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Updated on: 1 April, 2019 3:09 PM IST

साल 2019 के अप्रैल माह की शुरुआत हो चुकी है. यह महीना धार्मिक दृष्टि से साल का बड़ा ही खास महीना है क्यों कि, इस महीने में ढेर सारे व्रत और त्यौठहार पड़ रहे हैं.  6 अप्रैल को भारतीय नव वर्ष यानी कि चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है . जो 14 अप्रैल तक चलेगी. नवरात्रि वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ को मिलाकर चार बार आती हैं, जिनमें से दो (चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि ) को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.  चैत्र प्रतिपदा को पूरे नौ दिनों मां दुर्गा के अलग अलग स्वारूपों की पूजा की जाती है, जो निम्नवत हैं..... 1.  माँ शैलपुत्री,  2.  माँ ब्रह्मचारिणी,  3.  माँ चंद्रघण्टा, 4.  माँ कूष्मांडा, 5.  माँ स्कंद माता,  6.  माँ कात्यायनी,  7.  माँ कालरात्रि, 8.  माँ महागौरी, 9.  माँ सिद्धिदात्री

पूजा करने का सही समय

शरद ऋतु के समान वसंत ऋतु में भी शक्ति स्वरूपा दुर्गा की पूजा की जाती है. इसी वजह से इसे वासंतीय नवरात्रि भी कहते हैं. दुर्गा, मॉं गायत्री का ही एक नाम है. अत: इस नवरात्रि में विभिन्न पूजन पद्धतियों के साथ-साथ गायत्री का लघु अनुष्ठान भी विशिष्ट फलदायक होता है. चैत्र शब्द से चंद्र तिथि का बोध होता है. सूर्य के मीन राशि में जाने से, चैत्र मास में शुक्ल सप्तमी से दशमी तक शक्ति आराधना का विधान है. चंद्र तिथि के अनुसार, मीन और मेष इन दो राशियों में सूर्य के आने पर अर्थात चैत्र और वैशाख इन दोनों मासों के मध्य चंद्र चैत्र शुक्ल सप्तमी में भी पूजन का विधान माना जाता है. यह काल किसी भी अनुष्ठान के लिए सर्वोत्तम कहा गया है. माना जाता है कि इन दिनों की जाने वाली साधना अवश्य ही फलदायी होती है.

कब और कैसे करें पूजन

इस नवरात्रि की पूजा प्रतिपदा (प्रतिपदा प्रथम तिथि है. हिन्दू पंचांग की प्रथम तिथि 'प्रतिपदा' कही जाती है. यह तिथि मास में दो बार आती है- 'पूर्णिमा' के पश्चात् और 'अमावस्या' के पश्चात. )  से आरंभ होती है परंतु यदि कोई साधक प्रतिपदा से पूजन न कर सके तो वह सप्तमी से भी आरंभ कर सकता है. इसमें भी संभव न हो सके, तो अष्टमी तिथि से आरंभ कर सकता है. यदि यह भी संभव न हो सके तो नवमी तिथि में एक दिन का पूजन अवश्य करना चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक, वासंतीय नवरात्रि में बोधन नहीं किया जाता है, क्योंकि वसंत काल में माता भगवती सदा जाग्रत रहती हैं. नवरात्रि में उपवास एवं साधना का विशिष्ट महत्व है. भक्त प्रतिपदा से नवमी तक जल उपवास या दुग्ध उपवास से गायत्री पूजा पूरा कर सकते हैं. यदि भक्त में ऐसा साम‌र्थ्य न हो, तो नौ दिन तक अस्वाद भोजन या फलाहार करना चाहिए. किसी कारणवश ऐसी व्यवस्था न हो सके तो भक्त को सप्तमी-अष्टमी या केवल नवमी के दिन उपवास कर लेना चाहिए. साधक को अपने समय, परिस्थिति एवं साम‌र्थ्य के अनुरूप ही उपवास आदि करना चाहिए.

करें कुमारी पूजन

कुमारी पूजन नवरात्रि पूजा का प्राण माना गया है. कुमारिकाएं मां की प्रत्यक्ष विग्रह हैं. नवरात्रि के पहले दिन से नवमी तक विभिन्न अवस्था की कुमारियों को माता भगवती का स्वरूप मानकर वृद्धिक्रम संख्या से भोजन कराना चाहिए. वस्त्रालंकार, गंध-पुष्प से उनकी पूजा करके, उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराना चाहिए. दो वर्ष की अवस्था से दस वर्ष तक की अवस्था वाली कुमारिकाएं पूजन योग्य मानी गई हैं. भगवान व्यास ने राजा जनमेजय से कहा था कि कलियुग में नवदुर्गा का पूजन श्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक है.

English Summary: Navratri 2019 date time muhurat of ramanavmi festivals vrat fast in april
Published on: 01 April 2019, 03:16 PM IST

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