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Updated on: 15 September, 2022 6:09 PM IST
दूध का पैकेट खोले बिना ही खराब दूध की पहचान कर सकेंगे.

आने वाले समय में उपभोक्ताओं को खराब दूध की वजह से परेशान होने की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि भारत की प्रमुख राष्ट्रीय अनुसंधान संस्था सीएसआईआर जल्द ही ऐसी तकनीक ला रही है, जिसकी मदद से उपभोक्ता दूध का पैकेट खोले बिना ही खराब दूध की पहचान कर सकेंगे.

ग्रेटर नोएडा के एक्सपो सेंटर में चल रहे आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 के दौरान प्रोफेसर राजेश्वर एस मैचे, चीफ़ साइन्टिस्ट एवं हैड, फूड पैकेजिंग एण्ड टेक्नोलॉजी, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई, मैसुरू ने बताया, ‘‘भारत के आम लोगों को अक्सर दूध का पैकेट खरीदने के बाद खराब दूध की समस्या से जूझना पड़ता है, वे आउटलेट पर ही खराब दूध की पहचान नहीं कर पाते. जब घर जाकर वे दूध का पैकेट खोल कर इसे उबालते हैं, तभी उन्हें पता चलता है कि दूध खराब है. ऐसे में उन्हें महसूस होता है कि उन्हें ठग लिया गया है.’’

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संगठित डेयरी सेक्टर के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को ध्यान में रखते हुए सीएसआईआर का सीएफटीआरआई विभाग बाज़ार से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर इस मुद्दे पर काम कर रहा है. विभाग ने दूध, मीट, इडली और डोसा पर मौजूद लेबल की मदद से इसकी पहचान की तकनीक पर टेस्टिंग की है.

सीएसआईआर-सीएफटीआरआई इन प्रयोगों के लिए नंदिनी डेयरी के साथ मिलकर काम कर रही है, जिस पर तकरीबन 100 फीसदी सफलता मिली है. इन प्रयोगों में सुबह और शाम डिलीवर किए जाने वाले दूध के पैकेटों की टेस्टिंग की जा रही है.

इस तकनीक को संभवतया ‘टाईम टेम्परेचर बेस्ड स्पॉइलेज इंडीकेटर टेस्टिंग’ का नाम दिया जाएगा, हर पैकेट पर इस तकनीक की लागत 20-25 पैसे आएगी. ऐसे में सीएसआईआर का मानना है कि इस तकनीक को बड़े पैमाने लागू किया जा सकेगा.

‘हम भारतीय लोगों की इस समस्या पर काम कर रहे हैं. अब तक बड़े पैमाने पर डिलीवर किए जाने वाले भोजन के आइटमों की टेस्टिंग की गई है, शुरूआत से ही हमें विश्वास है यह तकनीक किफ़ायती होगी. मिस श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, डायरेक्टर, सीएसआईआर-सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रीसर्च इंस्टीट्यूट, मैसुरू ने कहा, जो ‘फील्ड प्रेक्टिसेज़ टू डिटेक्ट एण्ड मिटिगेट रिस्क’सत्र की अध्यक्षता भी कर रही थीं.

इस आधुनिक तकनीक के साथ-साथ, सीएसआईआर इस प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिए एक टेक्नोलॉजी कंपनी के साथ भी काम कर रही है, क्योंकि दूध एवं अन्य आइटमों के पैकेट पर लेबल को मैनुअल तरीकों से चिपकाने में ज़्यादा समय लगता है. वर्तमान में मैनुअल तरीकों से एक मिनट में दूध के सिर्फ 60 पैकेटों पर ये लेबल चिपकाए जाते हैं.प्रक्रिया के स्वचालित होने के बाद, सीएसआईआर इस तकनीक को न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी लॉन्च करेगी, वो दिन अब ज़्यादा दूर नहीं है.

सत्र के दौरान अपने विचार व्यक्त करने वाले अन्य प्रवक्ताओं में मिस चोरेख फारूख, हैड ऑफ फूड सेफ्टी युनिट एवं टीम लीडर ‘साइन्स डिपार्टमेन्ट’ सीएनआईईएल फ्रांस; मिस डेनियल ब्रागा चेलिनी परेरा, एनालिटिकल मैथेडोलोजी मैनेजर; लेटिसिनिअस बेला विस्ता लिमिटेड, ब्राज़ील, मि. पार वाबेन हंसेन, फैलो डेटा साइन्टिस्ट, एफओएसएस एवं अफीलिएटेड प्रोफेसर- युनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन; तथा डॉ नरेश कुमार, प्रिंसिपल साइन्टिस्ट एवं इन-चार्ज, नेशनल रेफरल सेंटर ऑन मिल्क क्वालिटी एण्ड सेफ्टी, डेयरी माइक्रोबायोलोजी डिविज़न, आईसीएआर- नेशनल डेयरी रीसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल शामिल थे. 

English Summary: you need to about the new technology of icar for milk checking
Published on: 15 September 2022, 06:17 PM IST

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