रक्षाबंधन का त्यौहार भाई और बहन के प्यार का एक प्रतीक है. रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है. 'रक्षा' और 'बंधन' जिसका अर्थ है एक ऐसा बंधन जो रक्षा प्रदान करें. यह बंधन सभी भाई-बहनों को एक दूसरे के प्रति प्रेम, विश्वास, कर्तव्य और रक्षा को बढ़ाता है. इस दिन बहन अपने भाई को रक्षा बंधन बांधती है और उसके लिए लंबी उम्र की कामना करती है. वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता हैं.
रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षा बंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध हैं. इनमें से एक कथा महाभारत में शिशुपाल के वध को लेकर है, जब भगवान श्रीकृष्ण की शिशुपाल का वध करते समय में उंगली कट जाती है तो उस समय द्रौपदी उंगली पर दिख रहे खून से घबरा जाती है और आनन फानन में द्रौपदी अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़ कर कृष्ण जी के उंगली पर बांध देती हैं. भगवान श्रीकृष्ण खुश होकर द्रौपदी को सदैव रक्षा करने का वचन दे देते हैं. ऐसा कहा जाता है कि यह घटना सावन महीने की पूर्णिमा के समय की है.
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उसी राखी के वचन को निभाया और द्रौपदी के चीर हरण के दौरान उनकी रक्षा की. इस घटना के कारण राखी का त्योहार दुनियाभर में मनाया जाने लगा और सभी बहनें सावन महीने के पूर्णिमा के दिन राखी बांधने लगीं.
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रक्षाबंधन का महत्व
रक्षा बंधन का त्योहार हमारे सनातन धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक हैं. इसे खास तौर पर भाई बहन के प्रेम को जोड़कर देखा जाता है. इस दिन दूर दराज रह रहे भाई बहन एक दूसरे से मिलते हैं और रक्षा बांधकर एक दूसरे के प्रेम को इस धागे से और मजबूत करते हैं.