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Updated on: 5 September, 2024 1:47 PM IST
आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्राकृतिक खेती विशेषज्ञ महादेव गोमारे ने बनाया न्यूट्रिशन गार्डन मॉडल

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एक अनूठी पहल ने गरीब और आदिवासी महिलाओं के जीवन को बदल दिया है. यह पहल ‘माँ गंगा न्यूट्रिशन गार्डन मॉडल’ के रूप में जानी जाती है, जो प्राकृतिक खेती से सब्जी उत्पादन का एक क्रांतिकारी तरीका है. इस मॉडल को महाराष्ट्र के लातूर जिले के आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्राकृतिक खेती विशेषज्ञ महादेव गोमारे ने विकसित किया है. महादेव गोमारे आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से पिछले कई दशकों से प्राकृतिक खेती के विभिन्न तरीकों पर शोध कर रहे हैं.

न्यूट्रिशन गार्डन मॉडल क्या है?

यह मॉडल लगभग 750 वर्ग मीटर (एक गुंठा)जमीन के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस मॉडल की खास बात यह है कि इसके माध्यम से हर दिन ताज़ी, पोषकतत्वों से पूर्ण और सेहतमंद सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं. इस मॉडल में सात समकेंद्रिक वृत्त होते हैं, जो एक गोलाकार पिज्जा की तरह दिखते हैं. ये सात हिस्से सप्ताह के सात दिनों के अनुसार सब्जियाँ उगाने के लिए विभाजित किए जाते हैं.

लगभग 3 फुट व्यास का सबसे अंदरूनी गोलाकार हिस्सा, पपीते और केले जैसे फलदार पेड़ों या फिर कम्पोस्ट गड्ढे के लिए रखा गया है. सबसे बाहरी गोला, जो केंद्र से 15 फीट दूर होता है, इसमें बड़े पौधे लगाए जा सकते हैं. इस मॉडल की सबसे दिलचस्प बात यह है कि वे रास्ते जो गोलों के बीच में होते हैं, उन्हें बाँस की छतरी से ढक दिया जाता है और उस पर बेलदार पौधे लगाए जाते हैं. यह संरचना न केवल जगह को सुंदर बनाती है, बल्कि अधिकतम उत्पादन के लिए भी अनुकूल होती है.

आर्ट ऑफ लिविंग संस्था का योगदान

आर्ट ऑफ लिविंग संस्था, जो विश्वभर में शांति, स्वास्थ्य और सस्टेनेबल विकास के लिए प्रसिद्ध है, इस मॉडल को गाँवों में लागू करने में मदद कर रही है. आर्ट ऑफ लिविंग के लातूर स्थित प्राकृतिक खेती संस्थान के माध्यम से महादेव गोमारे ने इस मॉडल को न सिर्फ किसानों तक पहुँचाया है, बल्कि ज़िला परिषद स्कूलों और अन्य संस्थानों में भी इसे लागू किया है ताकि बच्चों को पौधों की देखभाल, खाद बनाने की प्रक्रिया और पोषण से भरपूर सब्जियों के बारे में सिखाया जा सके.

स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण

यह मॉडल सिर्फ खेती का एक तरीका नहीं है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं और किसानों के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. बाजार में मिलने वाली सब्जियाँ अधिकतर रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से उगाई जाती हैं इसलिए कई बार उसके प्रयोग से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बना रहता है. माँ गंगा मॉडल के माध्यम से लोग घर पर ही प्राकृतिक खेती के माध्यम से सब्जियां उगा सकते हैं, जो न केवल पौष्टिक होती हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती हैं. इसके साथ ही, झारखंड की कई आदिवासी महिलाएं इस मॉडल से 50,000 रुपये सालाना कमा रही हैं, जो उनके जीवन में आर्थिक स्थिरता ला रही है.

माँ गंगा न्यूट्रिशन गार्डन मॉडल का विस्तार

आर्ट ऑफ लिविंग का लक्ष्य है कि इस मॉडल को और अधिक गाँवों में फैलाया जाए. इस वर्ष, उन्होंने लातूर के ज़िला परिषद स्कूलों और झारखंड के कई इलाकों में इसे सफलतापूर्वक लागू किया है. यह मॉडल उन लोगों के लिए आदर्श है, जिनके पास कम जमीन है और जो न्यूनतम पानी और संसाधनों के साथ अधिकतम उत्पादन करना चाहते हैं.

यह मॉडल न केवल किसानों को वित्तीय रूप से सशक्त कर रहा है, बल्कि इसे अपनाने वाले समुदायों को भी स्वास्थ्य और खुशहाली की दिशा में आगे बढ़ा रही है. आर्ट ऑफ लिविंग के प्राकृतिक खेती प्रशिक्षक महादेव गोमारे की यह पहल भारत के ग्रामीण इलाकों में एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर एक मजबूत कदम है.

English Summary: You can grow 7 types of vegetables in a week Mahadev Gomare created a nutrition garden model
Published on: 05 September 2024, 01:50 PM IST

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