खेती में पशुओं के इस्तेमाल से लेकर ट्रैक्टर या यांत्रिक-चलित खेती में बदलाव से उत्पादकता में वृद्धि हुई है और इसने खेती से संबंधित गतिविधियों को और अधिक कुशल बना दिया है. ट्रैक्टर जुताई से लेकर बीज लगाने और कटाई तक हर कृषि गतिविधि में बहुत काम आता है.
आइए ट्रैक्टरों के बारे में कुछ रोचक तथ्यों पर नज़र डालते हैं-
ट्रैक्टरों की संख्या- ट्रैक्टर किसानों के लिए एक अमूल्य संपत्ति है. और दुनियाभर में उपयोग में आने वाले ट्रैक्टरों की संख्या से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वो कितने क़ीमती हैं. प्रमुख ट्रैक्टर निर्माताओं की बिक्री के आधार पर पता चलता है कि वर्तमान में लगभग 16 मिलियन ट्रैक्टर परिचालन में हैं. यह आंकड़ा यह भी दिखाता है कि खेत को चलाने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊर्जा का कम से कम एक तिहाई भाग ट्रैक्टरों को चलाने के लिए उपयोग किया जाता है.
दुनिया का सबसे बड़ा ट्रैक्टर- दुनिया का सबसे बड़ा फ़ार्म ट्रैक्टर 1977 में बनाया गया था और इसे बिग बड 16V-747 के नाम से जाना जाता है. 1100 हॉर्स पावर के इस विशाल ट्रैक्टर का वज़न लगभग 54431 किलोग्राम है.
ट्रैक्टर की ताक़त- ट्रैक्टर की स्ट्रेन्थ हॉर्सपावर में मापी जाती है. यह शब्द 18वीं शताब्दी के स्कॉटिश इंजीनियर जेम्स वाट द्वारा भाप इंजनों के आउटपुट की तुलना घोड़ों की शक्ति से करने के लिए किया गया था. इसे बाद में ट्रैक्टर जैसे अन्य प्रकार की मशीनरी के लिए अपनाया गया.
अधिकांश ट्रैक्टर डीज़ल इंजनों पर चलते हैं- ट्रैक्टर ज़्यादातर डीज़ल इंजनों के साथ निर्मित होते हैं क्योंकि वे कम्प्रेशन के लिए उच्च प्रतिरोध प्रदान करते हैं जो पेट्रोल इंजन की तुलना में हाई लो-एंड टॉर्क उत्पन्न करता है. बड़े और भारी भार उठाने वाले कार्यों को करने के लिए उच्च टॉर्क की ज़रूरत होती है.
दुनिया का सबसे स्पीड वाला ट्रैक्टर- गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने जेसीबी फास्ट्रेक टू को वर्ल्ड्स फास्टेड ट्रैक्टर का ख़िताब दिया है. 1,016 हॉर्सपावर की जेसीबी फास्ट्रेक टू की स्पीड 217.568 किमी/घंटा है. ट्रैक्टर को यूके में एलविंगटन एयरफील्ड में पूर्व बाइक रेसर गाइ मार्टिन द्वारा चलाया गया था.
मेटल के पहिये- 1930 के दशक में, ट्रैक्टरों में आज इस्तेमाल होने वाले भारी टायरों के बजाय मेटल या धातु के पहिये होते थे. आधुनिक समय के ट्रैक्टर के टायर बड़े अलग डिज़ाइन के होते हैं जो किसान को उबड़-खाबड़ इलाकों में आसानी से ट्रैक्टर चलाने में मदद करते हैं. हालांकि, 1930 के दशक में किसान स्टील के पहियों के साथ ट्रैक्टर चलाते थे जो धातु की प्लेटों और स्पाइक्स से लदे होते थे जो ट्रैक्टर को स्थिर और प्रयोग करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक ट्रैक्शन उपलब्ध कराते थे. लेकिन इन ट्रैक्टरों को सड़क पर नहीं चलाया जा सकता था.
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