पीपल के पेड़ की जितनी भूतिया कहानियां सुनाई गई है, शायद ही किसी और पेड़ के लिए कही गई हो. बचपन में दादा-दादी से आपने भी जरूर कोई कहानी ऐसी सुनी होगी. जिसमे कोई भूत, आत्मा या चुड़ैल आदि किसी पीपल के पेड़ पर रहती थी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पीपल के पेड़ को क्यों भूतीया कहा जाता है. क्यों आज़ भी घर के बड़े-बुजुर्ग नवजात बच्चों को इसके साये तक से दूर रहने को बोलते हैं. ऐसा क्यों कहा जाता है कि रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे कभी बैठना या सोना नहीं चाहिए. चलिए आज़ हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे का रहस्य क्या है.
पवित्र है पीपल का पेड़ :
पौराणिक मान्यताओं में पीपल को पवित्र माना गया है. स्कंदपुराण में साक्षात यहां तक कहा गया है कि यह पेड़ स्वंय भगवान विष्णु का स्वरूप है ये वृक्ष धार्मिक नज़र से देखें तो इसे श्रेष्ठ देव वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है. हिन्दू धर्म में सुख-दुख के अनेक अवसरों पर पीपल के पेड़ की पूजा का विधान है.
पीपल के पूजन से नहीं लगती है शनि की साढ़ेसाती :
पीपल के पेड़ की शक्ति इतनी प्रबल है कि इसकी अराधना से शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का कुप्रभाव भी विफल हो जाता है. शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना शुभ माना गया है. इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि शाम के समय पेड़ के नीचे दीपक जलाने से दुखों का अंत होता है. इसके अलावा संतान प्राप्ति, कामना पूर्ति या किसी कष्ट के निवारण के लिए भी पीपल वृक्ष की अराधना करनी चाहिए.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खास है पीपल वृक्ष :
इस पेड़ के बारे में स्वयं विज्ञान भी ये कहता है कि ये एक अनूठा वृक्ष है, जिसकी ना सिर्फ आयु बहुत लंबी होती है, बल्कि ये अधिक मात्रा में 24 घंटे ऑक्सीजन भी छोड़ता है.
इस कारण लोग कहते हैं पीपल वृक्ष को भूतिया :
पीपल के वृक्ष को भूतिया इसलिए कहा जाता है क्योंकि अंतिम सस्कार के बाद अस्थियों को इस पेड़ से टांग दिया जाता है. लेकिन आपको बता दें कि ऐसा इसलिए कहा जाता है कि पीपल को सभी देवताओं का निवास माना गया है और अस्थियों को पेड़ से टांगने का तात्पर्य यही है कि सांसारिक यात्रा को संपन्न करने के बाद अब मनुष्य ईश्वर की शरण में आ गया है.