इस संसार में जो कुछ भी है उसका मूल अस्तित्व मिट्टी से है. मिट्टी ही जीवों को जन्म देती है और उनकी रक्षा करती है. जीवन का पालन-पोषण मिट्टी से ही संभव है. लेकिन आधुनिकता के इस युग में ना सिर्फ वैचारिक तौर पर बल्कि भौतिक तौर पर भी मिट्टी से हम दूर होते जा रहे हैं. अपने लालच, स्वार्थ और जरूरतों को पूरा करने के लिए हम अधिक से अधिक मिट्टी का दोहन कर रहे हैं. यही कारण है हमारे आस-पास बीमारियों ने अपना घर बना लिया है. धरती पर जीवन को बनाये रखने के लिए मिट्टी की महत्वताओं और महिमा को समझने की जरूरत है.
आज है मिट्टी दिवसः
5 दिसंबर को हर साल 'विश्व मिट्टी दिवस' के रूप में मनाया जाता है. ऐसा करने का मुख्य लक्ष्य यही है कि इंसान सभी जरूरतों की पूर्ती करने वाली मिट्टी की महत्वता को समझे. आज बढ़ते हुए प्रदूषण और नाना प्रकार के रसायनों के कारण उपजाऊ मिट्टी जहरीली बनती जा रही है, ऐसे में मिट्टी को सुरक्षित रखने एवं लोगों को जागरूरक करने के लिए ये दिन और अधिक जरूरी हो जाता है.
क्यों मनाते हैं मिट्टी दिवसः
पहली बार 2013 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 05 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का संकल्प लिया था. जिसका पालन करते हुए संपूर्ण विश्व ने अगले ही साल 05 दिसंबर 2014 को इसे मनाया.
तेजी से बंजर हो रही है धरतीः
जो धरती कभी उपजाऊ थी और जहां कभी हरियाली ही हरियाली थी आज वो तेजी से बंजर होती जा रही है. इकोलॉजी का ये पूरा चक्र एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और इसी कारण खेती-बाड़ी भी गिरते हुए मिट्टी के स्वास्थ से अछुते नहीं रह गये हैं. वैसे सिर्फ प्रदूषण को दोष देना ही सही नहीं है. किसान भाईयों ने स्वयं भी रसायनिक खादों, कीड़ेमार दवाईओं और तरह-तरह के जहरिलें उत्पादों का उपयोग कर मिट्टी को बंजर बनाने का काम किया है.
सरकारी स्तर पर उपेक्षित है मिट्टीः
मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में भारत ही नहीं दुनियाभर के सरकारों के प्रयास मात्र दिखावे भर हैं. सुधार के कार्य कागजों में दिखाई तो देते हैं लेकिन धरातल पर नहीं.