मोटे अनाज एक प्रकार का प्राचीन अनाज है खाने वाले अनाज को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है। पॉजिटिव अनाज, न्यूट्रल अनाज व नेगेटिव अनाज के रूप में विभाजित गया है। इनमें से पॉजिटिव अनाज और न्यूट्रल अनाज को ही मोटे अनाज कहा जाता है। मोटे अनाज Poaceae परिवार के अंतर्गत आता है। कुछ मोटे अनाज Poaceae परिवार से संबंधित होता है। यह भारत, नाइजीरिया और अन्य एशियाई और अफ्रीकी जैसे देशों में उगाया जाता है। यह एक छोटा, गोल और साबुत अनाज है, जिसे बहुत कम पानी में उगाया जा सकता है।
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से 72 देशों के सहयोग से 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है। भारत के अधिकतर राज्य सरकारें किसानों को मोटे अनाज उगाने के लिए प्रेरित कर रही हैं और साथ ही लोगों को थाली तक इसे पहुंचाने के लिए भी जागरूकता फैलाई जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य है लोगों को मोटे अनाज जैसे पोषक अनाजों के बारे में जागरूक करना, खासतौर पर शहरों में जहां गेहूं और चावल की प्रचलनता ज्यादा होती है। इस चुनौतीपूर्ण काम में थालियों तक 10 प्रकार के पोषक अनाजों को पहुंचाना एक महत्वपूर्ण कदम है। इसलिए, मोटे अनाज के प्रोसेस्ड फूड उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन उत्पादों को बनाने के लिए भारत में कई संगठनों और कंपनियों ने काम शुरू किया है। इनमें से कुछ उदाहरण हैं– सोलरी, प्रथम दाना, इंडियन मोटा अनाज अंडर्सटैंडिंग एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (IMAD), आदि। इन संगठनों द्वारा मोटा अनाज से बने प्रोसेस्ड फूड उत्पादों का विस्तार किया जा रहा है ताकि इसे लोगों तक आसानी से पहुंचाया जा सके।
आयुर्वेद और विज्ञान के अनुसार मोटे अनाज का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक आहार माना गया है। यह पोषण से भरपूर होते हैं मोटे अनाज पोषक तत्वों का पॉवर हाऊस है। इन्हें खाने से शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व हमारे शरीर में प्राकृतिक तरीके से पहुंचते हैं। मोटे अनाज रक्तचाप को कम कर सकते हैं और गैस्ट्रिक अल्सर, कब्ज, सूजन, मोटापे और पेट के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं मोटे अनाज फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो इसे एक संपूर्ण अनाज बनाता है जो विभिन्न तरीकों से आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है। मोटे अनाज का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा की प्राप्ति होती है और मेटाबॉलिज्म सिस्टम सुचारू रूप से कार्य करता है जो लोग मोटापे से परेशान है उनको नियमित भोजन में मुख्य रूप से मोटा अनाज को शामिल करना चाहिए। मोटे अनाज 9 तरह के पाये जाते हैं जो इस प्रकार हैं ।
विभिन्न प्रकार के मोटे अनाज
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‘पुनर्वा’ (चीना) (Proso millet)
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ज्वार (Sorghum millet)
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बाजरा (Pearl millet)
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रागी (Finger Millet)
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सांवा या सनवा बाजरा (Barnyard millet)
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कोदो बाजरा (Kodo millet)
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छोटी कंगनी हरी कंगनी बाजरा (Browntop millet)
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कंगनी बाजरा (Foxtail millet)
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कुटकी बाजरा (Little millet)
चीना (Proso millet):
चीना (पुनर्वा) एक प्रकार का अनाज होता है जिसका वैज्ञानिक नाम “Panicum miliaceum” है। दक्षिण एशिया, यूरोप और अफ्रीका में इसकी खेती व्यापक रूप से की जाती है बाजरा के दाने छोटे होते हैं और सफेद रंग के होते हैं। इसमें कई पोषक तत्व और विटामिन होते हैं जैसे कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B6, फॉलिक एसिड और नियासिन। इसके अलावा, कुछ मिनरल्स जैसे कि कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम और सोडियम होते हैं।
ज्वार (Sorghum):
ज्वार एक मोटे अनाज फसल है जो कि कई प्रजातियों में उगाई जाती है। इसमें से अधिकतर प्रजातियों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है। हालांकि, sorghum bicolor नाम की एक ज्वार प्रजाति को खाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। ज्वार अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होता है जैसे विटामिन बी, मैग्नीशियम, फ्लेवोनॉइड, फेनोलिक एसिड और टैनेन।
बाजरा (Pearl millet):
बाजरा एक मोटा अनाज है जो सबसे ज्यादा उगाया जाता है और सबसे ज्यादा खाया जाता है। भारत और अफ्रीका में बाजरे की सबसे अधिक खेती होती है। इसे बजरी या कंबू के नाम से भी जाना जाता है। बाजरा को कम सिंचाई वाले इलाकों में भी उगाया जा सकता है और यह उन इलाकों के लिए एक वरदान है बाजरे के दाने को अलग करने के बाद, इसे पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, बाजरे के फसल अवशेषों से जैव ईंधन बनाया जाता है। बाजरे में प्रोटीन, फाइबर, अमीनो एसिड जैसे कई न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो स्वस्थ आहार के रूप में उपयोगी होते हैं। बाजरे से ब्रेड, दलिया, कुकीज और अन्य विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं।
रागी (Finger Millet):
रागी एक प्रकार का अनाज है रागी को मडुआ और नाचनी नाम से भी जाना जाता है। यह राई के दाने की तरह गोल, गहरे भूरे रंग का चिकना दिखता है। आयरन से भरपूर रागी रेड ब्लड सेल्स में हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने के लिए एक जरूरी ट्रेस मिनरल है। इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और फाइबर जैसे विभिन्न पोषक तत्व मौजूद होते हैं। रागी का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह हृदय रोगों को रोकता है, मधुमेह को नियंत्रित रखता है, रक्त शर्करा को कम करता है और डाइजेस्टिव सिस्टम को स्वस्थ रखता है।
सांवा या सनवा (Barnyard millet):
सांवा 5 पॉजिटिव मोटा अनाज में से एक है। यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है। 45 से 60 दिन के अंदर यह काटने के लिए तैयार हो जाता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। सांवा ग्लूटेन-फ्री होता है, जिससे यह ग्लूटेन एलर्जी वाले लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प होता है। इसके अलावा सांवा आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग होता है और मधुमेह के मरीजों के लिए एक अच्छी खाद्य पदार्थ होता है। इसके सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है और साथ ही यह शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। सांवा की खीर, उपमा, और दोसा जैसी विभिन्न पकवान बनाए जाते हैं।
कोदो (Kodo millet):
कोदो पांच पॉजिटिव मोटा अनाज में से एक है। हिंदी में इसे कोदों या के द्रव कहा जाता है। इसका रंग लाल होता है और इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कफ और पित्त दोष को शांत करते हैं। कोदो को ब्लड प्यूरीफायर कहा जाता है क्योंकि इससे डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर और पेट संबंधी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। इसका सेवन लिवर और किडनी के लिए भी फायदेमंद होता है और किडनी संबंधी रोगों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है।
छोटी कंगनी/हरी कंगनी (Browntop millet)
ब्राउन टॉप एक पॉजिटिव अनाज है जिसकी ऊपरी परत ब्राउन रंग की होती है, जिसे इसके नाम के रूप में उल्लेख किया जाता है। इसे हरी कंगनी और छोटी कंगनी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी धातुओं का रंग हल्का हरा होता है। यह फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है और ग्लूटेन मुक्त होने के कारण इसे एलर्जी वाले लोग भी सेवन कर सकते हैं। इसमें विटामिन-ए और विटामिन-सी के साथ-साथ विटामिन B 17 भी होता है जो कैंसर से लड़ने में मदद करता है। ब्राउन टॉप के सेवन से डायबिटीज, हृदय रोग और पेट संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं। इसका सेवन एडिक्शन से रिकवरी करने में भी मदद करता है।
कंगनी (Foxtail millet)
कंगनी एक पॉजिटिव अनाज होता है इसकी खेती दक्षिण भारत में की जाती है। इस छोटे पीले दाने वाले अनाज में फाइबर की मात्रा अच्छी होती है और यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होता है। कंगनी में एमिनो एसिड्स, प्लांट कंपाउंड, विटामिन्स और कई मिनरल्स भी पाए जाते हैं।
कुटकी (Little millet)
कुटकी एक प्रकार का पॉजिटिव अनाज होता है जो भारत में प्रचलित है। यह एक छोटा दाना होता है जो सफेद रंग का होता है। इसकी खेती भारत में की जाती है और इसे मुख्य रूप से जंगली भूमि में उगाया जाता है। कुटकी ग्लूटेन-फ्री होता है जो उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो ग्लूटेन से पीड़ित होते हैं। इसमें फाइबर, प्रोटीन और भी अनेक पोषक तत्व होते हैं जो इसे स्वस्थ खाद्य पदार्थ बनाते हैं। यह विभिन्न बीमारियों से बचाव करने में मदद करता है जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर।
मोटे अनाज खाने के लाभ और इसके औषधीय गुण:
रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना:
शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत बनाने के लिए नियमित रूप से मोटा अनाज खाना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। क्योंकि इनमें शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं।
मधुमेह से बचाव:
मोटे अनाज टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से बचाने में सहायक होते हैं। नियमित आहार में मौजूद फाइबर के द्वारा निर्धारण होता है कि ग्लूकोज का उत्पादन कम या अधिक मात्रा में करना है आजकल जो अनाज खाया जाता है वह नकारात्मक अनाज (गेहूं, चावल) है।
इन दोनों में ही फाइबर की मात्रा केवल 0.2 से 1.2 प्रतिशत ही है और वो भी छिलके (ऊपरी परत) में है। जब इन्हें पॉलिश किया जाता है तो वह भी समाप्त हो जाता है। वर्तमान में मैदा या मैदे से बने प्रोडक्ट का अधिक प्रयोग किया जाता है। मैदा बनाने के लिए गेहूं के आटे में अलोक्सोन रसायन का प्रयोग किया जाता है। इसलिए जब मैदे से बने पदार्थों का नियमित सेवन किया जाता है तो यह रसायन धीरे-धीरे शरीर की पैंक्रियाटिक ग्रंथि में बीटा कणों को उत्पन्न करने की शक्ति कम करता रहता है। जो मधुमेह का कारण बनता है। इसलिए फाइबर युक्त भोजन करना चाहिए मोटे अनाज यानी पॉजिटिव ग्रेन्स फाइबर युक्त होता है और यह डायबिटीज का इलाज और इससे बचाने में मददगार साबित होता है।
मोटापा घटाना:
मोटे अनाज शरीर में फैट कम करने यानी वजन घटाने में बहुत सहायक होता है। बाजरे में अधिक मात्रा में फाइबर और ट्रिप्टोफैन (एमिनो एसिड) पाया जाता है। जब मुख्य भोजन में मोटे अनाज का सेवन करते हैं तो फाइबर और ट्रिप्टोफैन के कारण वह धीमी गति से पचता है।
जिसके कारण पेट लम्बे समय तक भरा हुआ महसूस होता है जिससे ज्यादा खाने से बच जाते हैं और मोटापा या वजन घटाने में मदद मिलती है।
फाइबर की पूर्ति:
हमारे शरीर को प्रतिदिन 38 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। जब दिन के तीन समय के भोजन में मोटा अनाज का सेवन किया जाता हैं तो हमें 25 से 30 प्रतिशत फाइबर की मात्रा प्राप्त हो जाती है बाकी की मात्रा हम दाल, सब्जी, फ्रूट, सलाद आदि से प्राप्त कर लेते हैं।
मोटा अनाज में फाइबर की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसलिए जब मोटा अनाज को प्रतिदिन के भोजन में शामिल किया जाता है तो फाइबर शरीर में पहुंचकर शरीर के अंदर होने वाली रासायनिक क्रियाओं को ठीक करने का काम करता है ताकि शरीर में उत्पन्न होने वाली ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित किया जा सके।
ह्रदय को स्वस्थ रखना:
इसमें मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ने से रोकते हैं व ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मददगार होते है। जिसके कारण ह्रदय से जुड़े रोगों से बचने में लाभ मिलता है और ह्रदय स्वस्थ व मजबूत रहता है।
अस्थमा रोग से राहत:
मोटा अनाज बाजरा खाने से अस्थमा में राहत मिलती है। मोटा अनाज में पाए जाने वाले शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों के कारण अस्थमा के अटैक व घबराहट से छुटकारा दिलाने में यह उपयोगी होता है। इसलिए अपने नियमित भोजन में मोटा अनाज को शामिल करने से ऐसी खतरनाक बीमारी से बचने में मदद मिलती है।
एसिडिटी से छुटकारा:
मोटा अनाज में मौजूद पोषक तत्व शरीर को एसिडिटी से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं। एसिडिटी को समाप्त या नेचुरल करने के लिए एन्टी-एसिडिक पदार्थो का सेवन करना लाभदायक होता है। एन्टी एसिडिक को आयुर्वेद में क्षार कहते हैं। मोटा अनाज में पाए जाने वाले तत्व शरीर की अम्लता को प्राकृतिक रूप से दूर करने का कार्य करते हैं। इसी कारण इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर के एसिड को न्यूट्रल करने में कारगर होते हैं।
विटामिन बी की पूर्ति:
यह नियासिन (विटामिन बी3) का भी अच्छा स्रोत होता है। मोटा अनाज विटामिन बी3 (नियासिन) को प्राप्त करने का प्राकृतिक स्रोत है। सभी प्रकार के मिलेट्स में नियासिन पाया जाता है। यह विटामिन मानव शरीर की क्रियाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में लाभदायक:
इसका नियमित सेवन करना शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में लाभदायक होता है। मोटा अनाज में पाया जाने वाला ट्रिप्टोफैन शरीर को एनर्जी प्रदान करने और एक्टिव बनाने के मुख्य भूमिका निभाता है। खान-पान की गलत आदतों के कारण आई कमजोरी दूर करने में मोटा अनाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है यह शारीरिक ऊर्जा को बरकरार रखने उपयोगी होता है।
कैंसर रोग में मोटा अनाज लाभदायक:
मोटा अनाज कैंसर से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में प्लांट लिगनेन पाया जाता है जो पाचन तंत्र यानी Digestive system में पहुंचने के बाद एनिमल लिगनेन में बदल जाता है। प्लांट लीगनेन्स हमारे शरीर में पहुंचने के बाद स्टेरॉयड जैसी संरचना का निर्माण करते हैं जिसे फाइटोएस्ट्रोजेन कहते हैं। जिसके कारण शरीर में प्रदूषण करने वाली कोशिकाएं नहीं पनप पाती है। घुलनशील लिगनेन शरीर के ब्लड में घुलकर वहाँ के प्रदूषण को साफ करते हैं और अघुलनशील लिगनेन शरीर के पाचन तंत्र को साफ करते है।
बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करना:
मोटा अनाज में एंटीऑक्सीडेंट्स तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं। जिससे उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं मोटा अनाज का प्रयोग सौंदर्य उत्पादों को बनाने में भी किया जाता है क्योंकि बाजरे में उबिकीनों तत्व पाया जाता है जो चेहरे की झुर्रियों को कम करने में मददगार होता है।
इसके अलावा इसमें सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन ई पाए जाते हैं जो सूरज की किरणों से होने वाले नुकसान से स्किन की रक्षा करते हैं और स्किन के मलिन किरण की प्रक्रिया को कम करते हैं।
बालों की मदद करना:
बाजरा बालों से संबंधित रोग जैसे रूसी, छाल रोग और सिर की सूजन आदि को दूर करने में भी मदद करता है विशेषज्ञों के अनुसार मोटा अनाज के प्रयोग से गंजेपन से भी बचाव किया जा सकता है। मोटा अनाज में केराटिन प्रोटीन पाया जाता है जो दो मुंहे बालों को रोकने के साथ-साथ बालों को झड़ने से भी बचाता है।
शरीर से विषैले पदार्थ निकालने में मदद करना:
मोटा अनाज शरीर को डिटॉक्सिफाई करते हैं इस में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर में पहुंचकर शरीर की रासायनिक प्रक्रिया को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे शरीर को ठीक तरह से मल त्यागने में मदद मिलती है जिससे शरीर के अंदर की गंदगी सरलता से बाहर निकल जाती है और शरीर शुद्ध निरोगी बना रहता है।
झुर्रियां खत्म करना:
यह अमीनो एसिड का भी अच्छा स्रोत है अमीनो एसिड शरीर में कॉलेजन निर्माण में सहायक होता है। कोलेजन स्किन के लिए ऊतकों को सरंचना देने का कार्य करते हैं जिससे स्किन में लचीलापन बढ़ता है और झुरियां कम होती है।
डॉ प्रकाश चंद्र गुप्ता
कृषि विज्ञान केंद्र, अगवानपुर, बाढ़, पटना