बिहार में प्राकृतिक खेती को मिलेगी रफ्तार, 38 जिलों में लागू होगी नई योजना, बढ़ेगी किसानों की आय किसानों को बड़ी राहत! कृषि यंत्र बैंक और हायरिंग सेंटर पर मिल रही लाखों की सब्सिडी, 25 जुलाई तक आवेदन अनिवार्य अगले 7 दिनों तक यूपी, राजस्थान और उत्तराखंड समेत इन राज्यों में सक्रिय रहेगा मानसून, IMD ने जारी किया अलर्ट किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 9 May, 2019 5:31 PM IST

संसार के अधिकांश लोग आज भी किसी न किसी धर्म के अनुयायी हैं. मानते हैं कि किसी धर्म को अपनाए बिना भगवान तक अपनी बात पहुंचाना संभव नहीं है.जबकि ईश्वर नाम का अस्तित्व इस जगत में वास्तव में है या नहीं, यह प्रश्न विवादित है. हालांकि कई देशों के शोधक इस प्रश्न का विज्ञानसम्मत उत्तर ढूढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.अब तक के परिणाम भी बहुत ही चौंकाने वाले हैं. उन से यही पता चलता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किसी धर्म के अनुयायी हैं या नहीं. भगवान को किस रूप में देखते हैं. यदि आप ईश्वर में आस्था रखते हैं, तो आप की आयु उन लोगों की तुलना में अधिक हो सकती है, जो धर्म में आस्था नहीं रखते. इसी कड़ी में एक अजीबोगरीब वाकया सामने आया है -

दरअसल राजस्थान की धरती पर एक ऐसा भी मंदिर है जहां देवी देवता आशीष ही नही बल्कि लकवे के रोगी को रोग से मुक्त कर देते है. इस मंदिर में दूर - दूराज से लकवे के मरीज किसी और के सहारे आते है और जाते है खुद के कदमों पर. कलियुग में ऐसे चमत्कार को नमन है. जहां विज्ञान फेल हो जाता है और चमत्कार रंग लाता है तो ईश्वर में आस्था और अधिक बढ़ जाती है.  राजस्थान के नागौर से 40 किलोमीटर दूर अजमेर- नागौर रोड पर कुचेरा क़स्बे के पास  एक बुटाटी धाम है. इसे चतुरदास जी महाराज के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है . यह मंदिर लकवे से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज करने के लिए प्रसिद्ध है.

परिक्रमा और हवन कुण्ड की भभूत  ही दवा  है

इस मंदिर में बीमारी का इलाज ना तो कोई पंडित करता है ना ही कोई वैद या हकीम.  बस यहां 7 दिन जाकर मरीज को मंदिर की परिक्रमा लगानी होती है. उसके बाद हवन कुंड की भभूत  लगाना पड़ता है. धीरे - धीरे लकवे की बीमारी दूर होने लगती है , हाथ पैर हिलने लगते है , जो लकवे के कारण बोल नही सकते वो भी धीरे धीरे बोलना शुरू कर देते है.

कैसे होता है यह चमत्कार

कहते है 5000 साल पहले यहां एक महान संत हुए जिनका नाम था चतुरदास जी महाराज . उन्होंने घोर तपस्या की और रोगों को मुक्त करने की सिद्धि प्राप्त की. आज भी उनकी ही शक्ति ही इस मानवीय कार्य में साथ देती है. जो समाधि की परिक्रमा करते है वो लकवे की समस्या से राहत पाते है.

रहने और खाने की व्यवस्था
 
इस मंदिर में इलाज करवाने आये मरीजों और उनके परिजनों के रुकने और खाने की व्यवस्था मंदिर निशुल्क करता है .

मंदिर की इसी कीर्ति और महिमा देखकर भक्त दान भी करते है और यह पैसा जन सेवा में ही लगाया जाता है.

English Summary: After coming to this temple, paralysis patients go to their feet
Published on: 09 May 2019, 05:33 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now