आज फिर एक 'नौंटकी डे' है. ये मैनें इसलिए कहा क्योंकि भारत जैसे देश में जहां संवेदनाओं की नदियां बहती थी वहीं आज संवेदनहीनता बह रही है. आज यानी 22 मार्च को विश्व जल दिवस है. परंतु आज कुछ विशेष नहीं है. लोग सुबह उठे और रोज़ाना की तरह पानी बर्बाद करते हुए अपने कामों पर चले गए. फिर जो लोग ऑफिस में हैं उन्होंने अपना दिन ठीक वैसे ही बिताया जैसे वह दूसरे दिनों को बिताते हैं. घर पर रह रहे लोगों ने रोज़ाना की तरह पानी के साथ होली खेली और टीवी पर 'पानी बचाओ' कार्यक्रम देखने लग गए. हां कुछ लोग और समाजसेवी संस्थाएं ऐसी हैं जो आज पानी को लेकर संवेदना और चिंता रखती हैं और समय-समय पर समाज को चेताती रहती हैं लेकिन हम कहां सुधरने वाले हैं. दरअसल, ढ़ीठ हैं हम. हम बहुत जल्दी किसी भी आदत के यूज़ टू हो जाते हैं. लेकिन ये सच है कि अगर आज पानी को बर्बाद होने दिया गया तो कल मानवजाति नहीं बचेगी.
हर आरोप सरकार पर क्यों ?
क्या हम इस समाज में नहीं रहते ? अगर इस प्रश्न का 'हां' में उत्तर दे रहे हो तो यह बात जान लो कि सरकार से पहले जिम्मेदारी हमारी है. सरकार में बैठे मंत्री या दूसरे लोग तो गिने-चुने हैं परंतु आवाम तो अनगिनत है. वो चाहे तो क्या नहीं कर सकती. इसलिए जब भी सरकार पर उंगली उठाओ तो पहले खुद से यह प्रश्न करो कि क्या आपने एक जिम्मेदार नागरिक का अपना फर्ज़ निभाया है ? पानी का संरक्षण करें. पानी बचाएं और लोगों को पानी के माहात्मय के बारे में बताएं. समाज के हर शिक्षित नागरिक की यह एक ट्यूटी है कि वह हर उस मुद्दे को लेकर जनता की आंखें खोले जिन्हें सरकारें झुपाती हैं.
चापलूस नहीं जागरुक बनिए
एक जागरुक व्यक्ति या नागरिक सागर की भांति होता है. वह पूरे समाज की उथल-पुथल को अपने अंदर समाए रहता है और समय आने पर हर उस संस्थान से सवाल करता है जिनके कंधों पर ज़िम्मेदरी होती है. परंतु यदि आप चापलूस और स्वामीभक्त बने रहते हैं तो आप अपने पूछने के अधिकार का हनन कर देते हैं. नुकसान आप का ही है क्योंकि जिस कुर्सी से आपने सवाल पूछने हैं वो बदलती रहती है. आज वहां कोई और है तो कल कोई और होगा. इसलिए जागरुक बनिए. जागरुक होना आपके निजी जीवन में भी आपके काम आएगा.
करें क्या ?
प्रश्न या समस्या खड़ी करके समाधान न बताना बेमानी बात होगी इसलिए इसका समाधान भी बताया जा रहा है.
हमेशा सजग रहें
आपको शायद विश्वास न हो लेकिन जितना पानी हम अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं यदि उसे ही ध्यानपूर्वक और सजगता के साथ इस्तेमाल किया जाए तो पानी की सबसे अधिक बचत होगी.
वर्षाजल को बचाएं
आज देश-विदेश में कईं ऐसे लोग और संस्थाएं हैं जो अपने द्वारा किए गए संरक्षित वर्षाजल से कईं महीने गुज़ारा करते हैं. भारत में ही आज ऐसे कईं इलाके हैं जहां बारिश का पानी जमा कर उसे पीने और दूसरे कामों के लायक बनाया जाता है. हर बार आंकडें कहते हैं कि वर्षा कम हुई है लेकिन सत्यता यह है कि यदि बारिश के पानी को बचाया जाए तो एक बार की वर्षा के पानी से 2 से 3 महीने तक गुज़ारा किया जा सकता है.
अपनी राय रखें
इस बात की हिम्मत हमेशा रखें कि अपने इलाके के जिम्मेदार पदाधिकारियों को हमेशा नई-नई राय देते रहें. चाहे वो पार्षद हो, विधायक हो, सासंद हो या फिर कोई अफसर, अपनी बात को हमेशा पूरी सजगता और अनुभव के साथ रखें. आज सरकारें भी जल संकट को लेकर चिंतित है परंतु जब तक आपकी भागीदारी नहीं होगी कोई सरकार या संस्था कुछ नहीं कर सकती.