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Updated on: 24 April, 2023 1:50 PM IST

Chakbandi: चकबंदी का मतलब होता है खेत के छोटे-छोटे हिस्सों को मिलाकर एक करना. वर्तमान समय में बढ़ती आबादी के कारण खेतो का बटवारा होता जा रहा हैजिस कारण खेतों के आकार कम होता जा रहे हैं. ऐसे में इन खेतों में खेती से जुड़े उपकरणों का उपयोग नहीं किया जा सकता है. चकबंदी एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से हम विभिन्न छोट-छोटे जमीन के टुकड़ों को एक कर उसे खेती के लायक बनाया जा सकता हैइससे किसानों की पैदावार बढ़ने के साथ-साथ उनकी आमदनी भी बढ़ती है.

चकंबदी के लाभ

इससे खेतों का आकार बड़ा हो जाता है और किसानों की आमदनी भी बढ़ने लगती है. खेतों का चक बनाना एक कानूनी प्रक्रिया होती है, इससे लोगों के बीच खेत के टुकड़ों को लेकर कोई विवाद होने की समस्या नहीं होती है.

इसक तहत छोटे-छोटे खेतों में मेड़ बनाने की जरुरत नहीं होती है और किसानों की भूमि भी बर्बाद बिल्कुल ही नहीं होती है.

इससे खेतों का आकार बड़ा हो जाता है, जिसमें आधुनिक उपकरणों जैसे रोटावेटर, कल्टीवेटर, रोटो बीज ड्रिल, डिस्क हैर और ट्रैक्टर का इस्तेमाल आसान तरीके से किया जा सकता है.

चुनौतियां

चकबंदी के कारण किसानों को छोटे खेतों के बदले जमीन का एक बड़ा हिस्सा मिलता है. ऐसे में किसानों की पुश्तैनी जमीन अलग हो जाती है.

कई बार किसानों को बिखरे हुए खेतों की जगह तीन या चार चक दिए जाते हैं, जो चकबंदी के नियमों के खिलाफ हैं.

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चकबंदी की शुरुआत बिहार से शुरु हुई थी. यहा के कई जिलों में चकबंदी का काम 70 के दशक में शुरू किया गया थालेकिन विवादों के चलते इसे 1992 में बंद कर दिया गया था. हालांकि कोर्ट के दखल के बाद इसे 2021 में फिर से शुरु कर दिया गया. बिहार सरकार का कहना है कि वह इस प्रक्रिया की पूरी तरह से निगरानी रख रही है और कागज के सभी कार्यों को धीरे-धीरे डिजिटल रूप में तब्दील कर दिया जाएगाताकि हमारे किसान भाइयों के खेतों का डाटा अच्छी तरह से संभाल के रखा जा सके.

English Summary: chakbandi and its pros and cons
Published on: 24 April 2023, 01:56 PM IST

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