लिए आधुनिक मशीनरी और विविध मोबाइल एप विकसित किए जा रहे हैं.

युवाओं में विशेष गुण होते हैं और वे किसी भी तरह की तकनीक से आसानी से जुड़कर उसे अवगत कर सकते हैं. युवको का शिक्षा स्तर, कृषि में रुचि, विशिष्ट कौशल, मित्रों की राय, पैतृक व्यवसाय, कृषि के लिए उपलब्ध भूमि आदि जैसे कारक ग्रामीण युवाओं द्वारा खेती को मुख्य व्यवसाय के रूप में स्वीकारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कोविड-19 महामारी के कहर के बीच बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ी है. देश के युवा नौकरी पाने में असफल हो रहे है.

बेकारी और बेरोजगारी के कारण उनकी क्षमता और महत्वाकांक्षा बर्बाद हो रही है, इसलिए ग्रामीण युवा तकनिकी की मदद से कृषि को प्रमुख आजीविका बनाकर बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर सकते हैं और अपने खाद्य उत्पादन के लक्ष्यों को प्राप्त कर देश को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. कृषि में युवाओं की भागीदारी का मुख्य उद्देश्य कृषि में अनुकूल परिवर्तन लाना और इसके लिए युवाओं की ऊर्जा को जुटाना है.

लेखक:
संगीता भट्टाचार्या
वैज्ञानिक, भा.कृ.अनू.प-केद्रीय नीबूवर्गीय फल अनुसंधान संस्थान, नागपुर

English Summary: Youth play an important role in the development of agriculture and progress of the country
Published on: 08 August 2024, 06:36 PM IST

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