इन दिनों जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ा चिंता का विषय बना हुआ है. जिसके चलते भारत सहित पूरे विश्व के मौसम में लगातार बदलाव देखा जा रहा है. अब अमूमन हमारे दिमाग में यह सवाल जरूर आता है कि मौसम और जलवायु में क्या फर्क है.
दरअसल मौसम और जलवायु दोनों का असर पृथ्वी में मौजूद हर एक प्राणी पर पड़ता है, फिर चाहे वो मनुष्य हो, जीव, जानवर हो या फिर पेड़-पौधें ही क्यों ना हों. तो चलिए इस लेख में जानते हैं कि आखिर मौसम और जलवायु कैसे एक दूसरे से अलग होकर भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
मौसम क्या है?
बारिश, हवा, नमी, वायुमंडलीय दबाव, तापमान आदि कारक मौसम के उदाहरण है. जब कभी भी इसमें से किसी एक कारक में बदलाव होता है, तो इसका असर हमारे वातावरण में देखने को मिलता है. मौसम कभी स्थिर नहीं होता है, इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि कभी तेज धूप खिली रहती है, तो कभी अगले ही पल बादल छा जाते हैं, या कभी हवा तेज तो कभी कम होने लगती है.
जलवायु क्या है?
जलवायु मौसम का ही एक हिस्सा है. मगर फर्क इतना है कि मौसम हर पल बदलता है, तो वहीं जलवायु लंबी अवधि तक एक समान पैटर्न गणना करता है. जिसके चलते एक क्षेत्र की मौसम की गतिविधियों में लगातार बदलाव देखा जाता है. उदाहरण के लिए फैक्ट्री, गाड़ी और कारखानों से निकलने वाली जहरीली गैस वातावरण को दूषित करती है, जिससे पर्यावरण दूषित होता और इसका असर जलवायु परिवर्तन के तौर पर हमें देखने को मिलता है.
जलवायु परिवर्तन से ग्लोबल वार्मिंग की चिंता
भारत एक उष्णकटिबंधिय वाला देश है. यहां पर आपको प्रत्येक राज्य व क्षेत्र में विभिन्न जलवायु देखने को मिलेगी. उत्तर भारत में सर्द और गर्मी दोनों का अहसास होता है. मगर बीते कुछ सालों से विकास की दौड़ ने कहीं ना कहीं पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है. प्राकृतिक संस्धानों का हमने अंधाधुंध उपयोग किया है. सड़क निर्माण के लिए लाखों पेड़ काटे गए, हजारों नई फैक्ट्रियों और कारखानों का निर्माण हुआ, जिसका असर मौसम पर पड़ने लगा.
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मौसम में बदलाव के चलते जलवायु प्रभावित हुई. अब जलवायु परिवर्तन के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं, पहाड़ खिसक रहे हैं, और सर्दियों में हाड़ कंपाने वाले ठंड पड़ रही है तो वहीं गर्मियों में भीषण गर्मी का सितम जारी है. नतीजन अब यह ग्लोबल वार्मिंग में तब्दील हो गई है, इसे रोकने के लिए हम सबको एक साथ आकर इससे निपटने की जरूरत है. क्योंकि किसी एक के कुछ करने से फर्क नहीं पड़ता है, मगर एक-एक के करने से बहुत फर्क पड़ता है.