भारत जैसे देश में सालभर किसी ना किसी तरह का आयोजन होता ही रहता है. कभी यहां धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, तो कभी सांस्कृतिक रूप से व्रत, त्यौहार एवं विवाह आदि होते हैं. दूसरी तरफ देखा जाए, तो सामाजिक आयोजन भी यहां किसी न किसी रूप में होते ही रहते हैं. बदलते हुए वक्त के साथ इन सभी आयोजनों में असली बर्तनों की जगह डिस्पोजल प्लेट्स की मांग बढ़ने लगी है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि डिस्पोजल प्लेट्स का उपयोग आयोजन को अधिक सरल एवं सस्ता बना देता है. न तो इनके रखरखाव में किसी तरह का खर्चा है और न ही इन्हें मांजने की जरूरत है. उपयोग के बाद बड़ी आसानी से इन्हें फैंका जा सकता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे द्वारा फेंका गया डिस्पोजल पर्यावरण के लिए कितना हानिकारक है.
कागज भी है पर्यावरण के लिए नुकसानदायक
आप में से कई लोगों का मानना हो सकता है कि प्लास्टिक के डिस्पोजल तो पर्यावरण के लिए खराब हैं, लेकिन कागज से बनने वाले डिस्पोजल प्लेट तो इको फ्रेंडली नेचर के हैं. हम भी आपके इस मत से पूरी तरह असहमत नहीं हैं कि कागज से बनने वाले डिस्पोजल, प्लास्टिक की तुलना में पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं. लेकिन धरती को दुषित करने में इनका भी मुख्य योगदान है.
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हैदराबाद के सुरेश ने खोजा विकल्प
कागज के डिस्पोजल और उनसे होने वाले नुकसान को देखते हुए हैदराबाद के सुरेश राजू की कंपनी ने खास विकल्प खोज निकाला है. दरअसल उन्होंने एक ऐसे कप को तैयार किया है, जिसे चाय, कॉफी, ठंडा और गर्म पानी पीने के बाद खाया भी जा सकता है. इस कप को अनाज के दानों से बनाया गया है और यह पूरी तरह से प्राकृतिक है.
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सेहत के लिए भी फायदेमंद
इस कप में लिक्विड डालने के बाद करीब 40 मिनट तक सुरक्षित रहता है. आप इसे खा भी सकते हैं और इससे आपके सेहत को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा, क्योंकि इसे अनाज के दानों से बनाया गया है. सुरेश राजू के इस खोज से डिस्पोजल उद्द्योग में खलबली मची हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ने वाली है.