आज जब पूरी दुनिया स्थिरता और स्वास्थ्य की बात कर रही है. इसकी के चलते देश-विदेश में सुपरफूड की सहभागिता बढ़ती जा रही है और यह लोकप्रिय होता जा रहा है. सुपर फूड यानी पोषक तत्वों से भरपूर मोटा अनाज, जिसे श्रीअन्न या मिलेट्स भी कहा जाता है.
मिलेट्स को गरीबों के खाने के तौर पर देखा जाता रहा है, लेकिन अब भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय श्रीअन्न वर्ष घोषित करने का निर्णय लिया है. श्रीअन्न वर्ष मनाने के लिए एकमात्र सबसे बड़ा उद्देश्य पूरे देश और दुनिया भर में उन्हें आकांक्षी बनाना और श्रीअन्न (Sri Anna) से संबंधित उत्पादन के मुद्दों पर काम करते हुए उनकी मांग बढ़ाना है. स्थिर उत्पादन और खपत को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यक्तिगत व सामुदायिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत में एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन द लाइफस्टाइल ऑफ एनवायरमेंट(Life) मिशन लॉन्च किया था. इसमें राष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स की खपत बढ़ाने की क्षमता है. यहां बताया गया है कि दुनिया में लगभग 80 प्रतिशत मिलेट्स का उत्पादन करने वाला भारत इसकी अधिक खपत के लिए क्या कर सकता है. सबसे पहले हमें मिलेट्स के सार्वजनिक उपभोग के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए तीन प्रमुख बातों पर ध्यान देना चाहिए.
मिलेट्स को बच्चों के बीच लाने और उसके उपभोग के लिए प्रेरित करना
एकीकृत बाल विकास सेवाओं और मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) योजनाओं में नामांकित बच्चों के लिए मिलेट्स आधारित विभिन्न व्यंजनों को शामिल करने से बच्चों में इसकी खपत बढ़ाने में मदद मिलेगी. विभिन्न पौष्टिक व्यंजनों के माध्यम से मिलेट्स को शामिल करने से बच्चों में इसके प्रति रुचि बढ़ सकती है और इससे उन्हें कम उम्र में ही मिलेट्स का स्वाद मिलने लगेगा. यह न केवल मिलेट्स की कुल मांग को बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि बचपन के कुपोषण और एनीमिया को कम करने में भी मदद कर सकता है. आखिरकार यह किसानों के लिए कीमत में आश्वासन के साथ एक स्थिर बाजार प्रदान करेगा. यह सुनिश्चित करेगा कि लाभार्थियों की अधिक पौष्टिक भोजन तक पहुंच हो, जिससे भारत को पोषण सुरक्षा के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल सके.
मिलेट्स के मूल्य संवर्धित जैसे 'खाने के लिए तैयार' उत्पाद लाकर दैनिक उपयोग की घरेलू वस्तुएं बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियां उपभोक्ताओं के लिए पौष्टिक विकल्प के रूप में मिलेट्स आधारित स्नैक्स का उत्पादन और विपणन शुरू कर सकती हैं. जहां कुछ कंपनियां रागी बिस्किट और चिप्स का उत्पादन कर अच्छा कर रही हैं, वहीं विभिन्न प्रकार के मिलेट्स को स्नैक्स या खाने के लिए तैयार भोजन में बदला जा सकता है. मिलेट्स को लेकर उपभोक्ताओं के लिए इसी पर आधारित खाद्य ब्रांडों की पैकेजिंग पर स्वादिष्ट और स्वस्थ रचनात्मक व्यंजनों को शामिल भी किया जा सकता है. मिलेट्स के व्यंजनों को बनाने की विधि (Millet Recipes) के ज्ञान की कमी कई लोगों के लिए एक बाधा है, और व्यंजनों को साझा करने से इसमें मदद मिल सकती है. हालांकि, ऐसा करने के लिए एक संपूर्ण अध्ययन किया जाना चाहिए, जिससे बाजार क्षेत्रों, ग्राहकों की प्राथमिकताओं और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को लेकर हमारी समझ बेहतर होगी.
विशिष्ट उपयोग के लिए पैदा की जाने वाली मिलेट्स की किस्मों की पहचान करना और उन्हें पेश करना किसानों, उद्योग और उपभोक्ताओं के उपयोग के लिए भारत में मिलेट्स की खेती की गुणवत्ता के बारे में जानकारी आवश्यक है. इससे मिलेट्स की विभिन्न किस्मों में अनाज की संरचना और प्रसंस्करण गुणवत्ता के आधार पर विभिन्न उत्पादों के लिए उपयुक्त किस्मों के चयन में मदद मिलेगी. इस प्रकार का चयन गेहूं की किस्मों में किया जा चुका है. उदाहरण के तौर पर, मजबूत ग्लूटेन और उच्च प्रोटीन सामग्री वाले कठोर गेहूं का उपयोग रोटी बनाने के लिए जबकि कम प्रोटीन सामग्री वाले नरम गेहूं और कमजोर ग्लूटेन का उपयोग बिस्किट बनाने के लिए किया जाता है. बायो-फोर्टिफाइड (प्रचुर मात्रा में पोषक तत्वों से भरपूर) किस्मों जैसी विशिष्ट गुणवत्ता आवश्यकताओं के लिए स्थानीय मांग को पूरा करने वाले मिलेट्स की आपूर्ति करने की क्षमता किसानों और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर मूल्य और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद करेगी. आमतौर पर, किसानों द्वारा पैदा किए जाने वाले अधिकांश मिलेट्स मुख्य रूप से पशुओं के चारे के लिए उपयोग किए जाते हैं और मानवों द्वारा इनका उपभोग बहुत कम मात्रा में किया जाता है. हमें यह तथ्य याद रखना होगा कि हमें मिलेट्स के लिए एक स्थिर उपयोगकर्ता आधार बनाना है और इसलिए ऐसी किस्मों को पेश करने की दिशा में काम करना है जो उपभोक्ताओं के बीच जल्दी से अपनाए जा सके. स्वाद एक महत्वपूर्ण तथ्य होता है, जिसके बिना मिलेट्स का व्यापक बाजार तैयार करना मुश्किल होगा.
मिलेट्स आजीविका को बढ़ावा देने, किसानों की आय बढ़ाने और वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा की गारंटी देने की उनकी विशाल क्षमता के कारण महत्वपूर्ण हैं. मिलेट्स की मांग में वृद्धि देश में बेशक कई छोटे और बड़े पैमाने पर प्रसंस्करण और पैकेजिंग व्यवसायों के विकास को प्रोत्साहित करेगी और उससे अधिक नौकरियां पैदा होंगी. इसे आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए सभी हितधारकों की ओर से विभिन्न स्तरों पर निरंतर प्रयास करने की जरूरत है. पिछले एक दशक में शकरकंद, नारियल, चुकंदर, कटहल और हल्दी जैसे खाद्य पदार्थों ने 'सुपरफूड्स' के रूप में लोकप्रियता हासिल की है, और अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष हमें मिलेट्स पर प्रकाश डालने का अवसर प्रदान करता है.
ऊपर दिए गए विचार कठोर अनाज को हर भारतीय के लिए आकांक्षी बनाने के लिए एक अच्छी शुरुआत के रूप में काम कर सकते हैं.
ग्राम उन्नति के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनीश जैन