डाक भारत समेत पूरी दुनिया के लिए एक बहुत व्यापक नेटवर्क है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि डाक से लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इंटरनेट व टेलिफोन से पहले केवल डाक ही दूरसंचार का माध्यम हुआ करता था.
केवल डाक के द्वारा ही चिट्ठी व तोहफे भेजे जाते थे. लेकिन अब बदलते दौर में डाक का महत्व भी बदल गया है. अब चिट्ठी की जगह व्हाट्सएप, फेसबुक आदि ने ले ली है. आज डाक दिवस के अवसर पर हमे फिर से डाक के महत्व को बढ़ाने की जरूरत है.
राष्ट्रीय डाक दिवस
भारत में 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है. खास बात यह है कि भारत में एक सप्ताह तक डाक दिवस मनाया जाता है. भारत को पूरी दुनिया की सबसे बड़ी डाक प्रणाली में से एक माना जाता है. बता दें भारत में पहला डाक घर सन् 1774 में कोलकाता में खोला गया था. जिसके बाद से अब तक डाकघरों की संख्या बढ़कर 1.55 लाख से भी अधिक हो गई है. इसकी अहमियत एक बार फिर हमें कोरोना के वक्त पता लगी. जब पूरा देश ठप था, तब केवल डाक द्वारा लोगों तक दवाएं पहुंचाने से बहुत मदद मिली. इसके साथ ही अब डिजिटल के इस दौर में डाक भी अब डिजिटल सेवाएं प्रदान कर रहा है.
विश्व डाक दिवस
यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना के अवसर से विश्व डाक दिवस मनाया जा रहा है. 09 अक्टूबर 1874 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन शुरूआत स्विट्जरलैंड से की गई थी, जिसके बाद से हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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विश्व डाक दिवस के लिए थीम
जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए एक बड़ी समस्या बन रही है, जिससे निपटने के लिए कई देश बढ़- चढ़ कर आगे आ रहे हैं. ऐसे में विश्व डाक दिवस की थीम “पोस्ट फॉर प्लेनेट” (post for planet) रखी गई है.