भारतीयों के लिए तिरंगा देश की शान है, और हर भारतीय को अपने तिरंगे के प्रति अभिमान है. इसलिए तो हम कभी भी तिरंगे पर आंच नहीं आने देते. हाल ही में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों ने विदेशी सरजमीं पर तिरंगे का मान और बढ़ाया था. आपको बता दें कि तिरंगे में मौजूद रंग व अशोक चक्र का एक अलग ही महत्व है. तिरंगे में मौजूद केसरिया रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है. सफेद रंग शांति का और हरा रंग विश्वास और धरती की उर्वरता का प्रतीक है. वहीँ मध्य में अशोक चक्र मौजूद है जो 24 गुणों का प्रतीक है.
पहली बार झंडा कब फहराया गया
पहला झंडा 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता में फहराया गया था. उस समय, ध्वज में लाल, पीले और हरे रंग की केवल तीन क्षैतिज धारियाँ थीं, जिसके बीच में वन्दे मातरम् लिखा हुआ था. तो वहीं 22 जुलाई, 1947 को पहली बार तिरंगा को अपनाया गया था. पहिया को अशोक चक्र कहा जाता है क्योंकि यह अशोक के कई शिलालेखों पर दिखाई देता है, जिनमें से सबसे प्रमुख अशोक की सिंह राजधानी है. चक्र पर बोला गया प्रत्येक शब्द जीवन के एक सिद्धांत और दिन के चौबीस घंटे का भी प्रतीक है, इसलिए इसे 'समय का पहिया' भी कहा जाता है. यह खादी से बनाया जाता है जो राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में घरेलू रूप से काटा गया भारतीय कपास है.
चक्र में 24 समान दूरी वाली तीलियाँ हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, 24 ऋषियों ने 24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र की पूरी शक्ति का संचालन किया है. धर्म चक्र की सभी 24 तीलियाँ हिमालय के 24 ऋषियों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनमें विश्वामित्र प्रथम और याज्ञवल्क्य अंतिम हैं. अशोक चक्र को समय चक्र के रूप में भी जाना जाता है. जिसमें 24 तीलियां दिन के 24 घंटों का प्रतिनिधित्व करती हैं और समय की गति का प्रतीक हैं.
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अशोक चक्र में 24 तीलियां क्या दर्शाती है?
अशोक चक्र में मौजूद 24 तीलियां 24 सिद्धांत को दर्शाती है. जिसमें प्रेम, साहस, धैर्य, शांति, दया, अच्छाई, विश्वास, नम्रता, आत्म-संयम, निस्वार्थता, आत्म-बलिदान, सच्चाई, धार्मिकता, न्याय, दया, अनुग्रह, विनम्रता, सहानुभूति, आध्यात्मिक ज्ञान, सर्वोच्च ज्ञान, सर्वोच्च नैतिकता, परोपकारिता और आशा शामिल है.