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Updated on: 4 January, 2024 4:10 PM IST
मोटे अनाज मड़ुवा का गुण

मोटे अनाज पोषक गुणों से परिपूर्ण पाया गया है. कठिन शारीरिक परिश्रम करने वाले वर्ग मडुआ उपभोग करना चावल तथा अन्य खाद्यान्नों की तुलना में अधिक पसंद करता है क्योंकि यह शक्ति का उत्तम साधन है. प्रायः इसके दाने को पीसकर आटा बनाया जाता है जिससे केक खीर तथा पकवान तैयार की जाती है. आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक में इसके लड्डू बनाकर कलेवा के काम में लाया जाता है. मधुमेह के रोगी, बच्चों, दूध पिलाने वाली माताएं, बढ़ते हुए शिशु तथा गर्भवती स्त्रियों के लिए मडुआ एक आदर्श आहार है क्योंकि इसमें कैल्शियम तथा फास्फोरस की प्रचुर मात्रा में पाई जाती है.

कहां जाता है कि मडुआ का प्रोटीन दूध के प्रोटीन के समान ही गुणकारी होता है. इसके पोषक गुणों के कारण इससे मडुआ मार्ट बेंगलुरू की एक फैक्ट्री में तैयार किया जाता है. इसे विभिन्न आकार के डिब्बों में भरकर बाजार में बेचा जाता है.

मोटे अनाज से बनाई जाती है बीयर और शराब

मोटे अनाज अत्यंत पोषक भोजन है तथा इसकी तुलना बॉर्नविटा या माल्टोवा से की जा सकती है. इसका उपभोग दूध, चाय, या पानी में मिलकर किया जा सकता है. देश के उत्तरी भागों में विशेष कर पहाड़ों में या पूर्वी भागों में उदाहरणतः पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, तथा उड़ीसा में इसे चावल की भांति प्रयोग किया जाता है. इसके आटे से चापात्तियां भी बनाई जाती है. उक्त कथित प्रयोगों के अतिरिक्त मडुआ के उगाए गए दानों को माल्टिंग (शराब या अल्कोहल) के लिए प्रयोग करके बीयर और शराब तैयार की जाती है. इसके बादामी रंग का प्रभाव इन औद्योगिक पदार्थों के रंग पर भी पड़ता है जिसके कारण इनका मूल्य कम मिलता है. कहा जाता है कि मड़ुआ से तैयार की गई बियर का स्वाद प्रायः उपभोक्ताओं को पसंद नहीं है.

संकट काल में चारे को मड़ुआ के रूप में खिलाया जाता है

इन पहलुओं पर अनुसंधान कार्य की आवश्यकता है ताकि मडुआ को एक औद्योगिक महत्व का अनाज बनाया जा सके. यह भी आवश्यक है कि पशुओं और मुर्गियों के दाने के रूप में भी मड़ुआ का प्रयोग करने की संभावनाओं को भली भांति परखना आवश्यक है. इसका सूखा चारा प्रायः छप्पर पर आदि बनाने के काम में लाया जाता है. प्रायः इसे चारे के रूप में प्रयोग नहीं किया जाता किंतु पशुओं को संकट काल में चारे के रूप में इसे खिलाया जाता है.

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मोटे अनाज में कैल्शियम की मात्रा काफी अधिक

  • मडुआ में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है. 100 ग्राम में 344 मिलीग्राम कैल्शियम मिलता है. हड्डियों को कमजोर होने से हुई बीमारियों में इसे खाने की सलाह दी जाती है. यही नहीं बढ़ते बच्चों के लिए यह फायदेमंद है.

  • मडुआ का आटा खाने से त्वचा जवां बनी रहती है. इसमें मौजूद अमीनो एसिड से स्कीन के टिशू झुकते नहीं है. इसलिए झुरिया नहीं बनती जिसे चेहरा ग्लो करता है.

  • मडुआ के आटे में विटामिन डी का अच्छा स्रोत है.

  • इसके आटे में आयरन भी प्राप्त मात्रा में पाया जाता है. एनीमिया और कम हीमोग्लोबिन से जूझ रहे मरीजों के लिए भी इसे खाना लाभदायक है.

  • इन अनाजों का क्षेत्रफल तथा उत्पादन बहुत कम है. लगभग सभी मोटे अनाजों को समाज का निर्धन वर्ग भोजन के रूप में प्रयोग करता है. इन अनाजों को अब तक किसी भी महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रयोग में नहीं लाया गया है. वैसे यह संभव है कि इनका प्रशोधन करके नाना प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किया जा सके, किंतु इस दिशा में सफलता प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक होगा कि अनुसंधान द्वारा वर्तमान समस्याओं का समाधान निकाला जाए जो की आर्थिक दृष्टिकोण से लाभदायक हो.

रबीन्द्रनाथ चौबे ब्यूरो चीफ कृषि जागरण बलिया, उत्तर प्रदेश.

English Summary: Millets Coarse grains are rich in calcium mota anaj Millets Benefits of eating Madua shree anna
Published on: 04 January 2024, 04:14 PM IST

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