दिन रात की मेहनत से किसान हमें अन्न प्रदान करता है. लेकिन अन्न उत्पादन की इस प्रक्रिया में वो खुद अपना ध्यान नहीं रख पाता. विदोशों की बात अलग है, लेकिन भारत में खेती आज़ भी मुख्य तौर पर भारी श्रम के बदौलत ही की जाती है. ऐसे में पथरिले स्तह, गिट्टी, कांटें एवं कठोर भमि पर किसानों को अपने पांवों के कटने, छिलने का डर लगा रहता है.
ऐसे में कवि चन्दन व्यास की कविता किसानों पर सार्थक साबित होती है कि "सीधे रास्ते मिल जाये मंजिल, ऐसा कोई फसाना नहीं देखा, जिसे प्यास हो मंजिल की उसकी जुबां पर बहाना नहीं देखा." निसंदेह हमारे किसान भाई अपने स्वास्थ को खतरे में डालकर पूरे राष्ट्र का पेट भरते हैं और इस पर देश को नाज़ भी है. लेकिन हर उद्योग की तरह कृषि उद्योग में भी लोगों की सुरक्षा अनिवार्य है. इसलिए आज़ हम आपको कुछ ऐसे जूतों के बारे में बतायेंगें जो मुख्य तौर पर किसानों के लिए बने हैं.
गौरतलब है कि इन जूतों को अंग्रेजी में फार्मिंग बूट कहा जाता है. ये जूते हर तरह के विपरित रास्तों पर पैरों को आराम एवं सुरक्षा देने में सक्षम होते हैं. इसके इस्तेमाल से आप पथरिले रास्तों या कठोर भूमि पर भी आराम से खेती के कार्य करने में सक्षम हैं.
गम्बूट्स
ये जूते आमतौर पर पैरों को 15 से 20 इंच तक पानी, कीटों एवं जहरीलें जानवरों से सुरक्षा प्रदान करते हैं. इनका ग्रिप जबरदस्त होता है, इसलिये दलदली भूमि पर भी स्लिप होने का डर नहीं होता. वैसे बाज़ार में इन जूतों पर आजकल कई तरह के नये प्रयोग भी हुए हैं. इन जूतों के टो स्टिल के बनने लगे हैं. इनकी कीमत कुछ 600 रूपये से शुरू हो जाती है.
जस्टिन बूट्स
ये जूते भी पैरों को सुरक्षा देने में सक्षम हैं. किसान किसी भी विपरित मौसम में इनका प्रयोग कर सकता है. इनकी कीमत कुछ 17,00 रूपये से शुरू हो जाती है.
मक बूट्स
बहुत ही ठंड़ें क्षेत्रों में इस तरह के जूतों का इस्तेमाल किया जा सकता है. ये पैरों को पाले के प्रकोप से बचाता है. इनकी कीमत 14,00 से शुरू हो जाता है.