उल्लू शब्द का प्रयोग आमतौर पर किसी को मंद बुद्धि या कम अक्ल बताने के लिए किया जाता है. जबकि उल्लू सबसे बुद्धिमान पंक्षियों में से एक है. दिन में विचरण ना करने के कारण ये हमेशा से इंसानों के लिए रहस्य ही बने रहें हैं. इस शिकारी पंक्षी के बारें में लोगों को अधिक ज्ञान नहीं है, जबकि हमारे पर्यावरण में इसका अहम योगदान होता है.
उल्लू किसानों के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं. ये चूहों तथा अन्य तरह के छोटे जीवों को खाकर अनाज को सुरक्षित रखते हैं. इतना ही नहीं ये हानिकारक कीटों से भी फसलों की रक्षा करते हैं. उल्लू अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप में पाया जाचा है और इसकी 200 से अधिक प्रजातियां रिकॉर्ड में आ चुकी है. चलिए आपको बताते हैं कि उल्लू किस प्रकार किसानों के लिए लाभकारी हैं और हमारे पर्यावरण में इनका क्या योगदान है.
उल्लू की उड़ान है विशेष
उल्लू की उड़ान अपने आप में खास है. उड़ते समय ये किसी तरह की ध्वनी नहीं करते और आपको जानकर हैरानी होगी कि आमतौर पर उच्च कोटी के माइक्रोफोन भी इनके पंखों के शोर को नहीं पकड़ पाते हैं.
बहुत दूर देख सकता है उल्लू
रात के अंधेरे में भी उल्लू आराम से बहुत दूर तक देख सकता है. 3 डाइमेंशन्स तक तो उल्लू आराम से देख सकता है. ये बहुत दूर से अपने शिकार को भांपते हुए बिना किसी गड़बड़ी के अपने पंजों में जकड़ लेते हैं.
उल्लू और कौओं में है मतभेद
उल्लू और कौओं में मतभेद रहता है और ये एक दूसरे को पसंद नहीं करते. प्राय देखा जाता है कि बिना किसी कारण के भी ये एक-दूसरे को देखते ही हमला कर देते हैं.
बेहतर श्रोता होते हैं उल्लू
उल्लू की सूनने की शक्ति बहुत विशेष होती है. वो बहुत मंद ध्वनी को भी आसानी से सुन सकते हैं. इनकी कुछ प्रजातियों के कान अलग तरह के होते हैं जो इनकी सुनने की शक्ति को और तेज़ करते हैं.