अब तक शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजी और सरकारी स्तर पर हिंदी को ही बढ़ावा दिया जाता था. लेकिन नई शिक्षा नीति में अब क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान महत्व दिया गया है. तीन दशक से भी अधिक लंबे समय के बाद 29 जुलाई 2020 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित की. 1986 में नई शिक्षा नीति घोषित की गई थी और 1992 में कुछ संसोधन किया गया था. इतने लंब अंतराल के बाद इस बार नई शिक्षा नीति में प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा के शीर्ष तक कई बदलाव किए गए हैं. अंग्रेजी और हिंदी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान रूप से महत्व दिया गया है. शिक्षा प्राप्त करने के लिए मातृ भाषा को ही सहज और आसान समझा गया है. हिंदी समेत 22 क्षेत्रीय भाषाओं में भी समान रूप से पठन पाठन की व्यवस्था की जाएगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर पर मैं यहां उल्लेख करूंगा ताकि आप भी शिक्षा व्यवस्था में होने जा रहे आमुलचूल परिवर्तन से परिचित हो सकें.
उच्च शिक्षा में 2035 तक सकल नामांकन अनुपात बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. नई शिक्षा नीति के तहत मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है. वर्तमान व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद छात्र किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. यह छात्रों के हित में एक बड़ा निर्णय है.
शुरू होगा नेशनल मिशन
स्कूल शिक्षा में किए गए बदलाव के तहत 6-9 वर्ष के जो बच्चे आमतौर पर कक्षा 3 में होते हैं, उनके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा ताकि बच्चे बुनियादी साक्षरता और न्यूमरेसी को समझ सकें. स्कूली शिक्षा के लिए खास करिकुलर 5+3+3+4 लागू किया गया है. इसके तहत 3-6 साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा ताकि उसकी फाउंडेशन लिटरेसी और न्यूमरेसी को बढ़ाया जा सके. इसके बाद मिडिल स्कूल यानी 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा. कक्षा 6 से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी. नई शिक्षा नीति के तहत 3-6 वर्ष के बीच के सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक-बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
वर्ष 2025 तक बुनियादी साक्षरता
ग्रेड 3 में प्रारंभिक भाषा और गणित पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. एनईपी 2020 का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रेड 3 तक के प्रत्येक छात्र को वर्ष 2025 तक बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान हासिल कर लेना चाहिए. स्कूल में व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के एकीकरण के साथ सभी विषयों – विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, भाषा, खेल, गणित इत्यादि पर समान रूप से जोर दिया जाएगा.
वर्ष 2030 तक 100 प्रतिशत सकल नामांकन
विभिन्न उपायों के माध्यम से वर्ष 2030 तक समस्त स्कूली शिक्षा के लिए 100 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करना लक्षित किया गया है. यह सुनिश्चित करना लक्षित है कि कोई भी बच्चा जन्म या पृष्ठभूमि की परिस्थितियों के कारण सीखने और उत्कृष्टता प्राप्त करने के किसी भी अवसर से वंचित न रहें. सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों पर विशेष जोर दिया जाएगा.
वंचित क्षेत्रों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र
वंचित क्षेत्रों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र और अलग से लिंग समावेश निधि की स्थापना की जाएगी. उच्चतर शिक्षा की प्रोन्नति हेतु एक व्यापक सर्वसमावेशी (अम्ब्रेला) निकाय होगा जिसके अंतर्गत मानक स्थापन, वित्त पोषण, प्रत्यायन और विनियम के लिए स्वतंत्र इकाइयों की स्थापना की जाएगी. वोकेशनल शिक्षा समस्त प्रकार की शिक्षा का एक अभिन्न अंग होगी. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत छात्रों कोवोकेशनल शिक्षा प्रदान करना है.
एक नई इकाई स्थापित की जाएगी
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन अनुसंधान और नवाचार को उत्प्रेरित और विस्तारित करने के लिए देशभर में एक नई इकाई स्थापित की जाएगी. शिक्षा में प्रौद्योगिकी अधिगम, मूल्यांकन, योजना व प्रशासन को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग व विचारों के नि:शुल्क आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय बनाया जाएगा.
ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा
कक्षा प्रक्रियाओं में सुधार, शिक्षकों के व्यावसायिक विकास का समर्थन, वंचित समूहों के लिए शैक्षिक पहुंच बढ़ाने और शैक्षिक योजना, प्रशासन तथा प्रबंधन को कारगर बनाने के लिए शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रौद्योगिकी का उपयुक्त एकीकरण किया जायेगा. संक्रामक रोगों और वैश्विक महामारियों में हुई वृद्धि को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों का एक व्यापक सेट तैयार किया जाएगा, ताकि जब भी और जहां भी पारंपरिक और व्यक्तिगत रूप से शिक्षा के तरीके संभव न हों, उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक तरीकों के साथ तैयार किया जा सके. शिक्षा नीति का लक्ष्य 100 फीसदी युवा एवं वयस्क साक्षरता प्राप्त करना है.
नई शिक्षा नीति के अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर एक नजर
1. पांच साल की इंटेग्रेटेड यूजी +पीजी डिग्री ली जा सकेगी.
2. यदि बीच मे कॉलेज छोड़ा तो पास किये हुए सेमेस्टर की परीक्षा नही देनी होगी.
3. बहुआयामी शिक्षा का रास्ता साफ, अर्थात विज्ञान के साथ कला के विषय मेजर व माइनर में लिए जा सकेंगे.
4. जो रिसर्च पीएचडी आदि में जाना चाहते है उनको 4 साल का डिग्री प्रोग्राम में जाना होगा और जो नौकरी या व्यापार में जाना चाहते है उनको 3 साल के डिग्री प्रोग्राम में जाना होगा.
5. क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे. वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे. एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (एनईटीएफ) शुरू किया जाएगा.
6. बोर्ड परीक्षाओं के लिए कई प्रस्ताव नई एजुकेशन पॉलिसी में है. बोर्ड परीक्षाओं के महत्व के कम किया जाएगा. इसमें वास्तविक ज्ञान की परख की जाएगी. पांचवी कक्षा तक मातृभाषा को निर्देशों का माध्यम बनाया जाएगा. रिपोर्ट कार्ड में सब चीजों की जानकारी होगी.
7. बेसिक शिक्षा में 5+3+3+4 का पैटर्न विकसित किया जाएगा जिसमे बच्चे को भाषा, संख्या के ज्ञान के बाद विषयों का ज्ञान दिया जाएगा.