लहसुन एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर होता है. इसमें एलीसीन, एलीन और सल्फर जैसे यौगिक मौजूद होते हैं जो लहसुन को और ज्यादा असरदार औषधि बना देते हैं. इन तत्वों और यौगिकों की वजह से ही लहसुन का स्वाद कड़वा होता है, लेकिन यही घटक लहसुन को संक्रमण दूर करने की क्षमता भी देते हैं. आयुर्वेद में लहसुन को पाचक, सारक, रस विपाक, तीक्ष्ण भग्नसंधानक (टूटी हड्डी जोड़ने वाला), पित्त एवं रक्तवर्धक, शरीर में बल, मेधाशक्ति तथा आँखों के लिए हितकर रसायन माना गया है. ये पेट के कीड़े मारता है साथ ही कोढ़ यानी सफेद कुष्ठ को भी जड़ से मिटा देता है. लहसुन ब्लड क्लॉटिंग को रोकता है इसलिए सुबह के समय खाली पेट लहसुन की एक कली खाना चाहिए. जिनका खून गाढ़ा होता है उन के लिए लहसुन का सेवन बहुत फायदेमंद है. कील-मुंहासे की समस्या में रोज खाली पेट लहसुन की कच्ची कली का सेवन खून साफ करता है जिससे कील-मुंहासे की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाती है.
एंटीऑक्सीडेंट गुणों के चलते लहसुन कोलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर व ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत कारगर सिद्ध होता है इसलिए इसका नियमित रूप से सेवन अनेक लाभ दे सकता है, साथ ही इंफेक्शन को दूर भगाने में भी लहसुन काफी महत्वपूर्ण है. रोजाना पांच बूंद लहसुन का रस एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है साथ ही गले में मौजूद सारी इन्फेक्शन दूर हो जाती है. लहसुन का सेवन बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है. दांत में दर्द में लहसुन की कली पीसकर यदि दर्द की जगह पर लगा दी जाए तो कुछ ही मिनटों में दर्द गायब हो जाता है. कान के दर्द में, सरसों या तिल के तेल में लहसुन की कलियां गर्म कर के और इसे ठंडा करके दो बूंदे कान में डालने से लाभ होता है.फ्लू में लहसुन की एक कली को दो काली मिर्च के साथ पीसकर रोजाना 2 बार सूंघने से फ़्लू बहुत जल्दी ठीक होता है.
लहसुन में मौजूद सल्फर यौगिक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-अर्थराइटिक गुण मौजूद होता है, जिससे कमर, जोड़ों का दर्द, गठिया या अर्थराइटिस में सरसों के तेल में अजवाइन, लहसुन और हींग डालकर मालिश करना राहतकारी साबित होता है. मधुमेह यानी डायबिटीज के रोगियों के लिए बार बार पेशाब करना उनके शरीर से पोटाशियम को कम कर देता है जबकि लहसुन उस कमी को पूरा करता है. लहसुन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी लाभकारी होता है. पुराने लहसुन के सेवन से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (जो कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल होता है) के स्तर को कम करने में मदद मिलती है. इसके साथ ही इसमें मौजूद एंटी-हाइपरलिपिडेमिया गुण टोटल कोलेस्ट्रॉल और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है. दमा और एलर्जी की समस्या के लिए लहसुन लाभकारी होता है. एलिसिन युक्त लहसुन के सप्लीमेंट के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है जिससे सर्दी जुकाम की
समस्या का जोखिम कम होता है.
लहसुन हड्डियों के लिए भी काफी लाभकारी होता है. कच्चा लहसुन या लहसुन युक्त दवा के सेवन से शरीर में कैल्शियम अवशोषण में मदद मिलती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के कमजोर होने की बीमारी) की समस्या में राहत मिलती है. इसके अलावा लिवर में सूजन की शिकायत में लहसुन की कली का सेवन करना उपयोगी साबित होता है. लहसुन किडनी संक्रमण की रोकथाम में भी मदद करता है. इसका एंटीमाइक्रोबायल गुण आंतों के लाभकारी माइक्रोफ्लोरा और हानिकारक एंटरोबैक्टीरिया के बीच अंतर कर हानिकारक बैक्टीरिया को बनने से रोकने में मदद करता है. इसमें एंटी-कैंसर गुण मौजूद होता है. लहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण, सिस्प्लैटिन (कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा) के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है.
बढ़ती उम्र में अल्जाइमर और डिम्नेशिया लोगों को प्रभावित करता है. ऐसे में एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर लहसुन का सेवन संज्ञानात्मक गिरावट से बचाव करता है. लहसुन का सेवन आंखों को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है. एकैंथअमीबा आंखों के संक्रमण, खासकर केरेटाइटिस (आंख के सामने का पारदर्शी हिस्सा कॉर्निया, जब इसमें सूजन हो जाती है) का कारण बन सकता है. इसमें अमीबिसाइडल (अमीबा को खत्म करने वाला गुण) गुण पाया जाता है, जो इस अमीबा से बचाव कर आंखों को इससे होने वाले संक्रमण के जोखिम को कुछ हद तक कम करता है. लहसुन में मौजूद एलिसिन में एंटीमाइक्रोबायल गुण मौजूद होते हैं, जो मुंह के बैक्टीरिया खत्म करने में मदद करता है. लहसुन के अर्क युक्त टूथपेस्ट या माउथवॉश का उपयोग कैविटी के जोखिम से बचाव के लिए लाभकारी होता है. लहसुन में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुणों से, कील-मुंहासों से बचाव में लहसुन लाभकारी होता है.
लेखक: डॉ. विपिन शर्मा
सहायक प्रोफेसर (रसायन विज्ञान),वनस्पति विज्ञान विभाग
डॉ. वाईएसपी यूएचएफ़ नौनी, सोलन (HP)
मो: 09418321402