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Updated on: 13 February, 2025 5:38 PM IST
बिहार का फल उत्पादन (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत कृषि प्रधान देश है, जहां बागवानी का विशेष योगदान है. फलों का उत्पादन न केवल आहार सुरक्षा बल्कि आर्थिक विकास का भी महत्वपूर्ण कारक है. बिहार, जो अपनी उर्वर भूमि और अनुकूल जलवायु के लिए जाना जाता है, विभिन्न प्रकार के फलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की स्थिति को समझने के लिए, हमें इसके फल उत्पादन, क्षेत्रफल और उत्पादकता का तुलनात्मक अध्ययन करना आवश्यक है.

कुल फलों का उत्पादन

बिहार में वर्ष 2023-24 के दौरान कुल 366.94 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फलों की खेती की गई, जिससे 5048.28 हजार टन उत्पादन हुआ. इसकी औसत उत्पादकता 13.75 टन प्रति हेक्टेयर रही. इसके विपरीत, पूरे भारत में 7148.48 हजार हेक्टेयर में फलों की खेती हुई, जिससे 112077.19 हजार टन उत्पादन हुआ और औसत उत्पादकता 15.67 टन प्रति हेक्टेयर रही.

बिहार का फल उत्पादन देश में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है, हालांकि इसकी औसत उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से थोड़ी कम है. यह अंतर उपयुक्त कृषि प्रबंधन, जल संसाधनों की उपलब्धता और उन्नत तकनीकों के उपयोग से कम किया जा सकता है.

प्रमुख फलों का तुलनात्मक अध्ययन

1. आम (Mango)

आम को फलों का राजा कहते है . दरभंगा बिहार को आम की राजधानी कहते है . बिहार में आम की खेती 162.45 हजार हेक्टेयर में की गई, जिससे 1572.51 हजार टन उत्पादन हुआ और प्रति हेक्टेयर 9.67 टन उत्पादकता प्राप्त हुई. भारत में कुल 2399.78 हजार हेक्टेयर में आम की खेती हुई, जिसमें 21788.64 हजार टन उत्पादन हुआ और औसत उत्पादकता 9.07 टन प्रति हेक्टेयर रही. बिहार में आम की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जो इसकी बेहतर जलवायु परिस्थितियों और उन्नत कृषि पद्धतियों को दर्शाता है.

2. केला (Banana)

बिहार में केले की खेती 43.60 हजार हेक्टेयर में हुई, जिससे 2003.37 हजार टन उत्पादन हुआ और प्रति हेक्टेयर 45.94 टन उत्पादकता दर्ज की गई. भारत में 992.50 हजार हेक्टेयर में केले की खेती हुई, जिसमें 37378.25 हजार टन उत्पादन और 37.66 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता दर्ज की गई. बिहार की केला उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जो इसकी उच्च गुणवत्ता और बेहतर कृषि प्रथाओं को दर्शाता है. केला अनुसंधान केंद्र , गोरौल जो डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा का एक अभिन्न अंग है एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

3. लीची (Litchi)

लीची को फलों की रानी कहते है . बिहार में लीची की खेती 36.70 हजार हेक्टेयर में की गई, जिससे 308.27 हजार टन उत्पादन हुआ और प्रति हेक्टेयर 8.39 टन उत्पादकता रही. राष्ट्रीय स्तर पर लीची की खेती 98.04 हजार हेक्टेयर में हुई, जिसमें 724.89 हजार टन उत्पादन और प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 7.39 टन रही. बिहार लीची उत्पादन में अग्रणी राज्य है, जिसकी उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है. कुल लीची के क्षेत्रफल का लगभग 60 % क्षेत्र बिहार मे आता है . सर्वोत्तम किस्म की लीची बिहार के मुजफ़्फ़रपुर मे होती है .

4. पपीता (Papaya)

बिहार में पपीते की खेती 3.32 हजार हेक्टेयर में की गई, जिससे 98.53 हजार टन उत्पादन हुआ और प्रति हेक्टेयर 29.67 टन उत्पादकता दर्ज की गई. भारत में पपीते की खेती 141.12 हजार हेक्टेयर में हुई, जिसमें 5201.79 हजार टन उत्पादन और 36.86 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता रही. बिहार में पपीते की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यहाँ इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है.

5. आंवला (Amla)

बिहार में आंवला की खेती 3.44 हजार हेक्टेयर में की गई, जिससे 15.64 हजार टन उत्पादन हुआ और प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 4.54 टन दर्ज की गई. राष्ट्रीय स्तर पर भारत में आंवला की खेती 106.60 हजार हेक्टेयर में हुई, जिससे 1352.47 हजार टन उत्पादन और औसत उत्पादकता 12.68 टन प्रति हेक्टेयर रही. बिहार की आंवला उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से काफी कम है, जो उन्नत तकनीकों और उर्वरकों के प्रभावी उपयोग की आवश्यकता को इंगित करता है.

6. अमरूद (Guava)

बिहार में अमरूद की खेती 29.85 हजार हेक्टेयर में की गई, जिससे 434.87 हजार टन उत्पादन हुआ और प्रति हेक्टेयर 14.56 टन उपज प्राप्त हुई. राष्ट्रीय स्तर पर, अमरूद की खेती 352.49 हजार हेक्टेयर में हुई, जिससे 5428.73 हजार टन उत्पादन और 15.40 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता दर्ज की गई. बिहार की अमरूद उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से थोड़ी कम है.

7. खरबूजा (Muskmelon)

बिहार में खरबूजे की खेती 3.88 हजार हेक्टेयर में हुई, जिससे 22.61 हजार टन उत्पादन हुआ और प्रति हेक्टेयर 5.82 टन उपज दर्ज की गई. राष्ट्रीय स्तर पर, भारत में 67.32 हजार हेक्टेयर में 1519.57 हजार टन उत्पादन हुआ और औसत उत्पादकता 22.57 टन प्रति हेक्टेयर रही. बिहार की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से काफी कम है.

निष्कर्ष

बिहार विभिन्न फलों के उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, विशेष रूप से लीची, आम और केले में इसकी उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से अधिक है. हालांकि, कुछ फसलों जैसे पपीता, आंवला, खरबूजा और तरबूज की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम है, जो बेहतर कृषि तकनीकों और अनुसंधान की आवश्यकता को इंगित करता है.

सुझाव

  • प्रभावी उन्नत कृषि तकनीकों का प्रयोग: आधुनिक बागवानी तकनीकों को अपनाकर उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है.
  • सिंचाई सुविधाओं में सुधार: जल संसाधनों का समुचित उपयोग करके उपज को बढ़ाया जा सकता है.
  • उर्वरक और जैविक खाद का उचित उपयोग: संतुलित उर्वरक और जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बनाए रखी जा सकती है.
  • फसल सुरक्षा उपायों का पालन: फलों को कीट एवं रोगों से बचाने के लिए जैविक और रासायनिक नियंत्रण उपायों का प्रभावी उपयोग करना आवश्यक है.
  • बाजार व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण: किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए विपणन सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए.
  • यदि इन उपायों को अपनाया जाए, तो बिहार का फल उत्पादन राष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है.

लेखक
प्रोफेसर (डॉ.) SK Singh
विभागाध्यक्ष एवं सुश्री ख्याति अग्रवाल एवं समीक्षा कुमारी, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी,
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848125,समस्तीपुर, बिहार

English Summary: Bihar fruit production contribution national average
Published on: 13 February 2025, 05:45 PM IST

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