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Updated on: 13 September, 2022 1:57 PM IST
हिंदी दिवस विशेष

भारत एक बहुभाषी देश है यहां पर संवैधानिक रुप से 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, जिसमें हिन्दी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. देश आजाद होने के बाद संविधान सभा में हिन्दी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रुप में अपनाया गया था, इसलिए 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाता है.

दरअसल, ये दिन न केवल हिन्दी भाषी लोगों के लिए बल्कि दूसरी भारतीय भाषाओं के लोगों के लिए भी काफी अहम है, क्योंकि भारत में 22 भाषाओं में से हिन्दी ही एक मात्र ऐसी भाषा है, जिसे देश के 70 फीसद से ज्यादा लोग समझ और बोल सकते हैं.

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एक प्रकार से देखा जाए, तो हिन्दी भारत को एक सूत्र में बांधने के काम करती है. हालांकि हिन्दी को लेकर देश में कई प्रकार की अन्य बहसें भी हैं, लेकिन आज के इस लेख में हम हिन्दी के इतिहास और उसकी उपलब्धियों को संक्षिप्त में समझने की कोशिश करेंगे.   

कैसे शुरु हुआ हिंदी दिवस मनाने का सिलसिला

हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1949 की संविधान सभा से होती है. दरअसल, देश आजाद होने के बाद भारत में राजभाषा के रुप में किसी एक भाषा को चुना जाना था, जिससे देश के सभी आधिकारिक काम किसी एक भाषा में किए जा सकें और सभी भाषाओं में हिन्दी एक ऐसी भाषा उभरकर सामने आई, जिसे देश में ज्यादा लोग बोल और समझ सकते हैं, इसलिए 14 सितंबर 1949 को हिंदी राज भाषा के रुप में मान्यता दे दी गई. उसके बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. 

विश्व हिन्दी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में क्या अंतर है

अक्सर लोग विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में अंतर नहीं कर पाते हैं, लेकिन आपको बता दें कि विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रचार प्रसार करना है. वहीं इसके कुछ महीने बाद 14 सितंबर को  राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है. जिसके पीछे हिन्दी को राजभाषा के रुप में घोषित करना है.

English Summary: why do we celebrate hindi diwas every year, know here
Published on: 13 September 2022, 02:07 PM IST

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