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Updated on: 19 September, 2019 5:19 PM IST

गांव के सभी बच्चे स्कूल नहीं जा सकते थे. ना तो सभी के मां-बाप आर्थिक तौर पर समर्थ थे और ना ही सामाजिक रूप से इतने जागरूक कि सरकार की सभी योजनाओं का लाभ लेते हुए अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सके. बालिकाओं की हालत शिक्षा के मामले में लगभग वैसी ही थी, जैसी अधिकतर गांवों में होती है. संसाधनों का अभाव और स्कूल की दूरी ने उन्हें किताबों तक पहुंचने ही नहीं दिया. लेकिन इस गांव में एक इंसान ऐसा भी था जो बच्चों की शिक्षा को लेकर प्रयासित था.

दरअसल हम जिस गांव की बात कर रहे हैं, उसका नाम दर्गेनहल्ली है. ये गांव महाराष्ट्र के सोलापुर में पड़ता है. वैसे तो ये गांव भी भारत के आम गांवों की तरह सामान्य सा ही है, लेकिन इन दिनों यहां के रहने वाले काशिनाथ कोली चर्चा का विषय बने हुए हैं.

गौरतलब है कि काशिनाथ पिछले 6 महीने से अपने बैलगाड़ी को ही चलती-फिरती लाइब्रेरी बनाकर गांव के बच्चों को ज्ञान बांट रहे हैं. इस काम के लिए ना तो वो किसी तरह का पैसा लेते हैं और ना ही कोई विशेष मांग करते हैं. उनके इस कदम से गांव के उन किसानों के बच्चों को भी अब शिक्षा मिल रही है जो अभावों के कारण किताबें खरीदने में सक्षम नहीं थे.

जानकारी के मुताबिक, अपनी कोशिश और कड़ी मेहनत के बल पर काशिनाथ ने तकरीबन डेढ़ हजार किताबों का संग्रह किया है, जो बैलगाड़ी-लाइब्रेरी की मदद से बच्चों तक पहुंच रही है. वैसे काशिनाथ कोली पेशे से ऑफिस बॉय ही हैं. लेकिन विकली ऑफ और छुट्टी के दिन वो शिक्षा का प्रचार-प्रसार करते हैं.

इस बारे में गांव के किसानों ने बताया कि काशिनाथ सिर्फ बच्चों को मुफ्त में किताबें ही नहीं प्रदान करते बल्कि उनके विकास के लिए हर संभव सहायाता के लिए तैयार भी रहते हैं. यही कारण है कि गांव के सभी बच्चों में वो बहुत लोकप्रिय है.

English Summary: son of farmer convert his bullock cart into library
Published on: 19 September 2019, 05:23 PM IST

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