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Updated on: 30 January, 2019 3:18 PM IST

हम वर्ष 2019 में प्रवेश कर चुके हैं और हर क्षेत्र में तकनीक और प्रौद्योगिकी के सहारे काफी आगे बढ़ गए हैं. आज शायद ही कोई चिट्टी या पत्र लिखता हो ? या आज कोई वो लंबे और पूरी तरह घूमने वाले टेलीफोन इस्तेमाल करता हो. लेकिन एक ऐसा किस्सा आज भी वैसा ही है जैसा घटित होते समय था. देश और यहां रहने वाले लोगों के लिए गांधी जी की मृत्यु से जुड़े किस्से को जानना आज भी ज्वलंत मुद्दा है. आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर नजर डालते हैं उस दिन क्या हुआ जब उन्हें गोली मारी दी गई.

वो 30 जनवरी 1948 की शाम थी, 5 बजकर 15 मिनट हुए थे. गाँधी जी भागते हुए बिरला हाउस के प्रार्थना स्थल की तरफ़ बढ़े. कुछ मिनट बाद ही नाथूराम गोडसे ने अपनी पिस्टल से तीन गोलियाँ महात्मा गाँधी के शरीर में उतार दीं.

इसके बाद चले मुक़दमे में न्यायाधीश ने नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा सुनाई. अजालत में सुनवाई के दौरान गोडसे ने स्वीकारा कि गांधी को उन्होंने ही मारा है. अपने पक्ष में गोडसे ने कहा कि "गांधी जी की देशसेवा का मैं आदर करता हूं. उन्हें गोली मारने से पहले मैं उनके सम्मान में झुका था पर उन्होनें आवाम को धोखा दिया और मातृभूमि का विभाजन कर दिया, जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं था. गाँधी जी ने देश के साथ छल किया था. ऐसी कोई कोर्ट और धारा नहीं थी जिसको आधार मानकर गांधी को अपराधी माना जाता. इसीलिए मैनें उन्हें गोली मार दी."

आज हम अमन और शांति के माहौल में जी रहे हैं. हमारा देश पूरी तरह लोकतांत्रिक और सहिष्णु है. किसी को भी कुछ भी कर गुज़रने की आज़ादी है. हर कोई अपने विचारों, भावों को अपने तरीके से व्यक्त कर रहा है परंतु राजनीति से संबंधित कुछ लोग कुर्सी पाने के लिए तरह-तरह के प्रपंच करते हैं और समाज व लोगों के दिलों में नफ़रत का ज़हर घोल रहे हैं.

कृषि जागरण की पहल है कि आप सब भारत देश पर गर्व करें और महात्मा गांधी के 'अहिंसा परमो धर्म' को मानते हुए अपना जीवन सुखमय बनाएं.

English Summary: Mahatma Gandhi death anniversary
Published on: 30 January 2019, 03:20 PM IST

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