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Updated on: 12 February, 2025 6:13 PM IST
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि का स्थान (Image Source: Pinterest)

भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. प्राचीन काल से ही कृषि का भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक महत्व बना हुआ है. प्रधान व्यवसाय होने के कारण कृषि ग्रामीणों का आय का सबसे बड़ा स्रोत है, रोजगार एवं जीवन यापन का प्रमुख साधन, ग्रामीण उद्योग धंधे का आधार है. संक्षेप में, कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड तथा विकास की कुंजी है.

भारत ग्रामों का देश है. देश की करीब 70% जनसंख्या गांवों में निवास करती है जिसका प्रमुख व्यवसाय कृषि है. कृषि ही यहां की अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ आधार है जिस पर संपूर्ण ग्रामीण अर्थव्यवस्था टिकी हुई है.

भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व

1. रोजगार या जीवन निर्वाह का साधन

कृषि ग्रामीण समाज के लोगों के जीवन का आधार होती है. यहां के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि ही है.

यहां के लोगों का जीवन खेती पर ही आश्रित है. इसके अतिरिक्त बहुत से लोग कृषि पदार्थों के व्यापार, परिवहन आदि में लगकर अपना जीवन निर्वाह करते हैं. इस तरह देश की लगभग 59 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष रूप से कृषि व्यवसाय में लगी है.

2. आय का प्रमुख स्रोत

कृषि ग्रामीण की आय का प्रमुख स्रोत एवं उनकी आजीविका का प्रमुख साधन होती है. कृषि उत्पादकता एवं उसके गुणवत्ता ग्रामीणों की आय एवं रहन-सहन पर प्रभाव डालती है. उच्च कृषि उत्पादकता ग्रामीण आय एवं जीवन स्तर में वृद्धि करती है जबकि निम्न उत्पादकता कृषि आय एवं जीवन स्तर को घटाती है.

3. आर्थिक गतिविधियों की प्रमुख निर्धारक

ग्रामीणों की रोजगार तथा अन्य आर्थिक तत्व कृषि क्षेत्र की गतिविधियों द्वारा मुख्य रूप से प्रभावित होते हैं. कृषि ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिरता एवं और अस्थिरता गतिशीलता एवं निष्प्रवाहता, प्रगति एवं प्रति गति को निर्धारित करती है. स्पष्ट है कि ग्रामीण भारत की प्रगति कृषि के प्रगति पर ही निर्भर है.

4. खाद्यान्न व चारे की आपूर्ति

ग्रामीण भारत में कृषि का सबसे महत्वपूर्ण योगदान देश की विशाल जनसंख्या के लिए प्राप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराना है. इतना ही नहीं देश के करीब 43,15 करोड़ पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी कृषि के माध्यम से ही होती है. इस प्रकार मानव तथा पशु दोनों के जीवन का आधार कृषि ही है.

5. उद्योगों का आधार

कृषि देश के अनेक छोटे बड़े उद्योगों का आधार है. महत्वपूर्ण उद्योग पटसन, चीनी, वस्त्र, तेल आदि अपने कच्चे माल की पूर्ति के लिए मुख्यत: कृषि पर ही निर्भर है. अनेक कुटीर उद्योग जैसे-- धान कूटना, तेल पेरना आदि भी अपने कच्चे माल की पूर्ति के लिए कृषि पर ही निर्भर करते हैं. कृषि व्यवसाय से संबंध पशुपालन व्यवसाय पर ही डेरी, चमड़ा व खाद्य उद्योग निर्भर है. कृषि यंत्र बनाने तथा उर्वरकों का उत्पादन करने वाले उद्योग भी प्रत्येक रूप से कृषि व्यवसाय पर निर्भर करते हैं. अतः: देश की औद्योगिक विकास दर को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

6. परिवहन के साधनों की आय का स्रोत

देश में कृषि उत्पादन में भारी प्रादेशिक अंतर पाया जाता है. इन प्रादेशिक अन्तरों के कारण रेल, मोटर आदि परिवहन साधनों की आय का काफी बड़ा भाग कृषि उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने से प्राप्त होता है. इस तरह देश की परिवहन व्यवस्था भी कृषि को प्रभावित करती है.

7. सामान्य मूल्य स्तर पर प्रभाव

हमारे देश में खाद्यान्न मांग के प्रति आय की लोचशीलता अधिक है. ग्रामीणों की आय का स्तर निचा है अतः इनके खाद्यान्न उपभोग का स्तर भी बहुत नीचा है. खाद्यान्न उत्पादन में उतार चढ़ाव आने से कृषि मूल्य में भी उतार चढ़ाव आते हैं जिनका प्रतिकूल प्रभाव सामान्य मूल्य स्तर पर पड़ता है. अतः कृषि उत्पादन एवं कृषि मूल्यों में गहरा संबंध होता है.

8. विदेशी व्यापार में महत्व

भारत के विदेशी व्यापार में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है. चाय, काफी, तंबाकू, मसाले आदि मुख्य वस्तुएं हैं जिन्हें हम विदेशों को निर्यात करते हैं तथा बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त करते हैं. देश के कुल उत्पादन निर्यात का लगभग 24% कृषि पदार्थ तथा कृषि से संबंधित पदार्थ का होता है. संक्षेप में कहा जा सकता है कि कृषि ग्रामीण संपन्नता एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति की सूचक है. कृषि की समृद्धि संपूर्ण देश की समृद्धि को प्रतिबिंबित करती है.

लेखक:  रबीन्द्रनाथ चौबे, ब्यूरो चीफ, कृषि जागरण, बलिया, उत्तरप्रदेश

English Summary: Agriculture key to growth and development in rural economy
Published on: 12 February 2025, 06:17 PM IST

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