अरबी को एक बहुउपयोगी पौधा कहा जाये तो यह गलत नही होगा. क्योंकि अरबी के पौधे का हर एक हिस्सा उपयोगी व खाने में प्रयोग होता है. इसके हर हिस्से से कई प्रकार के स्वादिष्ट व पौष्टिक खाद्य उत्पाद बनाये जा सकते है.अरबी हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी जिलों में पाई जाती है. प्रदेश में इसकी खेती बहुत बड़े स्तर पर तो नही की जाती परन्तु घरों में शाक वाटिका में किसानों व गृहणियों के द्वारा छोटे से क्षेत्र में अवश्य ही उगाई जाती है. क्योंकि इसकी उपज इतनी अधिक है कि एक या दो पोधे ही मौसमी फसल व घरेलू स्तर पर उपयोग करने के लिए का फी होते है. हिमाचल प्रदेश में किसान महिलाएं अरबी को खेतों के किनारे पर मेढ़ों पर या खेतों के किनारों पर, कोनो पर खाली या बेकार पड़ी हुई जमीन पर लगा देती है.अरबी एक सख्त फसल है इसे किसी विशेष कृषि कार्य या देख रेख की आवश्यकता नहीं होती है इसमें यदि गोबर की खाद बुवाई के समय डाल दी जाये तो उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो जाती है अरबी का वैज्ञानिक नाम क्लोकासिया एस्कुलानता है.
अरबी को विभिन्न स्थानों पर अलग –अलग नामों से जाना व पुकारा जाता है. जैसे- अरबी,गंडयाली व कचालू इत्यादिI इसके नाम की ही तरह अरबी की किस्में भी विभिन्न है. जैसे कुछ अरबी की किस्में छोटी, मुलायम व सफेद रंग की होती है, कुछ किस्में गोलाकार होती है. कुछ किस्में बड़ी व मोटी होती है. इन तीनों किस्मो का स्वाद व पौष्टिकता भी भिन्न होती है तथा इनको पकाने की भी अलग-अलग तरीके है. इनको पकाने की विधियों भी हर स्थान व घर में विभिन्न होती है.
अरबी का पोषक मान :
अरबी के विभिन्न खाद्य हिस्सों का पौष्टिक मान
क्र.सं. |
पोषक तत्व (प्रतिशत) |
पते |
जडें /गांठें |
स्टिकस/डंठल |
1 |
प्रोटीन |
3.9 |
3.0 |
0.3 |
2 |
वसा |
1.5 |
0.1 |
0.3 |
3 |
खनिज |
2.2 |
1.7 |
1.2 |
4 |
रेशे |
2.96 |
1.0 |
0.6 |
5 |
कार्बोहाइड्रेट |
6.82 |
21.1 |
3.6 |
6 |
उर्जा (किलो केलोरी ) |
56 |
97 |
18 |
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स्त्रोत:Nutritive Value of Indian Foods |
अरबी पोषावर्धक रूप में : अरबी एक पोषावर्धक पौधा है जिसका हर हिस्सा खाने के लिए प्रयोग होता है अरबी को अधिक कृषि कार्यों की आवश्यकता नहीं होती परन्तु अरबी को किचंन गार्डन या खेतों में लगाकर यदि गोबर की खाद का प्रयोग करके अधिक उपज ली जा सकती है.
अरबी का उपयोग :
अरबी एक ऐसी सब्जी है जिसके सभी हिस्सों को खाने के लिए उपयोग में लाया जाता है इसके विभिन्न खाद्य भागों को अलग अलग तरह से खाद्य उत्पाद बनाकर प्रयोग किया जाता है.
अरबी की जड़ों का प्रयोग :
अरबी/ कचालू / गंडयाली का प्रयोग हर घर में किसी न प्रकार से सब्जी बनाने के लिए किया जाता है इनको या तो उबालकर या तलने के बाद प्रयोग किया जाता हैI अरबी की सब्जी सूखी व तरीवाली तथा दहीं के साथ बनाया जाता हैI अरबी को मेश कर के इसे मक्की के आटेके साथ, गेहूं के आटे के साथ मिलाकर रोटियां भी बनाई जा सकती हैI इन खाद्य उत्पादों के आलावा अरबी से चिप्स व आचार भी बनाये जा सकते है.
अरबी के चिप्स : अरबी को धोने के बाद सुखाकर छिलका निकालने के पश्चात पतले पतले गोल या लम्बाई में काट लें उसके बाद नमक वाले पानी से तीन चार धो ले. इन चिप्स को प्लास्टिक की शीट पर या ट्रे पर तेल लगाकर सूखने के लिए रख देंI सूखने के पश्चात वायुरोधी डिब्बों में संग्रह कर के रखेंI जब प्रयोग करने हो तो तलने के बाद करें.
अरबी का आचार : अरबी को साफ करके धो लें. फिर मनचाहे आकर में काट लें इन टुकड़ों को पानी में धोएं व सुखा लें उसके बाद इन टुकड़ों को तेल गरम करके सूखे हुए मसाले मिलाकर पका लीजिये.
अरबी के आचार को हम अलग अलग तरह से बना सकते है जैसे:- हरी मिर्च मिला कर, अदरक व लहसुन के साथ, सिरके के साथ प्याज मिलाकर, गलगल के साथ या सफेद चनो के साथ.
अरबी के डंठल का प्रयोग
अरबी के डंठल की बड़ियाँ
सामग्री
उडद दाल :1 किलोग्राम
गर्म मसाला: 10ग्राम
लाल मिर्च :10 ग्राम
नमक: स्वादानुसार
डंठल :10 -15
हींग: 5 ग्राम
विधि
उडद दाल को रात को भर भिगो कर सुबह मिक्सेर में पिस लें. अब इसमें हिंग, लाल मिर्च, नमक व गर्म मसाला डाल कर अच्छे से मिला लें. अरबी के मुलायम डंठल लेकर इस दाल को डंठलों पर उपर से नीचे की और पतला पतला कर सिप्कतें जायें. इन दाल लगे डंठलों को रस्सी से बांध कर छाया में या हलकी धूप में सुखा लें फिर तेज चाकू या छुरी से टुकड़ों म काट कर दो या तीन दिन धुप में सुखाने के बाद एयर टाइट डिब्बों में संग्रहित करके रख ले व आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग करें.
अरबी के पत्तों का प्रयोग
अरबी के पत्तों को इसके औषधीय गुणों व सुस्वादु व्यंजनों की वजह से जाना जाता है इनका प्रयोग साक व पत्रोड़े बनाने के लिए किया जाता है.
अरबी के पतों का साग : अरबी के पतों का साग बनाने के लिए अरबी के नर्म पते लेकर उनको कट लें इसमें धनिया की पतियाँ व चौलाई की पतियाँ भी मिला सकते है काटने क बाद कुकर में स्टीम लगवा लें व मैश कर लें अब कढाई में तेल, सूखे मसाले डाल कर पका लें गर्म गर्म साग में घी मिलाकर खाएं.
अरबी के पत्तों का पतोड़े: साफ़ अरबी के पत्तों को लेकर उन्हें साफ़ कपड़े से सूखा लें. घोल बनाने के लिए बेसन में लाल मिर्च स्वादनुसार, नमक, हरी मिर्च, भाबरी के पते लहसुन इत्यादि का पेस्ट बना कर मिला लें अब इस घोल या पेस्ट को पतों की पीछे वाली तरफ लगाकर एक के उपर एक रखते जायें इस तरह पत्तों के आकार के अनुसार 8-10 या 10-12 पत्ते रखें फिर दोनों तरफ से मोड़ के उपर व नीचे वाली तरफ से से मोड़ कर धागे से कस कर बांध लें व कुकर या मोमो स्टैंड में पकाएं. 3-4 सिटी के बाद निकल कर ठंडा कर के सही आकार में काट कर तेल में तल कर प्रयोग कर लें. यदि तले ना हो तो भी गर्म गर्म खाने के लिए छुटने के साथ खा सकते है.
बेसन के अलावा उर्द की दल का पावडर,सोयाबीन दाल पाउडर,चावल पाउडर इत्यादि का प्रयोग भी कर सकते है इनका प्रयोग पतों की पौष्टिकता बड़ा देता है साथ ही स्वाद भी.
अरबी के औषधीय गुण
अरबी के पतों में विटामिन ए,बी, सी के अलावा कैल्शियम पोटेशियम व एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते है. यह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है यह एक लोकप्रिय सब्जी है व आसानी से उपलब्ध हो जाती है यह बहुत सी समस्याओं में फायदेमंद है.
एसिडिटी के लिए
अगर आपको पेट सम्बन्धी कोई समस्या है तो अरबी के पते फायदेमंद साबित हो सकते है इसके लिए अरबी के पतों को डंठल के साथ लेकर पानी में उबल लें इस पानी में थोडा सा घी मिलाकर तीन दिन तक कम से कम दिन में दो बार लें इससे आपको फायदा होगा अरबी इसके अलावा भी सेहत के लिए फयदेमन्द है.
ब्लड प्रेशर क लिए
अरबी में अधिक मात्र में सोडियम, पोटेशियम व मैग्नीशियम के गुण पाए जाते है जो की ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है जिसके कर्ण तनाव की भी समस्या नही होती है
दांनो के लिए
अगर आपके शरीर में डेन हो गये हो तो अरबी के पतों को जलाकर इसकी रख को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से फायदा होता है
जोड़ों के दर्द के लिए
जोड़ों के दर्द के लिए भी अरबी के पते फायदेमंद है इसके लिए अरबी के पतों को बेसन में पतला पतला कट कर भजिये बना कर प्रयोग करें इससे फायदा होगा.
कैंसर के लिए
इसमें अधिक मात्रा में विटामिन ए,सी और एंटी आक्सीडेंट पाए जाते है जो की कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते है.
वजन कम करने में
अगर अरबी का सेवन किया जाता है तो आपको भूख कम लगती है इसके साथ ही इसमें मौजूद फाइबर मेटाबॉलिज्म को सक्रिय बनाते है जिससे वजन नियन्त्रित करने में मदद मिलती है. अरबी का सेवन कभी भी कच्चा नहीं करना चाहिए इसकी पतियों और कंदों को भली-भांति उबालकर ही प्रयोग करना चाहिए. इसके पते कई रोगों में फायदेमंद होते है इसीलिए अरबी को किसी न किसी रूप में जरूर अपने भोजन में शामिल करें.
कल्पना आर्य (ट्रेनिंग ऑफिसर ,फार्मर्स ट्रेनिंग सेंटर ,सुंदरनगर )
और
डॉ संत प्रकाश (रिटायर्ड वरिष्ठ सब्जी वैज्ञानिक)