भारत में हर साल 23 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी की जयंती को किसान दिवस (National Farmers Day) के रूप में मनाया जाता है. चरण सिंह ने भारतीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी. उनका जन्म एक जाट परिवार मे हुआ था. स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया.
किसान दिवस क्यों मनाया जाता है? (Why is Farmers Day celebrated?)
वर्ष 2001 में केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार द्वारा Farmers Day की घोषणा की गई, जिसके लिए चौधरी चरण सिंह जयंती (Chaudhary Charan Singh Jayanti) से अच्छा मौका नहीं था. उनके द्वारा किए गये कार्यो को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर को भारतीय किसान दिवस (Indian Farmers Day ) की घोषणा की गई. तभी से देश में प्रतिवर्ष किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. 29 मई, 1987 को 84 वर्ष की उम्र में किसानों का यह नेता इस दुनिया को छोड़कर चला गया.
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी का बचपन
भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म (Birthday of Chaudhary Charan Singh) 23 दिसंबर 1902 को गाजियाबाद जिले के हापुड़ में हुआ था. Charan Singh के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे. यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ. यह ऐसा परिवेश था जिसमें किसानों की समस्याएं (Problems of Farmers) आज के अपेक्षाकृत कुछ ज्यादा ही थीं.
चौधरी चरण सिंह जी का शिक्षा (Education of Chaudhary Charan Singh)
आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की. वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी Chaudhary Charan Singh उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था.
चौधरी चरण सिंह जी का राजनीतिक जीवन (Political life of Chaudhary Charan Singh)
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन (Congress committee constituted) किया. 1930 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया. गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया. आजादी के दीवाने Charan Singh ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया. परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई. जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया. 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफतार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये. इसके अलावा राजबन्दी के रूप में उनको डेढ़ वर्ष की सजा हुई. जेल में ही चौधरी चरण सिंह की लिखित पुस्तक ‘‘शिष्टाचार‘‘, भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है.
चौधरी चरण सिंह की नीतियां और योगदान (Chaudhary Charan Singh's Policies and Contributions)
चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे हैं. उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था. एक जुलाई, 1952 को उत्तर प्रदेश में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला. किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून (Uttar Pradesh Land Conservation Act) को पारित कराया. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की. कांग्रेस में उनकी छवि एक कुशल नेता के रूप में स्थापित हुई. कांग्रेस से ही 1952, 1962 और 1967 की विधानसभा में जीते. गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी रहे. रेवेन्यू, लॉ, इनफॉर्मेशन, हेल्थ कई मिनिस्ट्री में भी रहे. संपूर्णानंद और चंद्रभानु गुप्ता की सरकार में भी मंत्री रहे. आगे चलकर चरण सिंह देश के पांचवें प्रधानमंत्री बनें और उनका कार्यकाल 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक रहा था.