आजादी के बाद भारतीय कृषि ने काफी तरक्की किया है. कोई दो राय नहीं है. जिसमें नित नए-नए शोध कृषि विज्ञान केंद्र रिसर्च सेंटर अच्छे खाद बीज और कृषि विकास एवं प्रसार संस्थाएं और कृषि वैज्ञानिकों का भूमिका महत्वपूर्ण है. प्रगतिशील किसान जो नए तकनीकों को अपनाकर कृषि उपज को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किए हैं. दाल और खाद्य तेल को छोड़कर लगभग सभी अनाज की आपूर्ति में अपना देश आत्मनिर्भर बनते जा रहा है. आजादी के बाद भारतीय कृषि ने काफी तरक्की किया है. कोई दो राय नहीं है. जिसमें नित नए नए शोध कृषि विज्ञान केंद्र रिसर्च सेंटर अच्छे खाद बीज और कृषि विकास एवं प्रसार संस्थाएं और कृषि वैज्ञानिकों का भूमिका महत्वपूर्ण है.
प्रगतिशील किसान जो नए तकनीकों को अपनाकर कृषि उपज को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किए हैं. दाल और खाद्य तेल को छोड़कर लगभग सभी अनाज की आपूर्ति में अपना देश आत्मनिर्भर बनते जा रहा है. लेकिन अभी भी मौसम आधारित, प्राकृतिक आपदा और परंपरागत खेती के कारण भारतीय कृषि पिछड़ा हुआ है. खेती पर निर्भर रहने वाले किसान और कृषि मजदूर अपने न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने में अक्षम हो रहे हैं. कारण अपने बच्चों को खेती पर नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. जो भारतीय कृषि के लिए बिल्कुल ही चिंतनीय बात है. जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और परिवारिक बंटवारा होने के कारण प्रति परिवार कृषि जोत का आकार छोटे होते जा रहा है.
देश में लगभग 80% किसान 5 एकड़ से कम भूमि रखते हैं. जिसके कारण इतनी कम भूमि में अपनी जरूरतों को पूरा करते हुए अपने परिवारिक खर्चे का वाहन कर सके यह असंभव लगता है. उत्पादन लागत दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है और उसकी अपेक्षा अच्छे मार्केट और अच्छे भंडारण के अभाव में किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसानों के सामने कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगी है कम आमदनी होने के कारण इनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यह तनाव के शिकार होते जाते हैं. कभी-कभी इनको आत्महत्या के लिए विवश कर देता है. सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि विकास और किसान कल्याणकारी योजनाओं में जटिलता और धांधली होने के कारण इनको समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसको सरल करने की जरूरत है.
भारतीय कृषि को फायदेमंद और व्यवसायिक बनाने के लिए समुचित कदम उठाने की जरूरत
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देश के प्रत्येक जिलों और ब्लॉकों में वहां की मिट्टी और के अनुसार और संभावनाओं के अनुरूप कृषि उत्पादों का चयन कर उसके लिए प्लान कमेटी बनना चाहिए.
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सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को सरल सुलभ और धांधली मुक्त करने के लिए अच्छी मॉनिटरिंग की व्यवस्था होनी चाहिए.
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सभी किसानों और कृषि से जुड़े हुए कृषि मजदूरों का एक निष्पक्ष एजेंसी से डेटाबेस तैयार कराकर इनको निम्नलिखित सामाजिक योजनाओं के अंदर लाना चाहिए. जैसे मुफ्त सामाजिक सुरक्षा, बीमा कवर ,क्रेडिट कार्ड, पेंशन, मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन राशि. सब्सिडी युक्त कृषि यंत्र, औजार पर शोध होना चाहिए ताकि इनके उत्पादन और यंत्रों का मूल्य जो हो कम हो.
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खेती योग्य छोटे भूमि छोटे भूमि पर किसानों को सघन खेती मिश्रित खेती व्यापारिक खेती नगदी और पशुपालन और बागवानी पर जोर देने के लिए प्रोत्साहन करना चाहिए. इसके अलावा डेयरी उत्पाद, कृषि आधारित छोटे उद्योग, स्थानीय स्तर पर स्थानीय जरूरतों को पूरा करते हों जैसे गुड़ ,शक्कर, जाम, अचार पापड़, और जूस बनाना.
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खेती किसानी को सुलभ और सुगम बनाने के लिए एक अच्छे कृषि यंत्र और कम लागत के औजार और कृषि यंत्रों को विकसित करने के लिए शोध संस्थान बनाना चाहिए.
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छोटे किसानों की बढ़ रही तादाद के चलते छोटे कृषि यंत्र और छोटी जोत वाले किसानों के लिए कृषि योजनाओं का चलन को प्रोत्साहन, प्रसारित करना होगा.