सावन का महीना वैसे तो हर किसी को भाता है, लेकिन सुहागनों के लिए इसका खास अपना एक महत्व है. यह पूरा महीना भगवान शिव की भक्ति, पूजा एवं अर्चना का है. कुवारी लड़कियां सावन के महिने में सोमवार का वर्त करके मनचाहे वर की कामना करती है, तो वहीं सुहागन औरतें सोलह श्रंगार करती है. खासकर हरी-हरी चूड़ियां पहनती हैं. वैसे क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि सावन में विशेषकर हरी चूड़ियां ही क्यों पसंद की जाती है. क्या इसके पीछे भी किसी तरह की कोई लोजिक है. चलिए हम बताते हैं कि सावन में हरी चूड़ियां पहनने का क्या राज़ है.
धार्मिक महत्व-
ज्योतिष शास्त्रों की माने तो हरे रंग का सीधा संबंध बुध ग्रह से है. यह रंग व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करते हुए संतान सुख देने में सहायक होता है. हरा रंग खुशहाली का प्रतीक भी है. बुध ग्रह कारोबार एवं करियर पर भी अपना प्रभाव डालता है, इसलिए यह रंग कार्यक्षेत्र में आगे बंढ़ने में सहायक है.
भगवान शिव को प्रकृति से अथाह प्रेम है जग-जाहिर है कि महादेव ने कभी स्वर्ण हीरे मोती या आभूषणों को महत्व नहीं दिया. महादेव को हरियाली पसंद है, क्योंकि देवी पार्वती सव्यं साक्षात प्रकृति की स्वरूप हैं. हरा रंग की चूड़ियों से इसलिए सुहागन जीवन में खुशहाली आती है.
हरे रंग का महत्व मनोविज्ञान में भी है. सांइस कहती है कि हरा रंग मन एवं आंखों को सुख पहुंचाता है. हताश एवं निराश व्यक्ति को इसलिए डॉक्टर भी सलाह देतें हैं कि सुबह सुबह हरे- भरे मैदान की सैर करें.