Nilgai Crop Protection: भारत के किसान अपनी फसल की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता में रहते हैं. अक्सर देखा गया है कि नीलगाय का प्रकोप से फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचता है, जिसके बचाव के लिए किसान काफी अधिक राशि व कई तरह के देसी जुगाड़ भी लगाते हैं, लेकिन उसका कोई खास फायदा नहीं होता है. इसी क्रम में आज हम आपको ऐसे एक किसान के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपनी सूझ-बूझ के चलते नीलगाय से फसल को सुरक्षित रखते हैं. जिन सफल किसान की हम बात कर रहे हैं उनका नाम शिव प्रसाद सहनी है. यह बिहार के सिवान जिले के रहने वाले हैं.
आपकी जानकारी के लिए बात दें कि किसान शिव प्रसाद सहनी ने मछली के अवशेष से एक बेहतरीन घोल तैयार किया है, जिसके इस्तेमाल से खेतों में नीलगाय से फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है.
मछली के अवशेष से ऐसे तैयार किया घोल
सिवान जिला के किसान शिव प्रसाद सहनी ने नीलगाय को भगाने के लिए एक नवाचार किया है. सहनी ने मछली के अवशेष तथा मुर्गी के अंडे को मिलाकर दवा तैयार की, जिससे नीलगाय पर बहुत असर होता है. इस दवा को बनाने के लिए 10 लीटर पानी में 5 किलो मछली का अवशेष तथा 5 मुर्गी का अंडा को फोड़कर एक बर्तन में 4-5 दिन के लिए रख दिया जाता है और उसका मुंह ठीक से बंद कर दिया जाता है.
पांचवें दिन बर्तन का मुंह खोलकर घोल को लकड़ी के डंडे से हिलाकर अच्छी तरह मिला दिया जाता है. उसमें से लगभग 5 लीटर घोल निकालकर छननी / महीन कपड़े से छान लिया जाता है. बाकी घोल को उसी बर्तन में रख दिया जाता है और उसका मुंह ठीक से बंद कर दिया जाता है. छान कर तैयार किये गये घोल की 250 ग्राम मात्रा में 10 लीटर पानी मिलाकर खड़ी फसल पर छिड़काव किया जाता है. इस घोल की गंध के कारण नीलगाय उस खेत में प्रवेश नहीं करती है और फसल की सुरक्षा हो जाती है.
किसान शिव प्रसाद के अनुसार, 15 दिन बाद इस घोल के पुनः खेत में छिड़काव करके नीलगाय के प्रकोप से फसल के बचाया जा सकता है. सहनी के इस नवाचार में कृषि विज्ञान केन्द्र, सिवान में तकनीकी सहयोग प्रदान किया है.