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Updated on: 1 May, 2025 5:19 PM IST
न नीली, न गाय– फिर क्यों पड़ा नाम 'नीलगाय'? (सांकेतिक तस्वीर)

Nilgai Facts:  इस पूरी दुनिया में अलग-अलग तरह के जीव जंतु पाए जाते हैं. कुछ जानवरों का स्वभाव बहुत शांत होता है और कुछ जीवों का स्वभाव बहुत खतरनाक जोकि इंसान की जान तक लेने पर उतारू हो जाते हैं. आज हम ऐसे ही एक जानवार की जानकारी देंगे, जिनका नाम आप सब लोगों ने बहुत बार सुना होगा. जी हां हम नीलगाय की बात कर रहे हैं, जोकि भारत, नेपाल और पाकिस्तान समेत अन्य कई देशों में पाई जाती है. वही, भारत में यह गाय विशेष रूप से उत्तर भारत, मध्य भारत और राजस्थान के खुले जंगलों और खेतों के आसपास दिखाई देती है. गाय की यह नस्ल शाकाहारी होती है और मुख्य रूप से घास, झाड़ियों और फसलों को खाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शाकाहारी गाय का नाम नील गाय ही क्यों पड़ा. न तो यह दिखने में नीली है और न ही यह गाय की तरह लगती है फिर ऐसा क्यों है?

आइए आज के इस आर्टिकल में हम किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली नीलगाय से जुड़े इतिहास के बारे में जानते हैं, जो शायद ही आप जानते होंगे. आगे जानिए इस पशु का नाम "नीलगाय" क्यों पड़ा...  

घोड़े जैसी बनावट, पर दौड़ने में नहीं उतना सक्षम

नीलगाय का शरीर घोड़े की तरह लंबा होता है, लेकिन इसकी बनावट ऐसी होती है कि यह घोड़े जितनी तेज़ी से नहीं दौड़ सकती है. इसका पिछला हिस्सा उसके अगले हिस्से से नीचा होता है, जो इसकी गति को प्रभावित करता है. यह शांत स्वभाव का जानवर है, लेकिन खतरा महसूस होने पर काफी तेज़ भागती है.

नीलगाय ही क्यों पड़ा गाय का नाम?

नीलगाय भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी मृग (एंटीलोप) प्रजाति है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Boselaphus Tragocamelus कहा जाता है. हालांकि इसके नाम में "गाय" शब्द आता है, लेकिन यह न तो गाय है और न ही इसका गाय से कोई सीधा संबंध है. नीलगाय का नाम इसके धूसर या स्लेटी रंग की वजह से पड़ा है, जो दूर से नीले रंग जैसा प्रतीत होता है. विशेष रूप से नर नीलगाय में यह रंग ज्यादा स्पष्ट नजर आता है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने इसी आधार पर इसे ‘नीलगाय’ नाम दे दिया.

नीलगाय का जीवनकाल

नीलगाय आमतौर पर झुंड में रहना पसंद करती है. ये दिन के समय सक्रिय होती हैं, और रात में अपेक्षाकृत शांत रहती है. इनका जीवनकाल लगभग 10 से 15 वर्षों का होता है. नीलगायों में प्रजनन वर्षभर होता है, लेकिन ज्यादातर बच्चे सर्दियों में जन्म लेते हैं.

नोट - संरक्षण की दृष्टि से नीलगाय अभी संकटग्रस्त नहीं मानी जाती, लेकिन कृषि क्षेत्रों में यह एक चुनौती बन चुकी है. सरकार द्वारा कुछ इलाकों में इसकी बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.

लेखक: रवीना सिंह

English Summary: Nilgai Mysteries Hidden Shocking Facts Behind Nilgai Name
Published on: 01 May 2025, 05:25 PM IST

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