International Women’s Day 2025: विश्व महिला दिवस मनाने के पीछे काफी पुराना इतिहास छिपा है. दुनिया में पहली बार ‘महिला दिवस’ 28 फरवरी, 1909 सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था साथ ही महिला दिवस मानने के पीछे एक राज़ था. दरअसल, मजदूर आंदोलन अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में महिलाओं ने इस आंदोलन में वर्किंग हॉर्स कम करने और सैलेरी बढ़ाने की मांग की थी. इसके साथ-साथ महिलों ने मताधिकार की भी मांग उठायी थी, क्योंकि कुछ देशों में महिलों को वोट देने का अधिकार नहीं था और 1910 में 28 फरवरी को अमेरिकन सोशलिस्ट पार्टी ने इस दिन को विश्व के प्रथम महिला दिवस के रूप में घोषित किया.
बता दें कि रूस के जूलियन कैलेंडर के अनुसार, 23 फरवरी, 1917 को मनाया जाता था, अगर ग्रेगोरियन कैलेंडर की मानें तो इस समय में पूरी दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन होता है, इसलिए 8 मार्च को ही पूरी दुनिया में महिला दिवस मनाया जाता है.
वे महिलाएं जो बनी देश के लिए मिशाल
1 . गुंजन सक्सेना
देश की पहली महिला फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की कहानी हम सब के लिए प्रेरणा है. गुंजन सक्सेना का जन्म 1975 में हुआ था. सक्सेना उन 6 महिलाओं में से एक थीं, जो 1996 में भारतीय वायु सेना में पायलट के रूप में शामिल की गयी थी और फ्लाइंग ऑफिसर सक्सेना 24 साल की थीं जब उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान उड़ान भरी थी, जो श्रीनगर में हुई.
2 . गीता फोगाट
गीता फोगाट का जन्म 15 दिसम्बर 1988 में बलाली गांव, हरियाणा में हुआ था. उनके पिता का नाम महावीर सिंह फोगाट है, जो एक पूर्व पहलवान है. फोगाट ने 21 दिसंबर 2009 के बीच पंजाब के जालंधर में आयोजित राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था और अपने पिता का नाम रोशन किया साथ ही फोगाट देश की भी लाडली बेटी बन गयी और गीता फोगाट ने साबित कर दिया की लड़कियां लड़को से कम नहीं होती.
बता दें कि ठीक इसी तरह से देश के महिलाओं ने एग्रीकल्चर में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है, जो आज खेतों में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करके अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही है. इन महिलाओं के बारे में जानने के लिए कृषि जागरण की Success Story को पढ़ें.
लेखक : रविना सिंह