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Updated on: 21 February, 2022 12:51 PM IST
शिवरात्रि पूजा की विधि

महाशिवरात्रि का पावन पर्व 1 मार्च को मनाया जा रहा है. भगवान शिव को औघड़ दानी कहा जाता है. अगर आप भावना से भगवान शिव की भक्ति करते हैं, तो भगवान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी कर देते हैं. महाशिवरात्रि का दिन बहुत खास होता है.

हिन्दू संस्कृति में ज्यादातर वेद और पुराणों की चर्चा की गयी है, इसलिए आज हम बात करेंगें कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है. हर माह मासिक शिवरात्रि मनाई जाती हैलेकिन फाल्गुन माह में आने वाली महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का खास महत्व है.

माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. यह भी कहा जाता है कि मां पार्वती सती का पुनर्जन्म है. मां पार्वती शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने शिवजी को अपना बनाने के लिए कई प्रयत्न किए थेभोलेनाथ प्रसन्न नहीं हुए. इसके बाद मां पार्वती ने त्रियुगी नारायण से किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन साधना की थी और शिवजी को मोह लिया था.  इसी दिन शिवजी और मां पार्वती का विवाह हुआ था.

महाशिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि मार्च को सुबह बजकर 16 मिनट से शुरू होकर मार्च को सुबह 10 तक रहेगी.

पहला प्रहर का मुहूर्त

मार्च शाम बजकर 21 मिनट से रात्रि बजकर 27 मिनट तक है.

दूसरे प्रहर का मुहूर्त

मार्च रात्रि बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है.

तीसरे प्रहर का मुहूर्त 

मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह बजकर 39 मिनट तक है.

चौथे प्रहर का मुहूर्त 

मार्च सुबह बजकर 39 मिनट से बजकर 45 मिनट तक है.

पारण समय 

मार्च को सुबह बजकर 45 मिनट के बाद है.

महाशिवरात्रि की पूजा विधि

  • महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है.

  • फिर दीप और कर्पूर जलाएं.

  • पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप अवश्य करें.

  • शिवलिंग पर बेल पत्र और फूल अर्पित करें.

  • शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिलचावल और घी की मिश्रित आहुति दें.

  • होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.

  • सामान्यतः लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.

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प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि

सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूधदूसरे में दहीतीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधुयानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग है, जान लें

प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’

तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’

चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’. मंत्र का जाप करना चाहिए.

इसके साथ ही व्रती को पूजाअर्घ्यजप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए. अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए.

English Summary: Mahashivratri 2022, Know when is Mahashivratri? Correct date, auspicious time and method of worship
Published on: 21 February 2022, 12:58 PM IST

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